ब्लाइंड T20 वर्ल्ड कप की हीरोइन दुर्गा येवले की अनदेखी: विश्व विजेता बनी, पर बधाई देने कोई नहीं पहुँचा

Edited By Himansh sharma, Updated: 04 Dec, 2025 12:44 PM

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महिला ब्लाइंड T20 वर्ल्ड कप में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर टीम इंडिया को विश्व विजेता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली बैतूल जिले की बेटी दुर्गा येवले को अब तक न कोई आर्थिक मदद मिली है

बैतूल। (रामकिशोर पवार): यह बेहद शर्मनाक स्थिति है कि महिला ब्लाइंड T20 वर्ल्ड कप में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर टीम इंडिया को विश्व विजेता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली बैतूल जिले की बेटी दुर्गा येवले को अब तक न कोई आर्थिक मदद मिली है और न ही जिला या राज्य स्तर का कोई नेता उनके घर बधाई देने पहुंचा है।

दुख की बात यह है कि प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री, बैतूल के दो बार के सांसद, जिले के पाँचों भाजपा विधायक, दो राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त नेता—यहाँ तक कि जिन कलेक्टरों और मुख्यमंत्री के परिवारों के निजी कार्यक्रमों में नेता नंगे पांव तक दौड़ते हुए पहुँच जाते हैं—वे भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का मान बढ़ाने वाली दुर्गा तक नहीं पहुंचे।

PunjabKesariपहली बार आयोजित महिला ब्लाइंड T20 वर्ल्ड कप में भारत को विश्व विजेता बनाने में दुर्गा ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। भैंसदेही तहसील के रॉक्सी ग्राम के गौली ढाना की रहने वाली दुर्गा बचपन से दृष्टिबाधित हैं, लेकिन चुनौतियों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। गांव में प्राथमिक शिक्षा के बाद वे निशक्त बालिका छात्रावास, बैतूल, फिर ब्लाइंड स्कूल पाढर और बाद में महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ छात्रावास, इंदौर में पढ़ाई करते हुए क्रिकेट की ओर आकर्षित हुईं।

इंदौर में पढ़ाई के दौरान क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन एमपी के महासचिव सोनू गोलकर ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और जिला ब्लाइंड टीम में मौका दिया। लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद उन्हें राज्य और फिर राष्ट्रीय टीम में चयनित किया गया। 2023 (बेंगलुरु), 2024 (हुबली) और 2025 (केरल) की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शानदार खेल दिखाने के बाद दुर्गा को भारतीय टीम में जगह मिली और उन्होंने वर्ल्ड कप में भारत को चैंपियन बनाकर इतिहास रच दिया।

दुर्गा के माता-पिता झब्बू येवले और गौरा येवले अपनी बेटी की सफलता से गौरवान्वित हैं, लेकिन यह पीड़ा भी उतनी ही बड़ी है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन करने के बाद भी प्रशासन और नेताओं की चुप्पी सवाल खड़े करती है।

जिला और राज्य स्तर पर सम्मान की बजाय उपेक्षा निश्चित तौर पर खेल प्रतिभाओं के लिए हतोत्साहित करने वाली स्थिति है।

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