गोविंद सिंह बोले- विधानसभा के शीतकालीन सत्र की अवधि 5 दिन से बढ़ाकर 3 सप्ताह की जाए, लगाए गंभीर आरोप

Edited By meena, Updated: 21 Jun, 2022 07:04 PM

govind singh s demand from shivraj regarding the

एमपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के लिए 25 से 28 जुलाई तक की अधिसूचना जारी कर दी गई है। शीतकालीन विधानसभा के इस सत्र में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस निर्णय का विरोध करते हुए ये कहा है कि विधानसभा का शीतकालीन...

भोपाल(विवान तिवारी) : एमपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के लिए 25 से 28 जुलाई तक की अधिसूचना जारी कर दी गई है। शीतकालीन विधानसभा के इस सत्र में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस निर्णय का विरोध करते हुए ये कहा है कि विधानसभा का शीतकालीन सत्र कम से कम तीन सप्ताह का रखा जाये, ताकि शीतकालीन सत्र में जनहित के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जा सके। नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा का शीतकालीन सत्र महज पांच दिन रखे जाने पर आपत्ति जताते हुए ये कहा कि शिवराज सिंह चौहान ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए विपक्ष और जनता की आवाज को दबाने और लोकतंत्र का गला घोटने का काम किया है।

पूर्व में भी गोविंद सिंह ने लिखा था सीएम को पत्र
डॉ. सिंह ने पहले भी लिखे गए पत्र को याद कराते हुए ये कहा कि पूर्व में भी शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र भेजकर मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 2022 की तिथि पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने के बाद निर्धारित किये जाने एवं सत्र की बैठक कम से कम 20 दिनों की रखे जाने की मांग की गई थी। जिससे प्रदेश की जन-समस्यायें एवं ज्वलंत मुद्दों पर विस्तार से चर्चा सदन में हो सकें। उन्होंने शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में ये लिखा था कि विधानसभा प्रजातंत्र का पवित्र मंदिर है एवं राज्य की संपूर्ण जनता का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें राज्य की जनता के हितों के ज्वलंत मुद्दे व सरकार की नाकामियों को उजागर करने, प्रदेश में जनहितैषी योजनाओं का क्रियान्वयन करने व भ्रष्ट्राचार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने के अवसर प्राप्त होते हैं, लेकिन प्रदेश में जबसे भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है, तब से सदन की बैठकों में निरंतर कमी होती जा रही है, जबकि संविधान में निहित भावनाओं के अनुरूप संविधान विशेषज्ञों ने समय पर वर्ष में कम से कम 60 से 75 बैठकें प्रतिवर्ष आहूत करने की सिफारिशें की गई है।

PunjabKesari

डॉ गोविंद ने आगे कहा कि विधानसभा के सदस्य अपने क्षेत्र की जनसमस्याओं एवं प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों पर सदन में चर्चा न कराये जाने से उनके क्षेत्र की जन समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाता है। मैं यहां यह भी उल्लेख करना चाहता हूं कि राज्य सरकार की यह मानसिकता हो गई है कि विधानसभा का सत्र केवल सरकारी कामकाज निपटाने के लिए सीमित बैठके बुलाई जाए। डॉ. सिंह ने पत्र में कहा था कि विधानसभा के पटल पर जांच आयोग के प्रतिवेदन, लोकायुक्त के प्रतिवेदन, विश्वविद्यालय के प्रतिवेदन एवं अन्य प्रतिवेदनों पर विगत कई वर्षां से चर्चा नहीं कराई गई है। इसके अलावा विभिन्न घटनाओं की जांच के लिए गठित किए गए 07 न्यायिक जांच आयोगों की रिपोर्ट अभी तक विधानसभा के पटल पर नहीं आई है। कुछ आयोगों द्वारा जांच प्रतिवेदन सौंपे जाने के बाबजूद भी उन प्रतिवेदनों को विधानसभा के पटल पर जानबूझकर नहीं रखा गया।

प्रदेश में बेरोजगारों की स्तिथि विकराल, चोरी, लूट, डकैती में भी बढ़ोतरी
नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है। चारों और अशांति एवं अराजकता का वातावरण बना हुआ है। आये दिन चोरी, लूट, डकैती, अपरहण, हत्या, महिलाओं एवं अबोध बालिकाओं के साथ बलात्कार/ सामूहिक बलात्कार एवं अपहरण तथा खरीद फरोख्त की घटनायें लगातार बढ़ती जा रही है। प्रदेश में बेरोजगारों की स्थिति विकराल हो रही है। विभिन्न शासकीय विभागों में बड़ी संख्या में अधिकारियों/ कर्मचारियों के पद रिक्त है परंतु सरकार द्वारा रिक्त पदों की पूर्ति नहीं की जा रही है। प्रदेश में वन माफिया हावी है जो धड़ल्ले से वनों की अवैध कटाई में संलग्न है, जिससे वन क्षेत्र का रकबा घट रहा है, प्रदेश में विद्युत संकट गहरा गया है, नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र में विद्युत कटौती की जा रही है। विद्युत उपभोक्ताओं को बिजली के भारी भरकम बिल देकर अवैध वसूली की जा रही है। प्रदेश में भू-माफिया के नाम पर वैध मकानों पर बुलडोजर चलाकर तोड़ा जा रहा है।

Related Story

Trending Topics

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!