29 साल की कानूनी लड़ाई के बाद सोया प्लांट के श्रमिकों को जगी न्याय मिलने की उम्मीद

Edited By meena, Updated: 07 Feb, 2023 06:18 PM

soya plant workers hope for justice after 29 years of legal battle

इंदौर रोड स्थिति सोयाबीन प्लांट में कार्यरत 3 श्रमिकों को 29 साल श्रम न्यायालय में कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद अब न्याय मिलने की उम्मीद जगी है

हरदा (राकेश खरका) : इंदौर रोड स्थिति सोयाबीन प्लांट में कार्यरत 3 श्रमिकों को 29 साल श्रम न्यायालय में कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद अब न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। श्रम न्यायालय नर्मदापुरम ने कलेक्टर हरदा को प्लांट प्रबंधन से लाखों रुपए की वसूली करने के लिए आरआरसी जारी कर निष्पादन सुनिश्चित कराने के आदेश दिए हैं। इसके बाद कलेक्टर की ओर से तहसीलदार को कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए है। इन कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने जनसुनवाई में कलेक्टर को आवेदन देकर प्लांट प्रबंधन से राशि दिलाने की गुहार भी लगाई है। यदि कलेक्टर के माध्यम से हो रही कार्रवाई से वसूली होती है तो इन कर्मचारियों को 15-15 लाख रुपए से अधिक राशि मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।

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श्रमिक 1994 से लगा रहे न्यायालय के चक्कर

सिद्धार्थ सोया प्रोडेक्ट लिमिटेड में 1993 में हुए विस्फोट में एक श्रमिक की मौत होने के साथ ही अन्य कर्मचारी घायल हो गए थे। मृतक के आश्रितों और घायलों को उचित मुआवजा व अन्य समस्याओं को लेकर कर्मचारियों ने 1994 में सोया कर्मचारी यूनियन इंटक का गठन कर पंजीयन कराया था। इससे नाराज प्रबंधन ने दुर्भावना पूर्वक यूनियन के महामंत्री सुरेश और मंत्री असलम को नौकरी से निकाल दिया। तब इन्होंने श्रम न्यायालय में प्रकरण दर्ज कराया। इसके 10 साल बाद 2004 में श्रम न्यायालय ने आदेश जारी कर कर्मचारियों को फुल बैक बैजेस के साथ बहाल करने के आदेश दिए थे। प्लांट प्रबंधन ने इस आदेश के खिलाफ औद्योगिक न्यायालय भोपाल में अपील की। औद्योगिक न्यायालय ने 75 प्रतिशत बैक बैजेस के साथ पुन: स्थापना के आदेश दिए।

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इस आदेश के खिलाफ भी प्रबंधन ने उच्च न्यायालय जबलपुर में अपील कर दी। इस दौरान प्रबंधन की ओर से औद्योगिक अधिनियम का पालन करते हुए कर्मचारियों का कुछ माह तक वेतन दिया जाता रहा। इसके बाद 2009 में यूनियन के अध्यक्ष संदीप शर्मा सहित दोनों कर्मचारियों का तबादला नियम विरूद्ध तरीके से कोटा और अकोला कर दिया गया। जिसे श्रम न्यायालय नर्मदापुरम ने 2019 में अवैध और अनुचित घोषित करते हुए पुन: हरदा प्लांट में स्थापित करने के आदेश दिए। लेकिन प्रबंधन ने न तो पुराने वेतन का भुगतान किया और न ही कर्मचारियों को काम पर रखा। तब कर्मचारियों ने श्रम न्यायालय नर्मदापुरम में केस दायर कर करीब 10-10 लाख रुपए का वेतन दिलाए जाने की मांग की। जिस पर श्रम न्यायालय ने 30 सितंबर 22 को आदेश जारी कर कलेक्टर के माध्यम से श्रीनाथ जी सालवेक्स और नोबल गे्रन इंडिया प्राइवेट लिमी से वसूली के लिए आरआरसी जारी कर वसूली निष्पादन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए है। यूनियन अध्यक्ष शर्मा ने बताया कि इसके अलावा वर्तमान तक का करीब 5 लाख रुपए का वेतन भी प्लांट प्रबंधन पर बकाया है। इसकी वसूली के लिए भी श्रम न्यायालय में केस दर्ज किया जाएगा।

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