Edited By Vikas Tiwari, Updated: 02 Jul, 2023 01:28 PM
MP के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (Inder Singh Parmar) ने रीवा में कहा कि अब स्थानीय बोली में भी शिक्षा दी जाएगी.
रीवा (सुभाष मिश्रा): मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (Inder Singh Parmar) ने कहा कि अब स्थानीय बोली में भी शिक्षा दी जाएगी. उन्होंने कहा कि अब तक हमें गुलामी का इतिहास पढ़ाया गया, अब इसे बदलने का वक्त आ गया है. सिलेबस में अब महापुरुषों को शामिल किया जाएगा. उन्होंने एक बार फिर कहा कि वीर सावरकर पर हमें गर्व है और सभी को गर्व होना चाहिए.
मंत्री इंदर सिंह परमार शनिवार को 1 दिवसीय प्रवास पर रीवा पहुंचे थे, वहां रीवा के आदर्श उच्चतर माध्यमिक स्कूल में आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने स्कूल के 50 साल पूरे होने पर बधाई दी. साथ ही कहा कि अब घर में बोली जाने वाली बोली में ही शिक्षा देंगे, चाहे वह बघेली का बुंदेली बोली हो किताबें लिखने का काम तेजी से चल रहा है. वीर सावरकर को लेकर शिक्षा मंत्री ने कहा कि जिसे 2 आजीवन कारावास की सजा मिली हो, वह महानायक है और हमें उन पर गर्व करना चाहिए.
स्कूल शिक्षा मंत्री (school education minister) ने आगे कहा कि सफेद शेरों की धरती है, जिसे मैं प्रणाम करता हूं. शिक्षा नीति में लगातार बदलाव किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भारत के सभी राज्यों ने स्वीकार किया है, जो अपनी अपनी मातृभाषा में छात्र-छात्राओं को शिक्षा देने का काम करेगी. साथ ही गौरवशाली इतिहास और अभी तक जो गलत इतिहास पढ़ाया गया है, उसे ठीक करेंगे. इस मौके पर स्थानीय विधायक राजेंद्र शुक्ला, रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा समेत अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद रहे.
स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि अब गुलामी करने कितने फुट आने का इतिहास पढ़ाया गया. वह इतिहास गलत है. 1857 से लेकर 1947 तक जिन्होंने देश की आजादी के आंदोलन में भाग लिया होगा या फिर शहीद हुए होंगे, हम उनको शिक्षा नीति में सम्मान देने जा रहे हैं. वीर सावरकर भी एक ऐसे महानायक हैं, जिन्हें राजनीतिक बंदी होकर 2-2 आजीवन कारावास की सजा हुई. दुनिया के इतिहास में इससे पहले कभी किसी को इस तरह की सजा नहीं हुई. ऐसे वीर सावरकर पर हमें गर्व है, जो विरोध कर रहे हैं, उन्हें भी गर्व करना चाहिए.
स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (Inder Singh Parmar) ने कहा कि हम सभी का सम्मान करना चाहते हैं. हमारे पाठ्यक्रमों में सुभाष चंद्र बोस (subhash chandra bose), भगत सिंह (bhagat singh), सुखदेव, राजगुरु, महाराणा प्रताप, अशफाक उल्ला खान जैसे सभी महापुरुषों का नाम आ रहा है. हम लोकमान्य तिलक को इसमें सम्मिलित करने जा रहे हैं. हम भारत की आजादी की जब भी बात करेंगे तब तक इन महापुरुषों का मान बढ़ाना होगा. अब असली वीर योद्धाओं को सम्मान देने का समय आ गया है.