Edited By meena, Updated: 19 Dec, 2020 02:48 PM
2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कालेधन के लेनदेन के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर एफआईआर के आदेश के बाद अब ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों के नाम सामने आए हैं। इसके बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है। अब कांग्रेस नेताओं ने कार्रवाई को लेकर...
भोपाल: 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कालेधन के लेनदेन के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर एफआईआर के आदेश के बाद अब ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों के नाम सामने आए हैं। इसके बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है। अब कांग्रेस नेताओं ने कार्रवाई को लेकर सवाल उठाने शुरु कर दिए हैं। कांग्रेस का कहना है कि कमलनाथ की तरह अब सिंधिया समर्थकों पर कार्रवाई होगी वे बीजेपी में आने के बाद पवित्र हो गए हैं?
कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने ट्वीट कर लिखा है कि कमलनाथ जी को बदनाम करने की साजिश लोकसभा चुनाव के पहले ही रची गई थी, आयकर विभाग के छापों में कुछ भी नहीं मिला, CBDT की कपोलकल्पित रिपोर्ट में शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थक दो मंत्रियों, समर्थन दे रहे कई विधायकों के भी नाम आये हैं, क्या उन पर भी FIR होगी? वे BJP में आने के बाद पवित्र हो गए हैं?
कमलनाथ सरकार के दौरान पड़े आयकर विभाग छापों को लेकर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, सीबीडीटी की रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में आए दिन नए नए खुलासे हो रहे है। अब इसमें सिंधिया समर्थकों का जिक्र होना बताया जा रहा है। साथ ही तीन आईपीएस अधिकारियों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, बिसाहूलाल सिंह, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, प्रद्युम्न सिंह तोमर, सज्जन सिंह वर्मा समेत 50 से अधिक वर्तमान विधायकों व नेताओं के नाम भी खुलासा हुआ है। साथ ही सिंधिया समर्थक जो अब भाजपा में शामिल है कई नेताओं का नाम भी है।
इनमें इमरती देवी, गोविंद सिंह राजपूत और खनिज विभाग मंत्री प्रदीप जायसवाल के साथ साथ बिसाहूलाल सिंह, प्रद्युम्न सिंह तोमर, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, एदल सिंह कंसाना, गिर्राज दंडोतिया, रक्षा संतराम सिरोनिया, प्रद्युम्न लोधी, राहुल लोधी, नारायण सिंह पटेल, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव, सुमित्रा देवी कास्डेकर, मनोज चौधरी, बसपा के रामबाई और संजीव सिंह कुशवाह .का नाम भी शामिल है। सूत्रों की मानें तो मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार को यह रिपोर्ट सौंप दी है और अब राज्य सरकार जल्द ही केस ईओडब्ल्यू को सौंप सकती है, ताकी आगे की जांच की जा सके, हालांकि इससे पहले विधि विभाग में रिपोर्ट को भेजे जाने की संभावना जताई जा रही है।