Edited By meena, Updated: 28 Aug, 2019 11:25 AM
ग्वालियर की निचली अदालत ने तीन डॉक्टर्स को लिंग निर्धारण टेस्ट कराने व भ्रूण हत्या का दोषी मानते हुए तीन-तीन वर्ष जेल की सजा सुनाई है। 2009 के इस मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी प्राची पटेल ने सोमवार को सुषमा त्रिवेदी, संध्या तिवारी और...
ग्वालियर: ग्वालियर की निचली अदालत ने तीन डॉक्टर्स को लिंग निर्धारण टेस्ट कराने व भ्रूण हत्या का दोषी मानते हुए तीन-तीन वर्ष जेल की सजा सुनाई है। 2009 के इस मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी प्राची पटेल ने सोमवार को सुषमा त्रिवेदी, संध्या तिवारी और एसके श्रीवास्तव को पीसीपीएनडीटी एक्ट में दोषी करार दिया।
हालांकि अपराधी डॉक्टरों ने कोर्ट से रहम की अपील करते हुए कहा था कि उन्हाेंने पहली बार यह गैरकानूनी काम किया है लेकिन अभियोजन पक्ष का कहना था कि अगर सुषमा त्रिवेदी, संध्या तिवारी और एसके श्रीवास्तव को केवल जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया तो समाज व चिकित्सा पेशे में गलत संदेश जाएगा। जज ने अपील को रद्द करते हुए तीनों को ही तीन साल के लिए जेल भेज दिया। साथ ही तिवारी व श्रीवास्तव को अवैध क्लीनिक चलाने पर 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
ये है पूरा मामला
सरकारी वकील रितेश गोयल के अनुसार दिल्ली की बेटी बचाओ समिति ने 2009 में अलग-अलग स्टिंग ऑपरेशन किए थे। इन तीनों के क्लीनिकों में लिंग परीक्षण व भ्रूण हत्या करना पाया गया था। समिति ने मामले संबंधी डीएम को अवगत कराया। जिसके बाद सीएमओ ने तीनों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। ग्वालियर की निचली अदालत ने तीन डॉक्टरों को गर्भस्थ शिशु के लिंग परीक्षण व भ्रूण हत्या का दोषी मानते हुए तीन-तीन साल जेल की सजा सुनाई है।