सुकून के लिए छोड़ी लाखों की जॉब, इंजीनियर बन गया चायवाला

Edited By meena, Updated: 04 Sep, 2020 03:53 PM

job left for peace engineer becomes chaiwala

कोरोना काल के दौरान जहां लाखों युवा रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं, वहीं मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में एक शख्स ने सुकून के लिए अपनी सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़ चाय का ठेला लगाकर व्यापार शुरु किया है। उसका मानना है कि इस दौड़ भाग भरी जिंदगी में...

छिंदवाड़ा: कोरोना काल के दौरान जहां लाखों युवा रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं, वहीं मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में एक शख्स ने सुकून के लिए अपनी सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़ चाय का ठेला लगाकर व्यापार शुरु किया है। उसका मानना है कि इस दौड़ भाग भरी जिंदगी में हर एक शख्स अपनी जिंदगी में सिर्फ यही चाहत रखता है कि वो जो भी काम कर उसमें उसे सुकून मिले। इस सुकून के ही लिए उसने चाय की दुकान खोल ली और आत्मनिर्भर बन गए। मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी करने वाले अंकित नागवंशी लाखों कमाते थे, लेकिन वहां उन्हें वो सुकून नहीं मिला जिसकी उन्हें तलाश थी, इसलिए उन्होंने शहर के ELC चौक में खुद का चाय का ठेला लगाकर व्यापार शुरु किया है, जिसका नाम है 'इंजीनियर चायवाला'।
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पैसा तो था लेकिन सुकून नहीं...
मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी करने वाले अंकित नागवंशी ने बताया कि मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने के बाद वे लाखों कमाते थे और अब तक उन्होंने पैसा तो बहुत कमाया लेकिन उन्हें सुकून नहीं मिला। खुद के काम करने में अपना एक अलग रुतबा रहता है, फिर चाहे काम बड़ा हो या छोटा। इसलिए उन्होंने चाय की दुकान से शुरुआत की है।

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ऐसे मिली प्रेरणा
अंकित नागवंशी ने बताया कि इस काम की प्रेरणा उन्हें चाय बेचने वालों से मिली। जब वह ऑफिस काम करने जाते थे तो वहां पर उनके टेबल में रोजाना दो टाइम चाय आती थी। जब वह चाय बेचने वालों से उनकी कमाई के बारे में पूछते तो उनकी कमाई लाखों में होती थी। ऐसे में अंकित नागवंशी ने सोचा कि जब दूसरों की नौकरी करके भी उनसे कम ही कमाना है तो क्यों ना खुद का अपना व्यापार शुरू किया जाए।

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कुछ तो लोग कहेंगे,लोगों का काम है कहना
अंकित नागवंशी का कहना है कि जब उन्होंने इस ठेले में चाय की दुकान खोलने की सोची तो उन्हें भी लगा था कि लोग क्या कहेंगे। अच्छी खासी जॉब छोड़कर ठेला लगाने का फैसला बहुत बड़ी बात थी। लेकिन लोग सिर्फ दूसरों के बारे में बात कर सकते हैं। जब परेशानियां सामने आती हैं तो उससे खुद को ही जूझना पड़ता है। इसलिए कभी भी कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। मैंने अपनी शुरुआत ठेले से की है जिसे मैं एक रेस्टोरेंट का रूप दूंगा।

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टाइम के पाबंद है
अंकित भले ही अंकित ने काम बदल लिया हो लेकिन काम करने का ढंग वहीं अफसरों वाला है। अंकित अपने हुनर का चाय की दुकान में भी बखूबी इस्तेमाल करते हैं। बकायदा मोबाइल की घड़ी में देखकर चाय की टाइमिंग फिक्स करते हैं और उस हिसाब से ही चाय को पकाते हैं। उन्होंने अपनी दुकान का नाम इंजीनियर चायवाला रखा है और अलग-अलग तरह की चाय के साथ ही उन्होंने अपनी कहानी भी लिखी है कि उन्होंने दुकान क्यों खोली और किन-किन संस्थानों में वे अब तक नौकरी कर चुके हैं।

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लोग खुद पर हों निर्भर
इंजीनियर चायवाला अंकित नागवंशी कहते हैं कि जरा-सी असफलता में कई लोग खासतौर पर युवा गलत रास्ते पर चले जाते हैं। यहां तक कि लोग अपनी जिंदगी भी खत्म कर लेते हैं। कभी भी लोगों को खुद पर से भरोसा नहीं खोना चाहिए बल्कि आत्मनिर्भर बनना चाहिए। इंजीनियर चायवाला अंकित नागवंशी ने उन लोगों के लिए मिसाल कायम की है जो दिनभर की भागदौड़ भरी जिंदगी में अपना सुकून खो रहे हैं और अपने सपनों को पूरा करने के पीछे भाग रहे हैं।

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