देश में पहली बार MP के पन्ना टाइगर रिजर्व में शुरू हुआ गिद्धों का रेडियो टैगिंग

Edited By meena, Updated: 28 Nov, 2020 05:20 PM

radio tagging of vultures started in panna tiger reserve

पन्ना टाइगर रिजर्व न सिर्फ बाघों बल्कि गिद्धों के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। पर्यावरण के सफाई कर्मी कहलाने वाले गिद्धों पर अध्ययन के लिए यहां बाघों की तर्ज पर उनकी भी रेडियो टैगिंग की जा रही है। देश में गिद्धों की रेडियो टैगिंग का यह अनूठा और...

पन्ना(टाइगर खान): पन्ना टाइगर रिजर्व न सिर्फ बाघों बल्कि गिद्धों के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। पर्यावरण के सफाई कर्मी कहलाने वाले गिद्धों पर अध्ययन के लिए यहां बाघों की तर्ज पर उनकी भी रेडियो टैगिंग की जा रही है। देश में गिद्धों की रेडियो टैगिंग का यह अनूठा और महत्वपूर्ण प्रयोग पहली बार हो रहा है। इसका उद्देश्य गिद्धों के रहवास, प्रवास के मार्ग एवं पन्ना लेण्डस्केप में उनकी उपस्थिति आदि की जानकारी जुटाना है। भविष्य में इनके बेहतर प्रबंधन में मदद मिल सके। गिद्धों की रेडियो टैगिंग का कार्य भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून से आए विशेषज्ञों की टीम की देखरेख में किया जा रहा है।

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आसमान में ऊंची उड़ान भरते हुए मरे हुए जानवर की गंध सूंघ लेने और उसे देख लेने की गजब की क्षमता वाले पक्षी गिद्ध के प्रवास मार्ग हमेशा से ही वन्यप्राणी प्रेमियों के लिये कौतूहल का विषय रहे हैं। गिद्ध न केवल एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश बल्कि एक देश से दूसरे देश, मौसम अनुकूलता के हिसाब से प्रवास करते है। गिद्धों के रहवास एवं प्रवास के मार्ग के अध्ययन हेतु पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के विशेषज्ञों की मदद से गिद्धों की रेडियो टैगिंग का कार्य प्रारंभ किया गया है। जिसके अन्तर्गत पन्ना टाइगर रिजर्व में 25 गिद्धों को रेडियो टैगिंग किया जाएगा।

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फील्ड डायरेक्टर की माने तो पन्ना में गिद्धों की 7 प्रजातियां पाई जाती है। जिनमें से 4 प्रजातियां पन्ना टाइगर रिजर्व की निवासी प्रजातियां है एवं शेष 3 प्रजातियां प्रवासी हैं। रेडियो टैगिंग कार्य के लिए भारत सरकार से आवश्यक अनुमति प्राप्त हो चुकी है। रेडियो टैगिंग से गिद्धों के रहवास, प्रवास के मार्ग एवं पन्ना लेण्डस्केप में उनकी उपस्थिति आदि की जानकारी ज्ञात हो सकेगी। जिससे भविष्य में इनके प्रबंधन में काफी मदद मिलेगी। पन्ना टाइगर रिजर्व अंतर्गत झालर के घास मैदान में यह कार्य प्रारंभ किया गया है। गिद्धों को पकड़ने के लिए वहां एक बड़ा सा पिंजरा बनाया गया है। रेडियो टैगिंग कार्य लगभग एक माह में पूरा होगा।

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बता दें की देश में यह पहला अवसर है जब गिद्धों के अध्ययन हेतु उनकी रेडियो टैगिंग का कार्य किया जा रहा है। पार्क प्रबंधन इसकी सफलता को लेकर आश्वस्त है एवं यह प्रयोग सफल हो इस इस दिशा में सभी संभव प्रयास भी कर रहा है। पन्ना में टाइगर रिजर्व में गिद्धों की जितनी प्रजातियां पाई जाती हैं किसी और टाइगर रिजर्व में उतनी प्रजातियां नहीं मिलती हैं। इसलिए पन्ना का चयन इस प्रयोग के लिए किया गया है। 

 

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