Edited By Himansh sharma, Updated: 25 Aug, 2025 05:07 PM

छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ की यह खबर भले ही मज़ाक जैसी लगे, लेकिन सच्चाई जानकर हैरानी के साथ गुस्सा भी आना तय है।
खैरागढ़। (हेमंत पाल): छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ की यह खबर भले ही मज़ाक जैसी लगे, लेकिन सच्चाई जानकर हैरानी के साथ गुस्सा भी आना तय है। डायरिया के बढ़ते मामलों ने खैरागढ़ के सिविल अस्पताल को मरीजों से भर दिया है, लेकिन हालात ऐसे हैं कि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को एक अदद बिस्तर तक नसीब नहीं हो रहा। अस्पताल में एक कोने का नज़ारा तो हैरान कर देने वाला था — जहाँ इंसान इलाज के लिए ज़मीन पर लेटे थे, वहीं ECG कॉर्नर में एक आवारा कुत्ता तकिए पर सिर रखकर चैन की नींद सोता मिला।
अस्पताल बना मज़ाक, इंसान बना मज़बूर
डायरिया से पीड़ित मरीज फर्श पर, स्ट्रेचर पर, या परिजनों की गोद में तड़पते नज़र आए। कई मरीज बिना चादर और बिना किसी सफाई के सीधे अस्पताल की दीवारों से सटे फर्श पर पड़े हुए थे।
इसी बीच, अस्पताल का वह ECG रूम यह बयां कर रहा था कि व्यवस्था कितनी बदहाल है — जहां तकिया किसी इंसान मरीज के लिए नहीं, बल्कि एक आवारा कुत्ते की “आरामगाह” बन चुका था।
यह नज़ारा न सिर्फ़ अस्पताल की लापरवाही उजागर करता है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।