Edited By meena, Updated: 21 Oct, 2020 05:40 PM
नवरात्रि के दिन हो और मां के दरबार पर भक्तों की भीड़ न हो ऐसा संभव नहीं है। लेकिन छत्तीसगढ़ के सरगुंजा में एक ऐसा मंदिर है जहां साल भर मंदिर में चहल पहल बनी रहती है। खास बात चहल पहल इंसानों से कहीं ज्यादा जानवरों की होती है। जहां इंसानों से ज्यादा...
सरगुंजा(वेद तिवारी): नवरात्रि के दिन हो और मां के दरबार पर भक्तों की भीड़ न हो ऐसा संभव नहीं है। लेकिन छत्तीसगढ़ के सरगुंजा में एक ऐसा मंदिर है जहां साल भर मंदिर में चहल पहल बनी रहती है। खास बात चहल पहल इंसानों से कहीं ज्यादा जानवरों की होती है। जहां इंसानों से ज्यादा कबूतर, हाथी, वन पक्षी देखने को मिलते हैं। आस्था, श्रद्धा और विश्वास की इस देवी का नाम है वन देवी।
कोरोना काल के दौरान नवरात्रि के इस पावन पर्व में देवी देवताओं के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति देखते ही बनती है। एक ओर वैश्विक महामारी कोरोना का दौर है तो वहीं दूसरी तरफ भक्तों की देवी मां के लिए अटूट भक्ति लेकिन वनदेवी के मंदिर के मंदिर में भक्तों की आस्था सिर चढ़कर बोल रही है। वनदेवी का यह अद्भुत मंदिर अंबिकापुर शहर से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
15 एकड़ वनों से घिरा हुआ वनदेवी के मंदिर में न जाने कितने श्रद्धालु मन की मनोकामना लेकर आते है और मनोकामना पूरी होने के बाद भेंट चढ़ाते हैं। यहां के पुजारी का कहना है कि वन देवी की उत्पत्ति आकस्मिक हुई है। देवी मंदिर में श्रद्धालु की मनोकामनाएं लेकर आते हैं और पूरी होने पर देवी को सप्रेम भेंट चढ़ाते हैं।
वनदेवी मंदिर के बाजू में एक विशाल पत्थर है जो हूबहू हाथी के जैसा दिखाई देता है। स्थानीय लोग इसे हाथी पखना कहते हैं। पत्थरों से निकली हुई वन देवी की प्रतिमा में लोगों की भारी आस्था है, जिसके कारण हर साल नवरात्र में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। हालांकि इस बार वैश्विक महामारी के चलते लोगों की भीड़ कम जरुर हुई है बावजूद लोगों की श्रद्धा और आस्था वनदेवी मंदिर में देखने को बनती है।
वन देवी मंदिर को फिर से पहचान देने के लिए वन विभाग ने अवैध लकड़ी की कटाई पर रोक लगाया और 15 एकड़ के मैदान में वृक्षारोपण कराकर वन तैयार कर दिया जिसके कारण आज शहरी और ग्रामीणों क्षेत्रों के भक्तों का आना-जाना लगा रहता है।