बघेलान के इस किले में देखने को मिलेगी हजारों वर्ष पुरानी नक्काशी, पुरातत्व विभाग करेगा जीर्णोधार

Edited By meena, Updated: 25 Jun, 2020 04:27 PM

thousands of years old carvings will be seen in this fort of baghewal

मध्य प्रदेश के इतिहास की बात करें तो राज्य में बहुत से किले है और इसे किलों का राज्य कहा जाता है। इनमें से कुछ का जीर्णोद्धार किया गया जो आज बेहतर हालात में हैं तो वहीं कुछ क्षत विक्षत होकर खंडहर बन गए हैं जो अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। इसका बड़ा...

सतना(रविशंकर पाठक): मध्य प्रदेश के इतिहास की बात करें तो राज्य में बहुत से किले है और इसे किलों का राज्य कहा जाता है। इनमें से कुछ का जीर्णोद्धार किया गया जो आज बेहतर हालात में हैं तो वहीं कुछ क्षत विक्षत होकर खंडहर बन गए हैं जो अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। इसका बड़ा कारण शासन प्रशासन का इनकी तरफ ध्यान न देना है। इन्हीं में से एक है मध्यप्रदेश के सतना जिले के रामपुर बघेलान का किला। जो आज अव्यवस्था की मार झेल रहा है। हालांकि अब इसमें एक नई पहल शुरू की जा रही है। ग्राम पंचायत की मांग के बाद अब पुरात्तव विभाग इस किले का जीर्णोद्धार करने जा रहा है।

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जानकारी के अनुसार, सैकड़ों वर्ष पुराना यह किला सतना के रामपुर बघेलान तहसील में खरवाही गांव में है। इस किले का इतिहास बड़ा ही रोचक है। इस किले की नक्काशी हजारों वर्ष पुरानी है और देखते ही बनती है। इतनी सुंदर और आकर्षक नकाशी कम ही देखने को मिलती है। ग्राम खरवाही के सरपंच स्वामीदीन कुशवाहा बताते हैं कि यह सैकड़ों वर्ष पुराना किला है। यहां पर लवाना जाति के लोग रहते थे।  लेकिन उनके जाने के बाद सैकड़ों वर्षो से इस किले में वीरानी छा गई और यह खंडहर में तब्दील हो गया है।

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आज भी लोग बताते हैं कि इस किले के अंदर एक अंधेरी कोठी है, जिसमें कोई जाने का साहस नहीं कर पाता है। इस किले से और पौड़ी गारादा में बने पुराने किले कि नीचे से एक सुरंग है जहां बीच में नदी पड़ती है। उस सुरंग को भी जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। दोनों किले के बीच में तमस नदी का प्रवाह अनवरत चलता है जहां पर लोग बताते हैं कि कभी इस घड़ी में सैकड़ों घोड़ों के रहने का ठिकाना था। लोग किले के बारे में कहते हैं कि इस किले के अंदर एक अंधेरी कोठी है। जिसके अंदर कोई भी इंसान जाने का साहस नहीं दिखा पाता है।  इस पुराने किले को कभी कोई अंधेरी कोठी कहता था तो कभी कोई भूतों का बसेरा बताता है।

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ग्राम पंचायत से एक प्रस्ताव बनाकर पुरातत्व विभाग को दिया गया है जिसके बाद पुरातत्व विभाग में इस में काम करना शुरू कर दिया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस प्रयास से सैंकड़ों वर्ष पुराने इस किले में पहले जैसी रौनक फिर से देखने को मिलेगी।

 

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