MP में नहीं थमा नवजातों की मौत का सिलसिला, 60 घंटें में 5 और बच्चों ने तोड़ा दम

Edited By meena, Updated: 05 Dec, 2020 05:12 PM

kushabhau thackeray did not stop death

शहडोल संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल में नवजातों के मौत की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। 26 नवंबर से अब तक 13 बच्चों की मौत हो चुकी है। बच्चों की मौत से शहडोल से लेकर भोपाल तक हड़कंप मचा हुआ है। एक तरफ अस्पताल...

शहडोल(अजय नामदेव): शहडोल संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल में नवजातों के मौत की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। 26 नवंबर से अब तक 13 बच्चों की मौत हो चुकी है। बच्चों की मौत से शहडोल से लेकर भोपाल तक हड़कंप मचा हुआ है। एक तरफ अस्पताल प्रबंधन पर सवाल खड़े हो रहे हैं तो दूसरी तरफ अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि यदि बच्चों को समय पर अस्पताल लाया जाए तो शायद उनकी जान बच जाती।

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जानकारी के मुताबिक, बीते 60 घंटे के अंदर 5 बच्चों की मौत हो चुकी है। शनिवार को एक और बच्चे की मौत हो गई है। बच्चे को प्राइवेट क्लीनिक से जिला अस्पताल लाया गया था। इस मामले में सिविल सर्जन का कहना है कि बच्चा मृत अवस्था में ही आया था। वहीं प्राइवेट क्लीनिक के डॉक्टर का कहना है कि बच्चा गंभीर अवस्था में जिला अस्पताल रेफर किया गया था।

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बच्चों की मौत के बढ़ते आंकड़े को देखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्य प्रदेश की संचालक छवि भारद्वाज ने शनिवार सुबह ऑनलाइन मीटिंग की, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के साथ उप संचालक स्वास्थ्य भी शामिल हुए। वहीं बिगड़ते हालातों पर काबू पाने के लिए 3 नए बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों को पदस्थ किया गया है। कलेक्टर के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर राजेश पांडे ने जयसिंहनगर में पदस्थ डॉ. राजेश तिवारी और मेडिकल कॉलेज शहडोल में पदस्थ डॉक्टर मनीष सिंह की ड्यूटी जिला चिकित्सालय के बाल्य रोग विभाग में लगाई है।

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इसके अलावा सेवानिवृत्त बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उमेश नामदेव को पुनर्नियुक्ति की शर्तों के अधीन जिला चिकित्सालय में ड्यूटी के आदेश जारी किए गए हैं। यह सभी चिकित्सक अब जिला चिकित्सालय शहडोल में अस्वस्थ बच्चों का इलाज करेंगे। साथ ही एक बार फिर से फील्ड हेल्थ वर्कर्स का ट्रेनिंग प्रोग्राम फिर से शुरू कराए जाने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत आशा, ऊषा कार्यकर्ता व एनएनएम ग्रामीण क्षेत्रों में बीमार पड़ रहे बच्चों पर विशेष नजर रखेंगे और जो बच्चा बीमार पाया जाएगा उसे चिकित्सकीय मदद उपलब्ध कराने के लिए जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाए।

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