Edited By meena, Updated: 11 Mar, 2021 01:13 PM
यूं तो शास्त्रों में खंडित प्रतिमा की पूजा निषेध मानी जाती है लेकिन सतना जिले के बिरसिंहपुर में खंडित शिवलिंग की पूरे श्रद्धा के साथ पूजा होती है। यहां प्रत्येक सोमवार गैविनाथ के अभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की अटूट भीड़ उमड़ती है। लेकिन महाशिवरात्रि और...
सतना(फिरोज बागी): यूं तो शास्त्रों में खंडित प्रतिमा की पूजा निषेध मानी जाती है लेकिन सतना जिले के बिरसिंहपुर में खंडित शिवलिंग की पूरे श्रद्धा के साथ पूजा होती है। यहां प्रत्येक सोमवार गैविनाथ के अभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की अटूट भीड़ उमड़ती है। लेकिन महाशिवरात्रि और बसंत पंचमी का मेला देखते ही बनता है। तो चलिए आपको लेकर चलते हैं अदभुत शिवलिंग की दर्शन यात्रा पर।
अगर आपके घर में रखी किसी भी देवी देवता की प्रतिमा खंडित हो जाती है तो आप अनहोनी की आशंका मात्र से सिहर उठते हैं। जरा भी देरी किए लोग खंडित मूर्ति को या तो बहते पानी में विसर्जित कर देते हैं या फिर किसी पेड़ के नीचे रख देते हैं। लेकिन आज आपकी हम बताएंगे कि खंडित शिवलिंग की आराधना कहां होती है। मध्यप्रदेश के सतना मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है बिरसिंहपुर कस्बा। इसी कस्बे में तालाब किनारे शिवलिंग रूप में विराजते हैं भगवान भोलेनाथ।
किवदंती के अनुसार कभी यह देवपुर नगरी हुआ करती थी राजा थे वीरसिंह राजा वीर सिंह उज्जैन महाकाल के अनन्य भक्त थे। राजा रोजाना यहां से उज्जैन जाकर महाकाल के दर्शन करते थे। बाद में उनकी ज्यादा उम्र हो गई तो वो उज्जैन जाने में असमर्थ रहने लगे। इस पर उन्होंने महाकाल से बिरसिंहपुर आने के लिए कहा। महाकाल उनकी भक्ति से इतने अभिभूत हुए कि वो बिरसिंहपुर में गैविनाथ के घर शिवलिंग के रूप में प्रकट हो गए। बुतपरस्ती के खिलाफ रहे औरंगजेब की सेना ने शिवलिंग के ऊपर तलवार से वार कर दिया था। आज भी शिवलिंग 3 हिस्सों में विभाजित दिखता है। गैविनाथ धाम आज अटूट श्रद्धा का केंद्र है। लोग बड़ी संख्या में यहां मनौती लेकर आते हैं। मनौती पूरी होने पर श्रद्धालु शिव और पार्वती का गठबंधन करते हैं।