हिंदू लड़के और मुस्लिम लड़की की शादी का विरोध कर रहे परिजन, कपल ने ली कोर्ट की शरण, जानिए क्या आया फैसला

Edited By meena, Updated: 09 Feb, 2025 07:22 PM

gwalior court s decision on marriage of hindu boy and muslim girl

क्या हिन्दू व्यक्ति किसी मुस्लिम युवती से विवाह कर सकता हैं?

ग्वालियर (अंकुर जैन) : क्या हिन्दू व्यक्ति किसी मुस्लिम युवती से विवाह कर सकता हैं? इस मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने शिवपुरी करैरा के प्रेमी युगल को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि परिजनों ने पुलिस में जो भी शिकायत दर्ज की है। पहले उसकी प्रारंभिक जांच की जाए और याचिकाकर्ताओं के बयान भी दर्ज किए जाएं।

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ये है पूरा मामला   

दरअसल लिव-इन में रह रही मुस्लिम युवती और हिंदू युवक ने हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में एक याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया कि वे एक दूसरे से प्रेम करते हैं और जल्द ही शादी करने वाले हैं। लेकिन दोनों के धर्म अलग होने के कारण उनके परिजन उनके रिश्ते से खुश नहीं है। उनकी जान को खतरा भी है।

एडवोकेट अनिल मिश्रा ने बताया युवक की आयु 21 साल और युवती की 20 वर्ष है। दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में हैं और जल्द ही शादी करने वाले हैं। दोनों के धर्म अलग है इसलिए परिजन रिश्ते का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में दोनों ने जान को खतरा बताया और पुलिस प्रोटेक्शन की मांग करते हुए याचिका दायर की गई हैं। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस पर सवाल पूछा कि मुस्लिम युवती की गैर मुस्लिम युवक से शादी संभव है? इस पर कोर्ट द्वारा बताया गया कि ऐसा विवाह अनियमित विवाह की श्रेणी में आएगा, लेकिन उसे शून्य नहीं माना जाएगा। शासकीय अधिवक्ता रविंद्र दीक्षित ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता को प्रोटेक्शन देने के लिए पुलिस अधिकारियों से संपर्क करते हैं, तो उन्हें सुरक्षा प्रदान कराई जाएगी।

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सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने एसपी शिवपुरी को निर्देश दिया कि यदि याची उनसे संपर्क करें और स्पेशल मैरिज एक्ट में विवाह पंजीयन कराने की मंशा जताए। ऐसी स्थिति में जब याची मैरिज अधिकारी के पास विवाह पंजीयन के संबंध में जाएं तो उन्हें पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई जाए। एसपी शिवपुरी ये सुनिश्चित करें कि घर से मैरिज अधिकारी के पास जाने तक और वहां से घर पहुंचने तक पुलिस के जवान उनकी सुरक्षा में रहें। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि याची के परिजनों ने यदि कोई शिकायत दर्ज कराई है तो पहले उसकी प्रारंभिक जांच की जाए, याचिकाकर्ताओं के बयान दर्ज किए जाएं। इसके उपरांत ही कुछ कार्रवाई की जाए। इसके उपरांत ही कुछ कार्रवाई की जाए। दोनों की सुरक्षा निश्चित की जाए और कोई अनहोनी न ये तय किया जाए।

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