बालाघाट में एग्री ईगो बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का शुभारंभ, प्लास्टिक को बताया प्राकृति और मनुष्य का दुश्मन

Edited By Devendra Singh, Updated: 03 Apr, 2022 06:46 PM

agri ego bio degradable plastic launched in balaghat

हिन्दू नववर्ष के पावन अवसर पर जन सरोकार कृषक उत्पादक समूह के द्वारा एग्री ईगो बॉयो डिग्रेडेबल (जैव विघटित) प्लास्टिक का आज नगरपालिका परिषद बालाघाट के सभाहाल में शुभारंभ किया गया।

बालाघाट: माता प्रकृति की भक्ति भी आदिशक्ति की आराधना है। इसी मंशा को लेकर चैत नवरात्रा और हिन्दू नववर्ष के पावन अवसर पर जन सरोकार कृषक उत्पादक समूह के द्वारा एग्री ईगो बॉयो डिग्रेडेबल (जैव विघटित) प्लास्टिक का आज नगरपालिका परिषद बालाघाट के सभाहाल में शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष म.प्र. पिछड़ा आयोग अध्यक्ष व बालाघाट विधायक गौरीशंकर बिसेन, मुख्य अतिथि चेंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष अभय सेठिया, पर्यावरणविद अभय कोचर, उद्योग विभाग के संभागीय पूर्व प्रबंधक अखिल चौरसिया, गोपालराव एलकर, भाजपा नेत्री और जनसरोकार ग्रुप की अध्यक्ष श्रीमति लता एलकर, सीईओ सारस्वत मुरली मनोहर श्रीवास्तव, उद्योगपति किरण भाई त्रिवेदी मुख्य रूप से उपस्थित रहे। इनके अलावा कृषक और नगर के गणमान्य नागरिक भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

इस अवसर पर सर्वप्रथम मां प्रकृति माता सरस्वती और मां भगवति की पूजा अर्चना के बाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यहां कार्यक्रम के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि केमिकल युक्त प्लास्टिक का खतरा जीव जंतु, मनुष्य और पूरे पर्यावरण को दूषित करने वाला साबित हो रहा है। इसके भयानक परिणाम देखने मिल रहे हैं। एैसे में भविष्य की दुर्गामी सोच रखते हुए प्लास्टिक का बेहतर विकल्प के तौर पर जनसरोकार एफपीओ के द्वारा एग्री ईगो प्लास्टिक का उद्योग लगाकर इसे बनाया जाना न सिर्फ उद्योग के लिहाज से बल्कि प्रकृति के लिए भी बेहद जरूरी है।

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इसे बेहतर मार्केटिंग देकर अच्छे मुकाम पर ले जायेंगे, तो बालाघाट का नाम देश-प्रदेश और यहां तक कि दुनिया के पटल पर जायेगा। प्लास्टिक के इस विकल्प से अब तय हो गया है कि प्लास्टिक की तरह ही कृषि उत्पाद से बना बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक मवेशियों, पर्यावरण और जलीय जीव जंतु के साथ भूमि के हित में साबित होगा। इस दौरान अभय सेठिया ने भी बॉयोडिग्रेडेबल प्लास्टिक को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इसे पर्यावरण के नजरियें से आम लोगों को अपनाना चाहिए। ताकि केमिकल से बने प्लास्टिक का दुष्प्रभाव कम से कम किया जा सके। यहां पर्यावरणविद अभय कोचर और डॉ. वेदप्रकश लिल्हारे ने केमिकल से बने प्लास्टिक से होने वाले मनुष्यों को खतरा और घातक बिमारियों के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही प्लास्टिक के दुष्परिणाम का असर मवेशियों और जलीय जीव जंतुओं से लेकर पूरे पर्यावरण के लिए बेहद घातक साबित होने की बात कही जिससे पूरी दुनिया ग्रसित है।

इस दौरान सरोकार एफपीओ की अध्यक्ष लता एलकर ने कहा कि वैसे तो लाभ कमाने के लिए बहुत से काम और उद्योग है। लेकिन किसानों के उत्थान और प्रकृति के हित के लिए जहरीली साबित हो रही प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर काम करना हमें अभीभूत कर रहा है। इससे हम दावे के साथ कह सकते हैं कि मवेशियों या मनुष्यों के साथ पर्यावरण को किसी तरह का नुक्सान नहीं होगा और भविष्य में इसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा। यहां अन्य वक्ताओं ने भी उद्योग और पर्यावरण के हित में सोचते हुए एक बदलाव को लेकर जनसरोकार के कार्य की सराहना की।
 

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