Edited By Vikas Tiwari, Updated: 16 Oct, 2025 03:43 PM

देश की न्यायपालिका और कार्यपालिका के संबंधों में गंभीर सवाल उठाने वाला मामला सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने स्पष्ट किया है कि उसने केंद्र सरकार के आग्रह पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अतुल श्रीधरन के ट्रांसफर से जुड़े अपने...
भोपाल/दिल्ली: देश की न्यायपालिका और कार्यपालिका के संबंधों में गंभीर सवाल उठाने वाला मामला सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने स्पष्ट किया है कि उसने केंद्र सरकार के आग्रह पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अतुल श्रीधरन के ट्रांसफर से जुड़े अपने पहले फैसले को बदल दिया है। कॉलेजियम ने बताया कि 25 अगस्त 2025 को जस्टिस श्रीधरन को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने की सिफारिश की गई थी, लेकिन केंद्र सरकार के दबाव और पुनर्विचार की मांग के बाद अब उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने की सिफारिश की गई।
इस निर्णय से जस्टिस श्रीधरन की सीनियरिटी में गिरावट आई है। यदि उन्हें छत्तीसगढ़ भेजा जाता तो वह वहां दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश होते, जबकि इलाहाबाद में उनकी सीनियरिटी सातवें नंबर पर है। इससे भविष्य में हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने की संभावना प्रभावित हो सकती है। जस्टिस श्रीधरन ने हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई कथित टिप्पणी पर स्वतः संज्ञान लिया था। इसके अलावा उन्होंने पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता, जेल में कैदियों के अधिकार और हाशिए पर पड़े मरीजों के अधिकार जैसे कई जनहित से जुड़े मामलों में अहम फैसले दिए थे।
विशेषज्ञों का मानना है कि कॉलेजियम का यह कदम न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सरकार के प्रभाव को लेकर बहस को नया मोड़ देगा। विपक्षी दलों ने इसे लेकर सरकार पर दबाव डालना शुरू कर दिया है, जबकि सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। मामला न्यायपालिका-कार्यपालिका के रिश्तों और फैसलों की पारदर्शिता को लेकर आने वाले समय में नई बहस को जन्म दे सकता है।