Edited By meena, Updated: 13 May, 2025 05:52 PM

मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा भारतीय सेना की बहादुर अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ दिए गए अशोभनीय...
भोपाल (इजहार हसन) : मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा भारतीय सेना की बहादुर अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ दिए गए अशोभनीय और नफरत भरे बयान की देशभर में निंदा हो रही है। मऊ में सार्वजनिक मंच से दिए गए इस बयान में उन्होंने कर्नल सोफिया को “आतंकवादियों की बहन” और “पाकिस्तानियों की बहन” कहकर न केवल उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई, बल्कि भारतीय सेना और देश की उन सभी बेटियों का अपमान किया है जो राष्ट्र सेवा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार रहती हैं।
विजय शाह का यह बयान केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि भारत की सैन्य गरिमा, राष्ट्रीय एकता और महिला सम्मान पर खुला प्रहार है। कर्नल सोफिया कुरैशी, जो 2016 में फोर्स 18 जैसे बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारत का नेतृत्व कर चुकी हैं और जिनकी तीन पीढ़ियां सेना की सेवा में समर्पित रही हैं, उनके खिलाफ इस प्रकार की बयानबाजी हर भारतीय का अपमान है।
सबसे अधिक निराशाजनक है मुख्यमंत्री मोहन यादव और भारतीय जनता पार्टी की खामोशी। न तो कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया, न ही मंत्री को बर्खास्त करने की कोई कार्रवाई। यह चुप्पी साफ दर्शाती है कि क्या सरकार इस बयान से सहमत है? क्या “भारत माता की जय” कहने वाली पार्टी के लिए सेना का अपमान बर्दाश्त करने योग्य है? यह वही विजय शाह हैं, जिन्हें पहले भी महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी के कारण मंत्रिमंडल से हटाया गया था और अब, एक बार फिर उन्होंने अपनी बेलगाम ज़ुबान से भारतीय सेना पर कीचड़ उछाला है।
मांग
1. मुख्यमंत्री मोहन यादव तुरंत विजय शाह को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करें।
2. बीजेपी को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए और यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह कर्नल सोफिया को “आतंकवादियों की बहन” मानती है?
3. भारतीय सेना और महिलाओं के सम्मान की रक्षा के लिए कड़ा संदेश देना होगा।
यदि सरकार चुप रहती है, तो यह चुप्पी सहमति मानी जाएगी - एक ऐसी सहमति जो न देश माफ करेगा, न देश की बेटियां। कर्नल सोफिया कुरैशी इस देश की शान हैं। उनका सम्मान हर भारतीय का सम्मान है। और यदि इस पर आंच आती है, तो हर जागरूक नागरिक का कर्तव्य है कि वह आवाज उठाए। देश पूछ रहा है — विजय शाह को बर्खास्त क्यों नहीं किया गया? क्या बीजेपी के लिए सत्ता, नैतिकता और सम्मान से बड़ी है?