धान खरीदी को लेकर सरकार के दावे फेल, टोकन और उपार्जन प्रक्रिया में अव्यवस्था, हर तरीके से किसान परेशान-कांग्रेस

Edited By Desh sharma, Updated: 04 Dec, 2025 08:47 PM

government s claims regarding paddy procurement fail congress

समर्थन मूल्य में धान खरीदी को लेकर सरकार के दावों को जुमला करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि टोकन को लेकर पूरे प्रदेश में किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं। सरकार के पोर्टल और सिस्टम में तय समय में टोकन...

रायपुर (पुष्पेंद्र सिंह): समर्थन मूल्य में धान खरीदी को लेकर सरकार के दावों को जुमला करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि टोकन को लेकर पूरे प्रदेश में किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं। सरकार के पोर्टल और सिस्टम में तय समय में टोकन स्लॉट खुल ही नहीं रहा है।

किसानों को न ऑनलाइन टोकन उपलब्ध हो पा रहा है न ही ऑफलाइन, उपार्जन केंद्रों में टोकन के लिए किसानों की लम्बी लाइनें लग रही है लेकिन समाधान नहीं हो पा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में किसानों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं है, इंटरनेट की सुविधाएं अनेकों गांव में नहीं है, मैनुअल ऑप्शन से टोकन के लिए जीन किसानों ने 15-16 नवंबर को अपना दस्तावेज जमा कराया था, उनका टोकन अब तक नहीं कटा है, टोकन को लेकर किसान चिंतित हैं, प्रशासन के पास कोई समुचित जवाब नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि अव्यवस्था और बदइंतजामी के चलते धान उपार्जन शुरू होने के 18 दिन बाद भी खरीदी की रफ़्तार बेहद धीमी है, अब तक तय लक्ष्य का 10 प्रतिशत धान भी किसानों से नहीं खरीदा जा सका है। बारदाना, परिवहन और मिली की समुचित व्यवस्था कहीं पर भी नहीं है।

हर कट्टे में आधा एक किलो धान की अधिक तौलाई की शिकायत लगभग हर संग्रहण केंद्र में आ रही है। कई जगहों पर हमली और कांटा, तौलाई का पैसा भी किसानों से वसूला जा रहा है। गिरदावरी और अनावरी रिपोर्ट का हवाला देकर मौखिक आदेश से 21 क्विंटल प्रति एकड़ से कम धान की खरीदी की जा रही है। कई किसानों से टोकन में दर्ज मात्रा से कम धान की खरीदी की जा रही है। भाजपा की सरकार के नियत में खोट है, किसानों से उनका धान 21 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से यह सरकार नहीं खरीदना चाहती।

सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि यह सरकार हर तरह से किसानों को परेशान कर रही है। टोकन , तौलाई से लेकर भुगतान तक अपना अधिकार पाने के लिए किसान परेशान हो रहे हैं। मोदी की गारंटी थी 3100 रुपया प्रति क्विंटल एक मुश्त देने की, हर ग्राम पंचायत में नगद भुगतान केंद्र खोलने का वादा था, जो जुमला निकला। पिछले दो खरीफ सीजन में धान का एमएसपी 186 रुपए बढ़ चुका है जो किसानों का हक है, 3100 में 186 रुपए जोड़कर 3286 रुपए प्रति क्विंटल की दर से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान का उपार्जन किया जाना चाहिए

सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों के हक और अधिकार में डकैती कर रही है। रकबा कटौती बंद हो, पंजीयन और टोकन की समस्या का समाधान करके त्वरित भुगतान का प्रबंध करे सरकार अन्यथा कांग्रेस पूरे प्रदेश में बड़ा आंदोलन करेगी।

 

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