उपचुनाव में बड़ी जीत के बाद बढ़ गईं सिंधिया की डिमांड, बीजेपी के सामने रखीं ये नई शर्तें

Edited By meena, Updated: 15 Nov, 2020 12:07 PM

scindia s demand increased after a big victory in the by election

मध्यप्रदेश उपचुनाव में बीजेपी के बेहतर प्रदर्शन करने के बाद यह तय माना जा रहा था, कि संभावित स्थिति ज्योतिरादित्य सिंधिया के कद को बढ़ाने वाली होगी, और वैसा ही कुछ नजर भी आने लगा है। इस जीत के बाद अब ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार फिर न केवल...

भोपाल: मध्यप्रदेश उपचुनाव में बीजेपी के बेहतर प्रदर्शन करने के बाद यह तय माना जा रहा था, कि संभावित स्थिति ज्योतिरादित्य सिंधिया के कद को बढ़ाने वाली होगी, और वैसा ही कुछ नजर भी आने लगा है। इस जीत के बाद अब ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार फिर न केवल कॉन्फीडेंट हुए हैं बल्कि उन्हें लेकर यह संदेश भी गया है, कि उनके दलबदल पर प्रदेश की जनता ने मोहर लगा दी है। सिंधिया के इस कॉन्फीडेंट ने बीजेपी के सामने उनकी डिमांड भी बढ़ा दी है, और वह अपने समर्थकों के लिए शिवराज सरकार और पार्टी संगठन के सामने नई मांग रख रहे हैं, जिसने उनके खेमे के नेताओं को अधिक से अधिक तवज्जो देने की बात कही जा रही है। 

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तीन नए मंत्री बनाने की मांग
दरअसल इस उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक तीन मंत्री चुनाव हार गए थे, जिसमें ऐंदल सिंह कंसाना, गिर्राज दंडोतिया और इमरती देवी शामिल हैं। इनकी हार के बाद सिंधिया ने बीजेपी नेतृत्व के सामने यह मांग रखी है, कि वह या तो निगम मंडलों के जरिए इन तीनों चेहरों को अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार का हिस्सा बनाएं, नहीं तो इसकी एवज में किन्हीं तीन अन्य विधायकों को कैबिनेट में जगह दी जाए, माना जा रहा है, कि बीजेपी सिंधिया की पहली मांग से सहमत नजर आ रही है और हारे हुए तीन मंत्रियों में से किसी दो को निगम मंडल में जगह दी जा सकती है। 

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संगठन में भी तरजीह चाहिए
शुरूआत से लेकर अब तक सिर्फ कांग्रेस खेमे से इस्तीफे देने वाले विधायकों का जिक्र किया जा रहा है, जबकि इनके अलावा हजारों की संख्या में कांग्रेस नेताओं ने भी सिंधिया के साथ बीजेपी का दामन थामा था। अब उन सभी नेताओं को सम्मान दिलाना भी सिंधिया की प्राथमिकताओं में से एक है। माना जा रहा है, कि सिंधिया संगठन मंत्री, उपाध्यक्ष, अलग अलग मोर्चे और संगठनों में अपने समर्थकों की एंट्री के प्रयास में जुट गए हैं। इस दौरान खासकर उन नेताओं को प्रमुख तरजीह दी जा सकती है, जिन्होंने उपचुनाव में बेहतर परफॉर्मेंस किया है। 

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सकारात्मक संदेश देने की कोशिश
बीजेपी नहीं चाहती, कि सिंधिया खेमे को एडजस्ट करने के चक्कर में कहीं भी ये संदेश नहीं जाए, कि पार्टी किसी भी तरह की दुविधा से जूझ रही है। इसलिए वह अपने पुराने नेताओं के साध सिंधिया समर्थकों को भी बड़ी सफाई के साथ एडजस्ट करने में जुटी हुई है। चूंकी आने वाले समय में फिर से उसे नगरीय निकाय के चुनावी मैदान में उतरना है, ऐसे में किसी नेता को नाराज करना भी उसके लिए भारी पड़ सकता है इसलिए हर किसी को उपकृत करने के लिए वह अलग अलग परिषद और समितियों में एडजस्ट करने पर भी विचार कर रही है।

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