MP में गुना सीट से सांसद डॉ. केपी यादव का जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई र

Edited By Jagdev Singh, Updated: 26 Dec, 2019 07:43 PM

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मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट से सांसद डॉ. केपी यादव को हाईकोर्ट की एकलपीठ से बड़ी राहत मिल गई है। कोर्ट ने जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही जाति प्रमाण पत्र से संबंधित कोई कड़ा एक्शन न लेने का आदेश दिया है। कोर्ट ने 7...

ग्वालियर: मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट से सांसद डॉ. केपी यादव को हाईकोर्ट की एकलपीठ से बड़ी राहत मिल गई है। कोर्ट ने जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही जाति प्रमाण पत्र से संबंधित कोई कड़ा एक्शन न लेने का आदेश दिया है। कोर्ट ने 7 जनवरी तक शासन से जवाब मांगा है।

वहीं गुना सांसद डॉ. केपी यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी ने तर्क दिया कि माधुर पाटिल के प्रकरण में जाति प्रमाण पत्र के संबंध में फैसला लेने का अधिकार राज्य स्तरीय कमेटी को है, लेकिन डॉ. केपी यादव का जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने का आदेश एसडीएम ने जारी किया है।

याचिकाकर्ता को अपना पक्ष रखने के लिए एक दिन का ही समय दिया था। पक्ष रखने का पर्याप्त मौका भी नहीं दिया गया। जाति प्रमाण पत्र 2014 की आय के आधार पर जारी किया गया था, लेकिन 2014 में जारी जाति प्रमाण पत्र को 2019 की आय के आधार पर निरस्त किया गया है। 5 साल पहले व वर्तमान आय में अंतर है।

डॉ. यादव वर्ष 2014 में सांसद भी नहीं थे। अधिवक्ता रघुवंशी ने तर्क दिया कि सिर्फ याचिकाकर्ता का एक बड़े व्यक्ति को चुनाव में हराने का कसूर है। इसका बदला लिया जा रहा है। राजनीतिक दबाव में आकर पुलिस व प्रशासन गलत कार्रवाई कर रहे हैं। कोर्ट ने तर्क सुनने के बाद जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने के फैसले पर रोक लगा दी है। शासन से रिकॉर्ड के साथ शासन से 7 जनवरी तक जवाब मांगा है।

23 दिसंबर को गुना सांसद डॉ. केपी यादव व उनके पुत्र सार्थक यादव पर क्रीमीलेयर जाति प्रमाण पत्र (कम आय का ओबीसी सर्टिफिकेट) बनवाने के लिए गलत देने के आरोप में अशोकनगर के कोतवाली थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया। जाति प्रमाण पत्र मुंगावली तहसील से बनवाया था।

जाति प्रमाण पत्र बनवाते समय उसने अपनी आय 8 लाख से कम बताई थी। डॉ.केपी यादव ने 2014 में जाति प्रमाण पत्र बनवाया था। सार्थक ने 2019 में जाति प्रमाण पत्र बनवाया था। इन दोनों के जाति प्रमाण पत्र की शिकायत मिलने के बाद मुंगावली के तहसीलदार ने मामले की जांच की। जिसमें गलत जानकारी की बात सामने आई थी।

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