जनता के दिलों के साथ अपने प्रियतम के दिल में भी बसते हैं ये पुलिस अफसर, वेलेंटाइन डे पर जानिए इनकी लव स्टोरी

Edited By meena, Updated: 14 Feb, 2022 03:23 PM

love story of mk police officers

प्यार का अहसास व्यक्ति को खूबसूरत बना देता है  और यह प्यार अगर पुलिस वालों को हो जाए तो जनता भी इनकी दीवानी हो जाती है। ऐसे ही कुछ दिलदार अफसरों की कहानी पंजाब केसरी आप तक पहुंचा रहा है। जो जनता के दिलों में भी बसते हैं और अपने प्रियतम के भी दिल...

जबलपुर(विवेक तिवारी): प्यार का अहसास व्यक्ति को खूबसूरत बना देता है  और यह प्यार अगर पुलिस वालों को हो जाए तो जनता भी इनकी दीवानी हो जाती है। ऐसे ही कुछ दिलदार अफसरों की कहानी पंजाब केसरी आप तक पहुंचा रहा है। जो जनता के दिलों में भी बसते हैं और अपने प्रियतम के भी दिल में, जो जैसे हैं वैसे ही दिखते हैं। प्यार का यह रंग उनका घर में भी कायम रहता है और जब भी ड्यूटी में निकलते हैं तो जनता के बीच भी यह प्यार का रंग परवान चढ़ जाता है। कहानी तीन ऐसे अफसरों की जो अपनी कार्यशैली से जनता के दिलों को भी जीत चुके हैं। आज वेलेंटाइन डे पर कहानी आईपीएस अमित सिंह,आईपीएस रोहित काशवानी और डीएसपी तुषार सिंह की तीनों ही अधिकारियों का जबलपुर से बेहद प्रेम है। पहली कहानी आईपीएस अमित सिंह की जो दो बार जनता के दिलों में बसते हुए जबलपुर एसपी के रूप में सेवा दे चुके हैं। आज भी उनके लाखों प्रशंसक जबलपुर में मौजूद हैं उनके कार्यकाल को याद करते हैं। वर्तमान में एसएसपी रेडियो होने के नाते 2009 बैच के आईपीएस अमित सिंह का प्रेम जबलपुर से बना हुआ है। इसी तरह का जुड़ाव हाल ही में एएसपी का कार्यकाल पूरा कर धार में कमाडेंट बने आईपीएस रोहित काशवानी का भी है। उनकी पत्नी वर्तमान में बतौर डिप्टी कलेक्टर जबलपुर में ही पदस्थ हैं। वहीं तुषार सिंह वर्तमान में डीएसपी जबलपुर मुख्यालय में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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जो वादा किया वह निभाया कुछ ऐसी है कहानी आईपीएस अमित सिंह की
आईपीएस अमित सिंह बताते है दोस्तों की एक छोटी सी शरारत ने हम दोनों को सात जन्मों के रिश्तों में बांध दिया। शादी के 11 वर्ष बीत चुके है। एक दूसरे की प्रेरणा बन चुकी दंपत्ति दो बेटों के अभिभावक बन चुके है। भोपाल में एसएसपी रेडियो आईपीएस अमित सिंह और उनकी पत्नी प्रोफेसर प्रज्ञा सिंह ने न केवल अपनी लव स्टोरी को आपसी समझ और सूझबूझ से अरेंज मैरिज तक पहुंचाया बल्कि जीवन के कई उतार-चढ़ाव देखने के बावजूद इस सफर में मजबूती से एक-दूसरे के पूरक बने है। अमित सिंह बताते है साल 2006 में मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से मध्यकालीन इतिहास में सीनियर रिसर्च फेलोशिप कर रहा था। इसी विषय में एमए कर रही बलिया की प्रज्ञा सिंह से मेरी बातचीत होती थी। हम एक-दूसरे को पंसद करने लगे थे, लेकिन पहल नहीं कर पा रहे थे। कुछ समय बाद ही मैं यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली चला गया। मोबाईल में प्रज्ञा का नंबर था साथ में तैयारी कर रहे दोस्त मनोज सिंह (वर्तमान में आरपीएफ में चीफ सिक्योरिटी कमिश्नर) ने रात में चुपके से मेरे मोबाईल से प्रज्ञा को प्यार का इजहार भरा मैसेज भेजा और उसको डिलीट कर दिया। रात करीब 2 बजे एक कॉल आया जो किसी युवती का था। उसने दोस्ती की पेशकश की मगर मैंने मना कर दिया। यह मेरी परीक्षा थी अगले दिन प्रज्ञा का फोन आया और मैंने इजहार-ए-मोहब्बत बयां कर अपने दिल की बात सांझा कर दी। 4 मई 2009 को यूपीएससी का रिजल्ट आया तो घर में शादी के रिश्ते आने लगे। बड़ी मुश्किल से बहन रत्ना सिंह और पिता रमेश प्रताप सिंह को अपनी पंसद के बारे में बताया। मां और भाई पहले तैयार नहीं हुए, लेकिन बाद में उन्होंने भी हामी भर दी। ससुर गंभीर बीमारी के कारण बिस्तर पर थे। 20 जून को आनन-फानन में हमारी सगाई हुई। इसके 25 दिन बाद ससुर का निधन हो गया। फिर मैं ट्रेनिंग पर चला गया। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद 12 मार्च 2011 को हम दोनों शादी के बंधन में बन गए।

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वीडियो संदेश के जरिए भोजन पर मिलता है आमंत्रण
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अमित सिंह अपनी ड्यूटी में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें अपने भोजन का भी ख्याल नहीं रहता। ऐसे में अक्सर भोजन का याद दिलाने के लिए धर्मपत्नी प्रज्ञा सिंह वीडियो संदेश बनाकर उन्हें व्हाट्सएप करती हैं और कहती है कि भोजन तैयार है आ जाइए। इसी तरह का प्रेम व्यवहार जो घर में नजर आता है वह पुलसिंग में भी नजर आता है।  जनता के लिए अमित सिंह अक्सर इसी प्रेम भाव के साथ मौजूद रहते हैं।
सोशल पुलसिंग के लिए बेहद प्रसिद्ध
2009 बैच के आईपीएस अमित सिंह अपनी सोशल पुलसिंग के लिए काफी प्रसिद्ध है, अपनी कार्यशैली के चलते वे सोशल मीडिया में काफी चर्चित रहते हैं, सोशल मीडिया में प्रसारित उनके वीडियो को 10 करोड़ से ज्यादा लोगों ने देखा है, जिस जिले में भी एसपी रहे वहां अपनी पहचान स्थापित की।

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कुंडली बनी रोड़ा फिर भी सफल हो गया जोड़ा, आईपीएस रोहित की प्रेम कहानी
आईपीएस रोहित काशवानी की जिंदगी में भी उनकी पत्नी डिप्टी कलेक्टर दीपाश्री गुप्ता प्यार के झोंके की तरह आईं। कहते हैं न कि प्यार पहली नजर में हो जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ आईपीएस रोहित काशवानी की जिंदगी में। हमसफर बन चुकी दीपाश्री से उनकी मुलाकात महाकाल की नगरी उज्जैन में दिसंबर 2018 में हुई। उस समय दीपाश्री ट्रेनिंग के दौरान डायरेक्टर इंडस्ट्रियल डिपार्टमेंट का कार्यभार संभाल रही थीं। रोहित भी ट्रेनी आईपीएस के तौर पर पहुंचे थे। पहली ही नजर में दीपाश्री उन्हें पसंद आई। पर बातचीत कैसे शुरू हो, ये समझ में नहीं आया। 23 मई 2018 को इंस्ट्राग्राम और फेसबुक पर बात हुई। इसके बाद उनकी अक्सर बातचीत होने लगी। पर प्रेम का इजहार करने में लंबा वक्त लगा। फरवरी 2019 आईपीएस रोहित काशवानी ने रिंग गिफ्ट कर दिल का हाल बयां किया। दीपाश्री को जवाब देने में कुछ वक्त लगा। पर रोहित उन्हें भी पसंद थे। आईपीएस रोहित काशवानी के मुताबिक दीपाश्री के घर में पिता चंद्रप्रकाश गुप्ता, मां निर्मला गुप्ता, बड़ी बहन प्रियंका नीखरा, भाई मयंक गुप्ता है। दीपाश्री घर में सबसे छोटी होने के नाते सभी की लाडली हैं। अगस्त 2019 में दीपाश्री ने हमारे रिश्ते को लेकर घरवालों से बात की। पहले तो इंटरकास्ट मैरिज और फिर कुंडली न मिलने का रोड़ा हमारी शादी में बाधा बन गई। दीपाश्री की पोस्टिंग का भी इश्यू खड़ा हो गया। आखिरकार मान-मनौव्वल के बाद परिवार के लोग इस रिश्ते के लिए तैयार हो गए।

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फिर रोहित ने अपने घरवालों को बताया
दीपाश्री गुप्ता के घरवालों से हरी झंडी मिलने के बाद रोहित काशवानी ने हिम्मत कर अपने पिता खैराज काशवानी, मां इंद्रा काशवानी, बहन रिया मेघवानी, भाई पंकज काशवानी को दीपाश्री के साथ अपने संबंधों के बारे में बताया। दोनों परिवारों की रजामंदी से 20 अक्टूबर 2019 को सगाई और 9 फरवरी 2020 को जीवनसाथी के बंधन में बंध गए।

सुखद संयोग, दिवाली के दिन जन्में हैं काशवानी दंपती
आईपीएस रोहित काशवानी और उनकी पत्नी डिप्टी कलेक्टर दीपाश्री के साथ एक सुखद संयोग भी जुड़ा है। रोहित का जन्म 1991 को दीपावली के दिन हुआ है। वहीं दीपाश्री भी 1993 में उसी दिन जन्मी थी। ये सुखद संयोग उनकी शादी का एक मजबूत आधार बना। काशवानी दंपती का आंगन अब छह माह के बेटे अर्शिव की किलकारी से गूंज रहा है।

अपराधियों के लिए काल बन गए रोहित
आईपीएस रोहित जबलपुर के कार्यकाल के दौरान बेहद चर्चित रहे, बात चाहे कोरोना काल की हो या उसके बाद की, उनकी कार्यवाही अपराधियों के लिए काल के समान थी, आम जनता के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहते थे, बेहद सरलता के साथ आम जनता की शिकायतें सुनना, उनका निराकरण करना उनकी खूबी में शामिल है।

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अंडरस्टैंडिंग और केयरिंग ने बनाई अपूर्वा तुषार की जोड़ी
2017 एमपीपीएससी से चयनित और बाद में हमसफ़र बने तुषार सिंह और अपूर्वा किलेदार की प्रेम कहानी बेहद दिलचस्प है, ऐसा लगता है 2017 में एमपीपीएससी में चयनित होने के साथ ही दोनों की जोड़ी बन गई थी। एमपीपीएससी में दोनों की रैंक भी आगे पीछे ही थी तुषार सिंह को मध्यप्रदेश में 20वां रैंक मिला तो अपूर्वा को 21वां, शायद यही संयोग था जो आगे चलकर हमसफर के रूप में भी चलता रहा, डीएसपी तुषार के मुताबिक उनकी और डीएसपी अपूर्वा की पहली मुलाकात जून 2017 में ट्रेनिंग के दौरान भोपाल अकादमी में हुई थी। बातचीत से शुरू हुआ सिलसिला दोस्ती में तब्दील हो गया। इसी दौरान ट्रेनिंग के दौरान पहले अपूर्वा फिर कुछ समय बाद मेरे पैर मैं मसल्स प्रॉब्लम हुई। दोनों ने एक-दूसरे की केयरिंग करते हुए अपनी तकलीफ को साझा किया। फिर आर्म्स ट्रेनिंग के चलते आरएपीटीसी इंदौर जाना पड़ा। यहां लड़के-लड़कियों को खाने-पीने से लेकर पूरे कार्य खुद करने पड़ते हैं। एक दिन ट्रेनिंग में सभी थक कर चूर हो गए थे और भूख भी जमकर लगी थी। मैंने अपने दोस्तों के साथ खाना बनाया और धीरे से अपने हिस्से का खाना अपूर्वा को थमाकर वापस अपने कैम्प में आ गया। जिसके बाद हम दोनों में अच्छी अंडर स्टैंडिंग हो गई। फिर हम दोनों ने जीवन के इस भागदौड़ में हमसफर बनने का निर्णय लिया।

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बहनों ने निभाया अहम रोल
तुषार और अपूर्वा को परिणय सूत्र में बांधने में दोनों की बहनों ने अहम रोल अदा किया हैं। नरसिंहपुर के करेली ग्राम भुघवारा की मूलत: निवासी अपूर्वा घर में सबसे छोटी है। बड़ी बहन अनिला और भाई विदित किलेदार पेशे से किसान पिता नवाब किलेदार के साथ इंदौर में रहते हैं। वही तुषार के पिता राजेंद्र सिंह वेटरनरी विभाग में परियोजना प्रशासक के पद पर पदस्थ हैं और बहन वर्षा सिविल सर्विसेस की तैयारी कर रही हैं। अपूर्वा ने इस रिश्ते की बात पहले बहन अनिला को बताई जिसके बाद दीदी ने भैया को समझाते हुए मुलाकात का समय तय किया। मुलाकात होने के बाद दीदी ने पापा को पूरी बात बताई। फिर वे रिश्ते के लिए तैयार हुए। तुषार ने भी बहन वर्षा की मदद से परिवार की सहमति लेकर 11 दिसम्बर 2020 को परिणय सूत्र में बंध गए।           ड्यूटी के साथ हुआ प्री-वैडिंग शूट
डीएसपी तुषार-अपूर्वा ने शादी के दौरान हुए कई हास्य घटनाक्रम को भी साझा किया। शादी तय होने के बाद जब प्री-वैडिंग शूट की बारी आई तो ड्यूटी के दौरान वक्त निकालना बड़ी समस्या थी। ऐसे में उन्होंने मदन महल पहाड़ी, जमतरा, बरगी डैम, डुमना नेचर पार्क का चयन किया। जमतरा में जब फोटोशूट करने वाले कैमरामैन ने उनसे आपस में बात करने को बोला तो अपूर्वा ने उसी वक्त हुए एक हत्याकांड की बात शुरू कर दी। जिसे सुनकर कैमरा मैन भी शॉक्ड रह गया।

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तुषार की मैगी की दीवानी है अपूर्वा
तुषार और अपूर्वा की जोड़ी प्रेम के बंधन में बनने के साथ लगातार अपने सफर को बढ़ा रही है। दोनों एक दूसरे के लिए बने थे ऐसा लगता है दोनों एक दूसरे का ख्याल रखते हैं। कभी तुषार की पसंद का भोजन अपूर्वा बनाती है तो कभी तुषार अपूर्वा की पसंद का भोजन तैयार करते हैं लेकिन तुषार के हाथ की बनी मैगी अपूर्वा को बेहद प्रसन्न कर देती है। जब भी भूख लगती है तो तुषार सिंह फटाफट मैगी बनाकर अपूर्वा को दे देते हैं, दोनों अभी एक साथ जबलपुर में पोस्टेड है तो कार्य क्षेत्र में आने वाली समस्या का समाधान भी एक साथ कर लेते हैं। डीएसपी ग्रामीण अपूर्वा किलेदार कई बड़े डिफिकल्ट केस में पति तुषार का भी सहयोग लेती है। इसके पूर्व वे कभी भी एक साथ पोस्टेड नहीं रहे, दोनों ही आसपास के जिलों में मौजूद रहे लेकिन मिलना मुश्किल हो जाता था, लेकिन अब यह जोड़ी जबलपुर में मौजूद है, बेहद ही शालीन सादगी पूर्ण व्यक्तित्व के धनी तुषार और अपूर्वा खुशमिजाज रूप से जनता की सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं। मुस्कुराते हुए जनता से बात करना लोगों की समस्याओं का तत्परता से समाधान करना यह उनकी खूबी है, जटिल से जटिल केस में अपूर्वा और तुषार ने अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा है।

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