Edited By Himansh sharma, Updated: 18 Aug, 2025 06:40 PM

प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने हाल ही में संगठन सृजन अभियान के तहत 71 जिलाध्यक्षों की घोषणा की है।
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने हाल ही में संगठन सृजन अभियान के तहत 71 जिलाध्यक्षों की घोषणा की है। इन नई नियुक्तियों के बाद से पार्टी के भीतर खींचतान खुलकर सामने आने लगी है। कहीं विरोध स्वरूप इस्तीफे हो रहे हैं तो कहीं नेताओं के पुतले दहन तक किए जा रहे हैं। इसी बीच, सभी नवनियुक्त जिलाध्यक्षों को 24 अगस्त को दिल्ली बुलाया गया है, जहां लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी उनसे सीधा संवाद करेंगे।
सीनियर नेताओं और रिश्तेदारों को मिली जिम्मेदारी
जिन जिलाध्यक्षों की घोषणा हुई है, उनमें वर्तमान विधायक, पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। कई नाम ऐसे हैं जो प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से पारिवारिक संबंध रखते हैं। वहीं कुछ जिलों में पुराने जिलाध्यक्षों को ही दोबारा कमान सौंप दी गई है। इन फैसलों को लेकर संगठन के अंदर असंतोष बढ़ रहा है और सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कांग्रेस नए चेहरों को मौका क्यों नहीं दे रही।
गुना में जयवर्धन सिंह की ताजपोशी से नाराज़गी
गुना जिले का जिलाध्यक्ष पूर्व मंत्री और विधायक जयवर्धन सिंह को बनाया गया है। लेकिन यह फैसला उनके ही समर्थकों को रास नहीं आ रहा। उनका तर्क है कि प्रदेश स्तर पर सक्रिय नेता को जिला स्तर पर जिम्मेदारी देना उचित नहीं है। विरोध स्वरूप कार्यकर्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी का पुतला जलाया।
डिंडोरी और इंदौर में भी उठी आवाजें
डिंडोरी जिले में आदिवासी चेहरा ओंकार सिंह मरकाम को जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनके समर्थक सोशल मीडिया पर खुलकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इंदौर में भी हालात कुछ अलग नहीं हैं। चिंटू चैकसे और विपिन वानखेड़े की नियुक्ति का स्थानीय स्तर पर विरोध हुआ है। यहां तो संभागीय प्रवक्ता सन्नी राजपाल ने नाराज़गी जताते हुए अपना इस्तीफा भी सौंप दिया।
आगे क्या?
कुल मिलाकर, कांग्रेस की यह कवायद संगठन को मजबूत करने के बजाय अंदरूनी खींचतान को और तेज करती दिखाई दे रही है। अब देखना यह होगा कि राहुल गांधी की मौजूदगी में होने वाला संवाद पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराज़गी को कम कर पाता है या असंतोष और गहराता है।