राशन कार्ड के लिए दिव्यांग बेटे को बांध 30 किमी पैदल चलकर जनपद कार्यालय पहुंची महिला

Edited By meena, Updated: 23 Jun, 2020 05:07 PM

the ground reality of government schemes

सरकारी कागजों व भाषणों में गरीबों के नाम पर बहुत सी योजनाएं सुनने को मिलती है। लेकिन इनकी जमीनी हकीकत कुछ और है। सच तो ये है कि सरकार की इन छोटी छोटी योजनाओं का लाभ लेने के लिए सरकारी दफ्तरों के बार बार चक्कर लगाने पड़ते हैं। सोमवार को अशोकनगर की...

अशोकनगर: सरकारी कागजों व भाषणों में गरीबों के नाम पर बहुत सी योजनाएं सुनने को मिलती है। लेकिन इनकी जमीनी हकीकत कुछ और है। सच तो ये है कि सरकार की इन छोटी छोटी योजनाओं का लाभ लेने के लिए सरकारी दफ्तरों के बार बार चक्कर लगाने पड़ते हैं। सोमवार को अशोकनगर की जनपद पंचायत में एक ऐसा ही मामला सामने आया। जहां एक बुजुर्ग महिला एक दिव्यांग और मानसिक रूप से अस्वस्थ बेटे को रस्सी से बांधकर राशन कार्ड बनवाने के लिए 30 किमी दूर लेकर पहुंची। जनपद अध्यक्ष की नजर मां-बेटे पर पड़ी तो उन्होंने जल्द ही राशन कार्ड बनवा कर देने का आश्वासन दिया।

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जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत सोनेरा की रहने वाली गुलालबाई पत्नी बद्रीसेन राशन कार्ड बनाने के लिए अपने बेटे राजकुमार को रस्सी से बांधकर लाई जनपद पंचायत के परिसर पहुंची। महिला के अनुसार, करीब एक साल पहले उसके घर में आग लग गई थी जिसमें उसके कई दस्तावेज जल गए।

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आखिरकार गुलाबबाई को राशन कार्ड बनाने के लिए जनपद पंचायत में आकर गुहार लगाना पड़ी। वह मेहनत मजदूरी कर घर का गुजारा चलाती है। उनका एक बेटा राजकुमार दिव्यांग है। जिसका बड़ी मुश्किल से आधार कार्ड बना।

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अब राशन कार्ड बनाने के लिए 30 किलोमीटर दूर आना पड़ा है। महिला ने जब अपनी समस्या जनपद अध्यक्ष पति प्रतापभान सिंह यादव को सुनाई तो उन्होंने तत्काल गांव के सचिव रामवीर सिंह रघुवंशी को बुलाकर मामले की जानकारी ली। इस पर पंचायत सचिव का कहना है कि महिला का राशन कार्ड बनवाने के लिए कुछ और कागजों की जरुरत है।

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