दीपावली पर सैकड़ों लोगों ने अपने खून से जलाए दीपक, स्मृति इरानी और दिग्विजय सिंह को याद दिलाया वादा

Edited By meena, Updated: 21 Oct, 2025 02:39 PM

hundreds of people lit lamps with their blood on diwali

जब पूरा मध्यप्रदेश दीपावली की रौनक में नहाए थे और नर्मदा तट के गौरीघाट पर 51 हजार दीप जलाए जा रहे थे...

जबलपुर : जब पूरा मध्यप्रदेश दीपावली की रौनक में नहाए थे और नर्मदा तट के गौरीघाट पर 51 हजार दीप जलाए जा रहे थे, उसी समय जबलपुर से 45 किलोमीटर दूर सिहोरा में कुछ लोगों ने खून से दीपक जलाए। दरअसल, अपने खून से दीपक जलाकर सरकार से सवाल कर रहे थे कि कब बनेगा सिहोरा जिला। यह आंदोलन लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति के आह्वान पर हुआ। सैकड़ों लोगों ने अपने शरीर से रक्त निकालकर उसे दीपक में भरकर जलाया। आंदोलनकारियों का कहना था कि यह सिर्फ विरोध नहीं बल्कि सिहोरा की उपेक्षा और वर्षों की अनदेखी के खिलाफ पीड़ा और आत्मबलिदान का प्रतीक है।

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सिहोरा को जिला बनाने की मांग दशकों पुरानी है। 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस प्रस्ताव पर सहमति दी थी, लेकिन चुनावी आचार संहिता और बाद में सत्ता परिवर्तन के कारण यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। आंदोलन समिति ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार जल्द कदम नहीं उठाती तो आंदोलन और उग्र रूप लेगा। समिति के संयोजक अनिल जैन ने कहा कि 26 अक्टूबर को भूमि समाधि सत्याग्रह के तहत अगला चरण शुरू होगा। आंदोलनकारियों ने सरकार से कहा कि उनके जले हुए खून के दीप सिर्फ विरोध नहीं बल्कि वर्षों की अनदेखी और सिहोरा की वेदना का प्रतीक हैं। प्रदर्शन के दौरान मोहन सरकार पर ‘वादा निभाओ’ के नारे लगाए गए।

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पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने विधानसभा चुनावों के दौरान सिहोरा को जिला बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक यह सपना पूरा नहीं हुआ। दीपावली की रात जले इन खून के दीपों ने एक बार फिर सरकार से यह सवाल उठाया कि सिहोरा कब अपना जिला बनने का सपना साकार करेगा।

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