शिवराज से सत्ता छिनने के लिए कमलनाथ ने बनाई थी यह खास रणनीति

Edited By suman, Updated: 15 Dec, 2018 03:38 PM

kamal nath created this special strategy to snatch power

मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने 15 साल का बनवास खत्म कर सत्ता में शानदार वापसी की है। कांग्रेस की इस जीत के शिल्पकार कमलनाथ हैं। कमलनाथ की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी ने वह कमाल कर दिखाया जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। 17 दिसंबर को कमलनाथ प्रदेश के...

भोपाल: मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने 15 साल का बनवास खत्म कर सत्ता में शानदार वापसी की है। कांग्रेस की इस जीत के शिल्पकार कमलनाथ हैं। कमलनाथ की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी ने वह कमाल कर दिखाया जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। 17 दिसंबर को कमलनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की जब शपथ लेंगे तो सूबे में कांग्रेस की एक नए अध्याय की शुरुआत होगी। पार्टी को 15 सालों के बाद मिली ये जीत कई मायनों में खास है। मध्यप्रदेश में बीजेपी को चौथी बार सरकार बनाने से रोकना कोई आसान काम नहीं था। चुनावी साल के शुरुआती महीनों में कांग्रेस बीजेपी से हर मोर्चे पर पिछड़ती-सी नजर आ रही थी। कोई भी यह कहने को तैयार नहीं था कि बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस सूबे में कही खड़ी भी होगी।

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कमलनाथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती शिवराज सिंह चौहान के उस तिलिस्म को तोड़ना था, जिसके बल पर बीजेपी एक बार सत्ता में वापसी का सपना देख रही थी। इसके लिए कमलनाथ ने राहुल गांधी के साथ मिलकर बीजेपी के 15 साल से अभेद बने किले मध्यप्रदेश को फतेह करने के लिए एक ऐसा चक्रव्यूह बनाया, जिसको बीजेपी भेद नहीं पाई। कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के बाद चुनाव से ठीक पहले राहुल गांधी ने पार्टी के युवा नेता और सूबे में कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय चेहरे को रूप में माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाकर सीधे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरने का काम किया।

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पार्टी हाईकमान ने पार्टी में गुटबाजी को खत्म करने का जिम्मा कांग्रेस के चाणक्य माने जाने वाले और सूबे में कांग्रेस के सगंठन की रग-रग से वाकिफ दिग्विजय सिंह को दिया। 2008 और 2013 की करारी हार के लिए सबसे बड़ा कारण माने जाने वाली गुटबाजी को खत्म करने के लिए दिग्विजय सिंह को समन्वय समिति की कमान सौंपी गई। पार्टी के निष्क्रिय तंत्र को सक्रिय करने के लिए दिग्विजय ने प्रदेश के सभी जिलों का मैराथन दौरा किया। जिलों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एक जुट करने के लिए दिग्विजय ने सभी को एकसाथ मंच पर लाने के लिए संगत की पंगत कार्यक्रम चलाया।

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इस कार्यक्रम में हर कार्यकर्ता को अन्न-जल की कसम दी गई कि टिकट किसी को मिले, कार्यकर्ता पार्टी की जीत के लिए काम करेगा। इसके साथ दिग्विजय सिंह ने घर बैठ चुके कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं को घर से निकालकर एक बार चुनावी रणभूमि में ला खड़ा कर दिया। दूसरी ओर प्रदेश में कांग्रेस के सबसे बड़े लोकप्रिय चेहरे को रूप में देखे जाने वाले कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ के साथ कदमताल करते हुए पार्टी की मजबूती के लिए पूरे सूबे में रोड शो के जरिए बदलाव की जमीन तैयार की।

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सिंधिया के मैदान में आ जाने से कांग्रेस कार्यकर्ता दोगुने जोश के साथ चुनावी समर मे कूद पड़े। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के इन तीन सबसे बड़े नेताओं ने जब एक साथ तीन मोर्चों पर काम करना शुरू किया। तो देखते ही देखते चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस बीजेपी पर बढ़त बनाते हुए दिखने लगी। कमलनाथ की अगुवाई में सिंधिया और दिग्विजय सिंह की तिकड़ी ने उस कांग्रेस को महज सात महीने में फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया, जो कि अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही थी।

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