Edited By meena, Updated: 16 Aug, 2025 08:20 PM

भारत देश में अनगिनत मंदिर है, जिनसे लोगों की न केवल आस्था से जुड़ी है...
बलौदाबाजार: भारत देश में अनगिनत मंदिर है, जिनसे लोगों की न केवल आस्था से जुड़ी है, बल्कि उनका इतिहास भी बेहद अनोखा है। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के नारायणपुर गांव में भी एक ऐसा ही प्राचीन शिव मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में भाई और बहन एक साथ दर्शन करने नहीं जाते। यह परंपरा सिर्फ आस्था नहीं बल्कि एक इतिहास से भी जुड़ी हुई है।
ग्रामीणों और बुजुर्गों के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण लगभग छह महीने तक रात के समय किया गया था। मंदिर का शिल्पकार नारायण नामक एक जनजातीय कारीगर था, जो रात में निर्वस्त्र होकर गुप्त रूप से मंदिर निर्माण करता था। प्रतिदिन उसकी पत्नी उसे भोजन देने आती थी। लेकिन एक दिन किसी कारणवश उसकी बहन भोजन लेकर पहुंच गई। बहन को देखकर शिल्पकार नारायण शर्म से भर गया और तत्काल मंदिर के कंगूरे से कूदकर अपनी जान दे दी।
उस घटना के बाद से आज तक यह मान्यता बनी हुई है कि अगर कोई भाई-बहन एक साथ इस मंदिर में जाते हैं तो बुरा हो सकता है। गांव में आज भी इस परंपरा का पूरी श्रद्धा से पालन किया जाता है। लोग इसे लोक आस्था और पूर्वजों के अनुभवों से जुड़ा मानते हैं। मंदिर की दीवारों पर कई जगह विचित्र मूर्तियां भी उकेरी गई हैं, जो उस समय की शिल्पकला और संस्कृति को दर्शाती हैं। कुछ लोग भाई-बहन के एक साथ मंदिर न जाने के पीछे इन मूर्तियों की उपस्थिति को भी कारण मानते हैं।

इतिहासकारों और ग्रामीणों की मानें तो इस मंदिर का निर्माण कलचुरी वंश के राजाओं द्वारा 10वीं शताब्दी में कराया गया था। यह पूर्वाभिमुखी शिव मंदिर है, जो लाल और काले बलुआ पत्थरों से बना हुआ है। मंदिर में उन्नत वास्तुकला, बेहतरीन नक्काशी, और शिल्पों की बारीक प्रस्तुति देखने को मिलती है। यह उस दौर की स्थापत्य कला की उत्कृष्टता को दर्शाता है।