Edited By Himansh sharma, Updated: 13 Mar, 2025 01:49 PM
जीतू पटवारी बोले भाजपा सरकार को बताना होगा कि बड़े राज्यों में मप्र की सबसे खराब स्थिति क्यों?
भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले पांच वर्षों में कर्ज का बोझ दोगुना हो गया है। साल 2019 में राज्य पर 2.2 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था, जो 2024 में बढ़कर 4.2 लाख करोड़ रुपये हो गया है। कर्ज, करप्शन और कमीशन के गंभीर आरोपों से घिरी हुई सरकार के कार्यकाल में यह 114% की वृद्धि है, जो देश के अन्य बड़े राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है।
अलग-अलग समय पर आई आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार भी मध्य प्रदेश की वित्तीय स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। राज्य सरकार का दावा है कि यह कर्ज विकास और जनकल्याण योजनाओं के लिए लिया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि प्रदेश में मौजूदा सरकारी योजनाएं वित्तीय संकट से जूझ रही हैं। लाड़ली बहना योजना के तहत महिलाओं को ₹3000 प्रतिमाह देने का वादा किया गया था, लेकिन सरकार अब ₹1250 ही दे पा रही है। किसान परेशान हैं, बेरोजगारी बढ़ रही है और विकास परियोजनाओं पर भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के आरोप लग रहे हैं।
भाजपा सरकार को बताना होगा कि बड़े राज्यों में मप्र की सबसे खराब स्थिति क्यों?
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, देश के प्रमुख राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश में कर्ज की वृद्धि दर सबसे अधिक रही है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में 2019 से 2024 के बीच कर्ज में 65% की वृद्धि हुई है, तमिलनाडु में 108%, उत्तर प्रदेश में 35%, और राजस्थान में 80%। लेकिन, मध्य प्रदेश में यह वृद्धि 114% रही, जो सबसे अधिक है।
कर्ज के अनुपात को सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) के मुकाबले देखें तो महाराष्ट्र में यह अनुपात 18% है, उत्तर प्रदेश में 30%, तमिलनाडु में 31% जबकि मध्य प्रदेश में यह 31% तक पहुंच गया है। यह साफ संकेत देता है कि राज्य की वित्तीय सेहत बिगड़ती जा रही है और सरकार की ऋण-प्रबंधन नीति अन्य राज्यों की तुलना में कमजोर है।
कर्ज बढ़ने का कारण.
विकास या सरकारी कुप्रबंधन?
मध्य प्रदेश सरकार दावा कर रही है कि उसने यह कर्ज विकास परियोजनाओं और जनकल्याण योजनाओं के लिए लिया है। लेकिन जब सरकार की योजनाओं की स्थिति देखी जाती है, तो कई सवाल खड़े होते हैं:
• लाड़ली बहना योजना का संकट :
सरकार ने महिलाओं को ₹3000 प्रतिमाह देने का वादा किया था, लेकिन वित्तीय तंगी के कारण अभी केवल ₹1250 ही दिए जा रहे हैं। सरकार का कहना है कि अधिक राशि देने के लिए बजट में संसाधन नहीं हैं।
• किसानों की स्थिति खराब :
किसानों को समय पर फसल बीमा राशि नहीं मिल रही, एमएसपी पर अनाज बेचने में दिक्कत हो रही है और किसान कल्याण की कोई ठोस योजना नहीं है।
• बेरोजगारी बढ़ी : राज्य में रोजगार के अवसर घट रहे हैं, सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया धीमी है और निजी क्षेत्र में निवेश कम होने के कारण युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा।
• विकास परियोजनाओं में भ्रष्टाचार : राज्य में सड़क, बिजली, पानी और अन्य बुनियादी ढांचे की कई परियोजनाएं शुरू की गईं, लेकिन इनमें भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के आरोप लग रहे हैं। कई योजनाएं अधूरी पड़ी हैं और जनता को उनका लाभ नहीं मिल पा रहा।
राज्य की वित्तीय स्थिति : कर्ज का असर
सरकार द्वारा लिए गए कर्ज का बड़ा हिस्सा ब्याज चुकाने में खर्च हो रहा है। इससे विकास योजनाओं के लिए धन की उपलब्धता सीमित हो गई है।
बीते वर्षों में कर्ज का आंकड़ा देखें तो 2020 में मध्य प्रदेश पर 2.31 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था, जो 2021 में बढ़कर 2.52 लाख करोड़ रुपये हो गया। 2022 में यह आंकड़ा 3.04 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया और 2023 में बढ़कर 3.62 लाख करोड़ रुपये हो गया। 2024 में यह 4.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। चौंकाने वाली बात यह है कि 2025 तक यह कर्ज 4.74 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है, यानी एक ही साल में 162 हजार करोड़ रुपये की वृद्धि हो सकती है।
जनादेश का सम्मान करते हुए कांग्रेस मध्य प्रदेश में सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभा रही है और यह प्रयास भी कर रही है कि प्रदेश सरकार को राज्य के रचनात्मक विकास में पूर्ण सहयोग दे। इसी दृष्टि और दृष्टिकोण से प्रदेश के वित्तीय सुधार के लिए भी मैं सरकार को कुछ सुझाव दे रहा हूं, ताकि आर्थिक अराजकता में फंसे प्रदेश के हालात में सुधार हो सके।
01. कर्ज के उपयोग में पारदर्शिता : सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि कर्ज कहां और कैसे खर्च हो रहा है। बड़े प्रोजेक्ट्स का ऑडिट किया जाना चाहिए।
02. राजस्व बढ़ाने के उपाय : औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित किया जाए, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हों और सरकारी राजस्व बढ़े।
03. गैर-जरूरी खर्चों में कटौती :
सरकारी तामझाम, अनावश्यक योजनाओं और प्रशासनिक खर्चों में कटौती करके फंड को जनहित में लगाया जाए।
04. भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई : विकास परियोजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
मध्य प्रदेश पर बढ़ते कर्ज का बोझ चिंता का विषय है। सरकार इसे विकास और जनकल्याण के लिए जरूरी बता रही है, लेकिन कर्ज बढ़ने के बावजूद राज्य की वित्तीय स्थिति बिगड़ रही है। जनकल्याणकारी योजनाएं संकट में हैं, किसानों और बेरोजगारों को राहत नहीं मिल रही, और विकास परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। यदि जल्द ही इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में राज्य की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में आ सकती है। सरकार को चाहिए कि वह वित्तीय अनुशासन अपनाए, पारदर्शिता बढ़ाए और राजस्व बढ़ाने के नए स्रोत खोजे, ताकि राज्य की आर्थिक स्थिति को संभाला जा सके।
(लेखक मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी हैं।)