Edited By Vikas Tiwari, Updated: 22 Aug, 2025 04:14 PM

धरती पर जब-जब अधर्म बढ़ा, तब-तब भगवान विष्णु ने अपने अवतारों के माध्यम से संतुलन स्थापित किया। इन्हीं अवतारों में से एक हैं परशुराम, जिन्हें ‘अमर अवतार’ भी कहा जाता है। लेकिन आज भी उनके जन्मस्थान को लेकर संशय बना हुआ है।
भोपाल: धरती पर जब-जब अधर्म बढ़ा, तब-तब भगवान विष्णु ने अपने अवतारों के माध्यम से संतुलन स्थापित किया। इन्हीं अवतारों में से एक हैं परशुराम, जिन्हें ‘अमर अवतार’ भी कहा जाता है। लेकिन आज भी उनके जन्मस्थान को लेकर संशय बना हुआ है।

जानापाव की पवित्र पहाड़ी
इंदौर से कुछ ही दूरी पर, मालवा की वादियों में बसी जानापाव की पहाड़ी को परशुराम का जन्मस्थल माना जाता है। 854 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह पर्वत केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि प्राकृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे सप्तनदी का उद्गम भी कहा जाता है। यहां प्राचीन शिव मंदिर है, जहां मान्यता है कि परशुराम का जन्म हुआ था।
परशुराम बनाने की तैयारी में मोहन मध्यप्रदेश सरकार...
मध्य प्रदेश सरकार ने यहां परशुराम लोक बनाने की योजना तैयार की है। मूर्तियों की स्थापना, ध्यान केंद्र, हर्बल गार्डन, कुंड का जीर्णोद्धार... सब मिलकर इस स्थल को भव्य धार्मिक पर्यटन स्थल में परिवर्तित कर रहे हैं। हर वर्ष परशुराम जयंती पर यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
शाहजहांपुर का जलालाबाद बना ‘परशुरामपुरी’
दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले का कस्बा जलालाबाद भी स्वयं को परशुराम की जन्मस्थली कहता है। यहां का प्राचीन परशुराम मंदिर इसकी गवाही देता है। लंबे समय से कस्बे का नाम बदलने की मांग उठ रही थी। हाल ही में यूपी सरकार ने इसे आधिकारिक रूप से परशुरामपुरी नाम दे दिया। दिलचस्प बात यह है कि जलालाबाद का नाम कभी मुगल बादशाह जलालुद्दीन के नाम पर रखा गया था।
सोमनाथ की दावेदारी
इतना ही नहीं, गुजरात के सोमनाथ को भी परशुराम की जन्मस्थली कहा जाता है। समुद्र तट पर स्थित सोमनाथ में परशुराम से जुड़े अनेक पौराणिक प्रसंग और कथाएं प्रचलित हैं।