Edited By meena, Updated: 06 Jun, 2020 07:13 PM
पूरे देश को नोबल कोरोना वायरस के चलते 22 मार्च को अचानक लॉक डाउन कर दिया गया था जिसके कारण कई श्रमिक और अन्य लोग जहां थे वहीं फंस कर रह गए थे। शासन प्रशासन द्वारा अन्य राज्यों से श्रमिकों को उनके गांव और घर पहुंचाने की हर मदद की लेकिन पन्ना के...
छतरपुर(राजेश चौरसिया): पूरे देश को नोबल कोरोना वायरस के चलते 22 मार्च को अचानक लॉक डाउन कर दिया गया था जिसके कारण कई श्रमिक और अन्य लोग जहां थे वहीं फंस कर रह गए थे। शासन प्रशासन द्वारा अन्य राज्यों से श्रमिकों को उनके गांव और घर पहुंचाने की हर मदद की लेकिन पन्ना के अजयगढ़ अंतर्गत आने वाले गांव पिस्ता के एक टोला में महाराष्ट्र से आया एक परिवार अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ लगभग 3 माह से फंसा हुआ था।
लॉक डाउन के दौरान परिवार की हालत ऐसी हो गई थी कि उनके पास खाने-पीने तक के लाले पड़े हुए थे। गांव वालों के द्वारा उन्हें कुछ खाने को दे दिया जाता तो उनका पेट भरता था वरना उन्हें भूखा ही रहना पड़ता था। ऐसे में परिवार ने घर पहुंचने की तो आस ही खत्म कर दी थी लेकिन फिर कुछ लोग पीड़ित परिवार के लिए मसीहा बनकर आए और अपने निजी खर्चे से उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया।
कोरोना काल में जब समाजसेवियों को इस मामले की जानकारी लगी तो कि एक परिवार अपने बच्चों सहित अजयगढ़ थाना अंतर्गत एक गांव में फंसा हुआ है और उसे महाराष्ट्र अपने घर जाना है तो राजकुमार वर्मा और उनके अन्य साथियों ने मिलकर परिवार की मदद की और उन्हें अपने निजी खर्चे पर वाहन उपलब्ध कराकर महाराष्ट्र अपने घर के लिए रवाना किया। इस मौके पर पीड़ित परिवार की खुशी देखते ही बन रही थी और उनकी आंखों में आंसू छलक उठे।