Edited By meena, Updated: 30 Sep, 2021 04:41 PM
जिस देश का बचपन भूखा होगा उस देश की जवानी क्या होगी। ये लाइनें उस मासूम पर चरितार्थ हो रही है जो वाल्यावस्था से ही घरपरिवार का पेट पालने के लिए दो वक्त की रोटी को दर दर भटकना पड़ रहा हो जिसकी खेलने खाने और पढ़ने की उम्र हो उसको चाय बेचकर लाचार मां...
रायसेन(नसीम अली): जिस देश का बचपन भूखा होगा उस देश की जवानी क्या होगी। ये लाइनें उस मासूम पर चरितार्थ हो रही है जो वाल्यावस्था से ही घरपरिवार का पेट पालने के लिए दो वक्त की रोटी को दर दर भटकना पड़ रहा हो जिसकी खेलने खाने और पढ़ने की उम्र हो उसको चाय बेचकर लाचार मां बाप और अपनी बहनों के पेट के लिये कम उम्र में मजबूर होना पड़ रहा हो।
हाथ में चाय की बोतल पकड़कर सड़क पर घूम रही इस बच्ची को देखकर प्रदेश सरकार की लाडली लक्ष्मी योजना की याद आ जाती है। आठ साल की इस बच्ची का नाम रानीलोधी है जो फर्स्ट क्लास में पढ़ती है।
उसके पिता कमलेश लोधी का एक्सीडेंट हो जाने के कारण उसे चाय बेचना पड़ रहा है। रानी ने बताया कि वे 5 बहनें हैं गरीब हैं कही से कोई सहायता नहीं मिल रही है। पिता कमलेश लोधी का 15 दिन पहले गाय से टकराकर एक्सीडेंट हो गया था जिनका इलाज भोपाल में जारी है और डेमैज हुए दोनों पैरों का आपरेशन होना है।
पिता के एक्सीडेंट के बाद घर की जिम्मेदारी मां और आठ साल की मासूम ने उठायी है। लोग सहानुभूति दिखाकर बच्ची से चाय तो लेते है पर मदद करने कोई आगे अभी तक नहीं आया।