दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी टूटी, शरीर के आधे हिस्से ने छोड़ा साथ! फिर भी नहीं हारी हिम्मत, तलवारबाज़ी में बनी गोल्ड मेडलिस्ट

Edited By meena, Updated: 09 Jul, 2025 05:18 PM

vishana of khandwa won gold medal in swordsmanship

नारी शक्ति, आत्मबल और संघर्ष की मिसाल बनकर खंडवा की बेटी विशाखा पाराशर ने चेन्नई में आयोजित राष्ट्रीय...

खंडवा (मुश्ताक मंसूरी) : नारी शक्ति, आत्मबल और संघर्ष की मिसाल बनकर खंडवा की बेटी विशाखा पाराशर ने चेन्नई में आयोजित राष्ट्रीय तलवारबाज़ी प्रतियोगिता (बी कैटेगरी) में एक स्वर्ण और दो रजत पदक जीतकर न केवल अपने परिवार, बल्कि खंडवा जिले और पूरे मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया है।

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2015 में दुर्घटना के बाद भी नहीं टूटी हिम्मत

विशाखा पाराशर के जीवन की कहानी साहस, संकल्प और संघर्ष का जीवंत उदाहरण है। वर्ष 2015 में एक दुर्घटना में छत से गिरने के कारण उनकी रीड की हड्डी में गंभीर चोट आई थी, जिससे उनके शरीर का निचला हिस्सा काम करना बंद कर गया था। डॉक्टरों की राय में ज़िंदगी सामान्य नहीं रह सकती थी, लेकिन विशाखा ने अपनी कमजोरी को हार मानने के बजाय अपनी ताकत बना लिया।

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माता-पिता का संबल बना संजीवनी

विशाखा के पिता विजय पाराशर एवं माता ने कभी हार नहीं मानी और अपनी बेटी को हर संभव मानसिक, भावनात्मक और नैतिक समर्थन दिया। इसी प्रोत्साहन से प्रेरित होकर विशाखा ने खेलों में अपने भविष्य को आकार देना शुरू किया। उनकी इच्छाशक्ति और लगातार अभ्यास ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। जहां आज वे देश की एक होनहार फेंसर बन चुकी हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर दमदार प्रदर्शन

चेन्नई में 4 से 6 जुलाई तक आयोजित हुई नेशनल फेंसिंग चैंपियनशिप में विशाखा ने बी कैटेगरी में 1 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल जीतकर देशभर के खिलाड़ियों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई। उनकी यह सफलता न केवल खेल प्रतिभा का प्रमाण है, बल्कि मानसिक दृढ़ता और आत्मबल का प्रतीक भी है।

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने की इच्छा

विशाखा वर्तमान में गांधीनगर स्थित स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) में नियमित रूप से प्रशिक्षण ले रही हैं। उनकी अगली तैयारी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर भारत का परचम लहराने की है। अपने संघर्ष और मेहनत से उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, यदि संकल्प मजबूत हो तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं होता।

खंडवा को विशाखा पर गर्व

निगम परिवार सहित संपूर्ण खंडवा वासियों को विशाखा पाराशर की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गर्व है। उनके संघर्ष, जज़्बे और सफलता की कहानी निश्चित रूप से हर युवा और खासकर दिव्यांग जनों के लिए प्रेरणा है।

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