बेअदबी के आरोपों के बाद सिंधी समाज ने मंदिरों से हटाए गुरु ग्रंथ साहब, कहा- दोबारा विराजित करने है या नहीं हमारे संत बताएंगे

Edited By meena, Updated: 20 Jan, 2023 04:53 PM

sindhi society removed guru granth sahib from temples after allegations

इंदौर में गुरुग्रंथ साहब की बेअदबी मामले को लेकर सिख समाज और सिंध समाज का विवाद दिन प्रतिदिन तूल पकड़ता जा रहा है। दोनों ही समाज अपनी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। आने वाले दिनों में इस पर निर्णय...

इंदौर(सचिन बहरानी): इंदौर में गुरुग्रंथ साहब की बेअदबी मामले को लेकर सिख समाज और सिंध समाज का विवाद दिन प्रतिदिन तूल पकड़ता जा रहा है। दोनों ही समाज अपनी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। आने वाले दिनों में इस पर निर्णय होगा या विवाद बढ़ेगा, इस पर दोनों समाज के वरिष्ठ निर्णय लेंगे। लेकिन फिलहाल विवाद महामहिम राष्ट्रपति तक पहुंच चुका है।

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दरअसल, 19 दिसबंर को सिख समाज की संस्था शिरोमणि पंथ अकाली बुढ़ा दल का निहंगों का एक समूह इंदौर पहुंचा था। जहां वे विनय नगर के पास पार्श्वनाथ कॉलोनी में बने एक सिंधी मंदिर में गए। उनका आरोप था कि सिंधी मंदिर में श्री गुरुग्रंथ साहिब की मर्यादा का पालन नहीं किया जा रहा है। इसलिए वे ग्रंथ साहिब को देखना चाहते हैं। मंदिर बंद था तो पुजारी ने उन्हें अगले दिन आने के लिए कहा। इस पर निहंग जत्थे ने नाराजगी जताई कुछ विवाद की स्थिति भी बनी। विवाद के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इसके बाद निहंगों ने कुछ शर्ते रखी थी। जिनमें था कि शाम 6 बजे गुरु ग्रंथ साहिब का शयन कक्ष में रखना, सुबह 5 बजे वापस अपने स्थान पर रखना। यहां जो चढ़ावा आएगा उसे गुरुद्वारे में जमा कराना। खुले सिर मंदिर में नहीं आना। ऐसे कई नियम-शर्तें थी। अगर सिंधी समाज इन शर्तों को नहीं मान सकता थो वे सिखसमाज को श्री गुरुग्रंथ साहिब लौटा दें।

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इस मामले में गुरुद्वारा इमली साहिब में श्री गुरु सिंघ सभा के पदाधिकारियों से बात की गई। 6 जनवरी को प्रीतमदास सभागृह में सिंधी समाज के संतों के साथ बैठक की। इसके बाद दोनों ही समाज जनों ने चर्चा की, जिसमें तय हुआ कि 12 तारीख तक श्री गुरुग्रंथ साहिब को वे लौटा देंगे। वहीं कोई भी निहंग जत्था सिंधी मंदिर में नहीं जाएगा। लेकिन मामला और बिगड़ गया जब 9 जनवरी को राजमहल कॉलोनी स्थित पूनम दादी के आश्रम पर निहंग जत्था पहुंच गया। यहां से निहंग अपने साथ श्री गुरुग्रंथ साहिब को लेकर चले गए। इस दौरान भी विवाद की स्थिति बन गई। निहंगों ने सिंधी समाज के खिलाफ श्री गुरुग्रंथ साहब की बेअदबी का ज्ञापन भी डीआईजी को सौंपा दिया। इसमें बेअदबी के आरोप लगाए गए। इसका वीडियो भी वायरल हो गया। मामले ने तूल पकड़ लिया सिंधी समाज ने 12 जनवरी के बजाए 11 जनवरी को ही शहर भर से 92 श्री गुरुग्रंथ साहिब को गुरुद्वाराइमली साहिब को लौटा दिए।

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सिंधी समाज का कहना है कि सिख समाज द्वारा गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर पंजाब से एक दल इंदौर आया था जहां पुलिस कमिश्नर कार्यालय पर सिंधी समाज द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब के साथ की जा रही बेअदबी को लेकर ज्ञापन सौंपा था जिसको लेकर गुरुवार को इंदौर के समस्त सिंधी समाज के मंदिरों कई वर्षों से विराजमान करीब 90 से अधिक श्री गुरुग्रन्थ साहिब जी के स्वरूपों को इंदौर सिंधी समाज के संत महात्माओं और समाज के प्रमुख लोगों ने नम आंखों और दुखी मन से इमली साहिब गुरुद्वारे में श्री गुरुद्वारा साहिब जी के प्रमुख सेवादारों को सौंप दिया। वही पर हमारे सिंधी समुदाय के समाजजन द्वारा पूर्वजों से परंपरा चली आ रही अनुसार श्री गुरुनानक देवजी और श्री गुरुग्रन्थ साहब जी में अपनी आस्था एवं भक्ति और विश्वास से अपने धर्म का पालन कर रहे हैं। सिंधी समाज का कहना है कि पंजाब से आए सिख समाज के लोगों ने सिंधी समाज के खिलाफ बातें कही गई जिसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसके कारण सिंधी समाज आहत हुआ हैं। और इसी को लेकर 11 और 12 जनवरी को इंदौर के 90 सिंधी परिवारों द्वारा श्री इमली साहिब गुरुद्वारे में सम्मान के साथ श्री गुरुग्रंथ साहिब के स्वरूपों को गुरुद्वारे के सेवादारों को सौंप दिया। वही चार गुरुग्रंथ साहिब खंडवा जिले से भी लाई गई थी।

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मामले पर सिख समाज का कहना है सैकड़ों वर्षों से सिंधी समाज द्वारा श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पूजा की जा रही है। हालांकि इस दौरान सिख समाज के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था जिसके चलते सिंधी समाज को नियमों को लेकर कहा गया था। वहीं श्री गुरु सिंघ सभा के पदाधिकारी मनजीत सिंह भाटिया का कहना है कि- सिंधी समाज के संतों के डेरे और आश्रमों में पंजाब से कमेटी के लोग आए थे। गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश करना है तो कैसे रखना है, उन पर चावल साहब, रुमाला साहब होना चाहिए, चंदोआ साहब, पालकी साहब होना चाहिए। आसपास कोई मूर्ति नहीं होना चाहिए, फोटो नहीं होना चाहिए। ये सारी चीजें कमेटी के लोगों ने देखी। मगर डेरों और आश्रमों में कई कमियां पाई गई। एक ही जगह 10-11 बाबा जी के स्वरूप पाए गए, जिनका प्रकाश ही काफी वक्त से नहीं किया गया। दादा- परदादा के वक्त से उनके पास श्री गुरुग्रंथ साहिब रखे हैं। इस मामले में सिंधी समाज के लोगों के साथ मीटिंग की। सभी से सहमति ली गई है। बहुत पुराने गुरुग्रंथ साहिब को श्री गुरु द्वारा इमली साहिब में जमा कराए गए। अब हमने उन्हें कहा है कि हम उन्हें नए गुरुग्रंथ साहिब का स्वरुप कमेटी के माध्यम से देंगे। सिर्फ समस्या यह थी कि एक ही आश्रम में कई स्वरुप थे, वो जमा करा दिए है। मगर इसका प्रचार गलत हुआ है, जिससे सिंधी समाज नाराज हो गया। दिन प्रतिदिन दोनों समाज अपनी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। फिलहाल मामला महामहिम राष्ट्रपति तक पहुंच चुका है।

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वहीं अखिल भारतीय सिन्धू संत समाज ट्रस्ट ने महामहिम राष्ट्रपति व पीएम मोदी को लेटर लिखा है। इसमें सिंधी सनातनी मंदिरों में सिख समाज का अनाधिकृत तौर पर हस्तक्षेप कर डराने धमकाने के विषय पर लिखा गया है। सिंधी धर्मगुरु और महामंडलेश्वर हंसराम उदासीन हरिशिवा उदासीन आश्रम, सनातन मंदिर आश्रम भीलवाड़ा और अभा सिंधु संत समाज के पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि हम मर्यादा के साथ ही गुरुग्रंथ साहिब का आदर और पूजन करते हैं, लेकिन निहंगों ने कहा कि मंदिर में गुरुग्रंथ साहिब के अलावा अन्य सभी ग्रंथों व मूर्तियों को हटा देवें। यह कैसे संभव है, हम सनातनी हैं। इसीलिए गुरुग्रंथ साहिब गुरुद्वारा इमली साहिब में जमा करा दिए गए हैं। हम विवाद नहीं चाहते। उनका कहना है कि गुरुग्रंथ साहिब के साथ ठाकुरजी, देवी-देवताओं की प्रतिमा, रामायण, भगवदगीता भी हमारे मंदिरों में रखते हैं। निहंग चाहते हैं कि सिंधी मंदिरों में यदि गुरुग्रंथ साहिब है तो अन्य कोई मूर्ति या ग्रंथ नहीं रखें। उन्हें हटवाने की कोशिशें की जा रही हैं, इस पर हमें ऐतराज है। वे हमारी मूर्तियों को पत्थर का बुत कहते हैं, हम ये कैसे सुन लेंगे। मंदिर से मूर्तियां नहीं हटाने पर उठाकर ले जाने की धमकियां भी दी हैं। वे तलवार, डंडे लेकर आते हैं तो लोग डर जाते हैं। उनका आरोप है कि निहंगों का जत्था अचानक मंदिर में आ घुसता है। जब उनसे परिचय पूछा जाता है तो वे न आईडी दिखाते हैं, न नाम बताते हैं। इसी से विवाद की स्थिति बनती है।

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