मेट्रो रेल परियोजना के कार्य गुणवत्ता के साथ समय-सीमा में पूर्ण करें : मुख्यमंत्री मोहन यादव

Edited By Himansh sharma, Updated: 14 Jun, 2025 09:39 AM

c m mohan reviewed the madhya pradesh metro rail project

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में मेट्रो रेल परियोजना के कार्य गुणवत्तापूर्ण ढंग से समय-सीमा का ध्यान रखते हुए पूरे किए जाएं।

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में मेट्रो रेल परियोजना के कार्य गुणवत्तापूर्ण ढंग से समय-सीमा का ध्यान रखते हुए पूरे किए जाएं। भोपाल और इंदौर मेट्रो रेल परियोजना के कार्य प्राथमिकता से पूरे किए जाना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि लोक निर्माण और अन्य संबंधित विभागों से समन्वय बनाकर कार्य करें, जिससे कार्य के दौरान कोई कठिनाई नहीं आए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में मध्यप्रदेश मेट्रो रेल परियोजना की समीक्षा कर रहे थे। 

भोपाल मेट्रो रेल परियोजना

भोपाल मेट्रो रेल परियोजना को नवंबर 2018 में मंजूरी दी गई। भोपाल मेट्रो की दोनों लाइन की कुल वास्तविक लंबाई लगभग 30 किलोमीटर है और इसके 30 स्टेशनों में ये 2 भूमिगत स्टेशन शामिल हैं। जिसकी लागत 10 हजार 033 करोड़ रूपए अनुमानित है। शुरुआत में यहां 3 कार वाली कुल 27 ट्रेन संचालित होंगी। भविष्य में मेट्रो की कार संख्या बढ़ाकर 6 की जा सकती है। ऑरेंज लाइन-करोंद चौराहा से एम्स साकेत नगर तक और ब्लू लाइन- भदभदा चौराहा से रत्नागिरी तिराहा तक होगी। मेट्रो डिपो सुभाष नगर में स्थापित होगा। भोपाल मेट्रो के पहले फेज (पुल बोगदा से एम्स तक) का कार्य अगस्त 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसकी लंबाई 7 किलोमीटर और स्टेशनों की संख्या 8 है। वहीं, दूसरे फेज में करोंद चौराहा से पुल बोगदा तक 9 किलोमीटर में 6 स्टेशन बनाए जाएंगे इनमें से 2 स्टेशन जमीन के नीचे बनाए जाएंगे। भोपाल मेट्रो के तीसरे फेज में भदभदा चौराहा से रत्नागिरी तिराहा तक 14.16 किलोमीटर में मेट्रो ट्रैक बनाया जाएगा, जिसमें कुल 14 एलिवेटेड स्टेशन निर्मित किए जाएंगे। भोपाल मेट्रो के दूसरे और तीसरे फेज का निर्माण कार्य जून 2028 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है। यहां पुल बोगदा ऑरेंज और ब्लू लाइन का इंटरचेंज स्टेशन होगा। पूर्व में सुभाष नगर से रानी कमलापति स्टेशन के बीच मेट्रो की टेस्टिंग अक्टूबर 2023 में की जा चुकी है। 

इंदौर मेट्रो रेल परियोजना

राज्य सरकार ने इंदौर मेट्रो ट्रेन परियोजना को नवंबर 2018 में स्वीकृति प्रदान की थी। इस परियोजना की कुल लंबाई 31 किलोमीटर से अधिक है, 7 भूमिगत सहित जिसमें कुल 28 स्टेशन बनाए गए हैं। यहां पहले फेज में 3 कार वाली ट्रेन की शुरुआत हो चुकी है। आगामी वर्षों में मेट्रो ट्रेन बढ़ाकर 25 और मेट्रो कार संख्या आवश्यकतानुसार 6 तक बढ़ाई जा सकती है। इंदौर मेट्रो परियोजना की कुल लागत 12 हजार 088 करोड़ रूपए अनुमानित है। यलो लाइन के प्रमुख स्टेशन- गांधी नगर, आईएसबीटी, विजय नगर चौराहा, पत्रकार कॉलोनी, रेलवे स्टेशन, राजवाड़ा, बड़ा गणपति, एयरपोर्ट हैं। मेट्रो डिपो गांधी नगर में स्थापित होगा। इंदौर मेट्रो के पहले फेज (रीच 1) में गांधीनगर से सुपर कॉरिडोर 3 के बीच 6.3 किलोमीटर में मेट्रो का संचालन शुरू हो चुका है, जिसका उद्घाटन 31 मई 2025 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया। इस फेज में मेट्रो स्टेशनों की संख्या 5 है। पहले फेज के रीच 2 में सुपर कॉरिडोर से मालवीय नगर चौराहा के बीच लगभग 11 किलोमीटर लंबाई में 11 स्टेशन बनकर तैयार होंगे। इस कार्य की डेडलाइन अक्टूबर 2025 रखी गई है। इसी प्रकार इंदौर मेट्रो के दूसरे फेज में मालवीय नगर चौराहा से पलासिया चौराहा तक 5.34 किलोमीटर ट्रैक बनाया जाएगा इसमें 5 एडिवेटेड स्टेशन होंगे। इस फेज में कार्य पूर्ण होने का लक्ष्य दिसंबर 2027 रखा गया है। तीसरे फेज में पलासिया चौराहा से गांधीनगर तक 8.70 किलोमीटर भूमिगत ट्रैक निर्माण किया जाएगा। यहां अंडरग्राउंड स्टेशनों की संख्या 7 होगी। इस फेज का निर्माण कार्य दिसंबर 2028 में पूर्ण करने का लक्ष्य है।

*व्यापक गतिशीलता योजना और वैकल्पिक विश्लेषण रिपोर्ट की वर्तमान स्थिति

मेट्रो परियोजनाओं की समीक्षा बैठक में मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन एवं जबलपुर शहरों के लिए व्यापक गतिशीलता योजना और वैकल्पिक विश्लेषण रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें बताया गया कि परियोजनाएं अनुमोदन के विभिन्न चरणों में हैं। भोपाल-सीएमपी और एएआर प्रस्तुत एमआरटीएस कॉरिडोर प्रस्तावित हितधारकों को प्रस्तुत किया जाना है। इंदौर- सीएमपी और एएआर एमआरटीएस मेट्रो कॉरिडोर भी प्रस्तावित किए गए हैं। ग्वालियर- सीएमपी और एएआर और हितधारकों द्वारा अनुमोदित एमआरटीएस लाइट मेट्रो कॉरिडोर भी प्रस्तावित किए गए हैं। उज्जैन और जबलपुर- सीएमपी और एएआर हितधारकों को प्रस्तुत किया जाना है। राज्य शासन के अनुमोदन के बाद प्रस्तावित मेट्रो कॉरिडर के डीपीआर तैयार किए जाने के प्रक्रिया की जाएगी।

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