जेल में महिला कैदी की मौत, पुलिस और जेल अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

Edited By meena, Updated: 09 Aug, 2024 06:40 PM

female prisoner dies in jail role of police and jail officials suspicious

ग्वालियर के जेएएच अस्पताल में 23 जून 2015 को भोपाल के टीलाजमालपुरा निवासी जेल बंदी मोहसिन की मौत हो गई थी...

भोपाल : ग्वालियर के जेएएच अस्पताल में 23 जून 2015 को भोपाल के टीलाजमालपुरा निवासी जेल बंदी मोहसिन की मौत हो गई थी। मोहसिन के परिजनों का आरोप था कि मोहसिन को 3 जून 2015 को क्राइम ब्रांच के सिपाही अहसान, मुरली, दिनेश खजूरिया और चिरोंजी पूछताछ के लिए ले गए थे। परिजनों ने ये भी आरोप लगाया था कि जब परिजन मोहसिन को छुड़वाने के लिए क्राइम ब्रांच थाने पहुंचे तो उनसे दो लाख रूपये की रिश्वत मांगी गई। क्राइम ब्रांच के बाद पुलिस ने मोहसिन पर टीटी नगर थाने में झूठा लूट का अपराध कायम कर उसे अदालत में पेश कर जेल भेजवा दिया। जेल में भी जेलर पर मोहसिन से मारपीट करने का आरोप था।

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जानकारी के मुताबिक मोहसिन की हालत बिगड़ने के बावजूद उसे 18 जून 2015 को ग्वालियर जेल ट्रांसफर कर दिया। मोहसिन की 23 जून 2015 को मौत हो गई। न्यायिक हिरासत में मोहसीन की मौत की न्यायिक जांच में भी पुलिस और जेल अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बताई गई थी। परिजनों ने कोर्ट में परिवाद दायर किया था। इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एक थाना प्रभारी, उपनिरीक्षक, 2 सहायक उप निरीक्षक सहित जेलर, और डॉक्टर के विरुद्ध कोर्ट ने हत्या साक्ष्य मिटाने का प्रकरण दर्ज किया कर लिया है। पीड़ित पक्ष के वकील आमिर उल्लाह ने बतया कि वर्ष 2015 में पुलिस और जेल अभिरक्षा में की गई। मारपीट से हुई मौत पर कोर्ट ने मनीष राज भदौरिया उप निरीक्षक डीएल यादव, एहसान,मुरली, चिरोंजीलाल, तत्कालीन हमीदिया अस्पताल के मनोरोग डॉक्टर आरएन साहू, आलोक बाजपेई के विरुद्ध कोर्ट ने हत्या साक्ष्य मिटाने का प्रकरण दर्ज किया है।

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मृतक की मां की और से अधिवक्ता यावर खान ने न्यायालय में आरोपियों के विरुद्ध मामला पेश किया था। बता दे कि यह ऐतिहासिक मामला है जिसमें तीन बार पूर्व में न्यायिक मजिस्ट्रेट ने हत्या और साक्ष्य मिटाने का मामला दर्ज किया था। तीन बार सेशन न्यायालय ने वापस लोअर कोर्ट में पुनः आदेश करने के लिए भेजा था। चौथी बार फिर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पुलिस अधिकारी और जेलर सहित हमीदिया अस्पताल के पूर्व चिकित्सा के विरुद्ध हत्या तथा साक्ष्य मिटाने का अपराध दर्ज कर उनकी उपस्थिति के लिए समन जारी किए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ज्यूडिशल कस्टडी में मारपीट से हुई मौत समाज में गहरा धब्बा होता है।

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