Edited By meena, Updated: 11 Jul, 2025 04:53 PM
मध्य प्रदेश के विदिशा में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में करोड़ों का लोन घोटाले का सनसनीखेज..
विदिशा: मध्य प्रदेश के विदिशा में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में करोड़ों के लोन घोटाले का सनसनीखेज मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि ब्रांच अधिकारियों ने बिना अधिकार बांटे लोगों को लोन दे दिया और करोड़ों रुपए लेने के बाद उधारकर्ता गायब हैं। गड़बड़ घोटाले का ये बड़ा खेल 2023 से शुरु हुआ। जहां बिना किसी अधिकृत पावर के लोन बांटे गए। अब 20 से अधिक उधारकर्ता लापता पाए गए हैं। विदिशा की एसबीआई शाखा में हुए करोड़ों के घोटाले में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जब ब्रांच के पास लोन स्वीकृत करने की शक्ति ही नहीं थी, तो इतनी बड़ी रकम किसके इशारे पर और कैसे स्वीकृत हुई?
काग़ज़ों में लोन, ज़मीन पर लूट!
मामले में सबसे बड़ी लापरवाही यह पाई गई कि बिना किसी डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन, बिना फील्ड विज़िट, बिना किसी क्रेडिट असेसमेंट के फाइलें मंजूर की गईं। ना आवेदकों की सही पहचान की गई, ना उनके बिज़नेस का वजूद, फिर भी करोड़ों की राशि सीधे खातों में ट्रांसफर कर दी गई। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या सुनियोजित बैंक डकैती है या अधिकारियों द्वारा लापरवाही बरती गई है।
भोपाल से चला रिमोट- विदिशा में लिखी स्क्रिप्ट?
इस पूरे प्रकरण में भोपाल के सीनियर अफसरों की भूमिका अब शक के घेरे में है। विशेष रूप से तत्कालीन GM एवं वर्तमान GM कुंदन ज्योति, तत्कालीन DGM विजिलेंस और RM विनय सिंह? सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन्हें इतने बड़े मामले का कुछ भी पता था? क्या उस समय के तत्कालीन RM बापूजी स्वाइन जो कि वर्तमान में DGM पदस्थ है, ये सब मामला उनको प्रमोशन दिलाने के लिए रचा गया था? आखिर कैसे उस समय के CM क्रेडिट, RM बापूजी स्वाइन, और DGM लोकेश चंद्रा (जो वर्तमान में GM पदस्थ है) की आंखों के सामने ये घोटाला फल फूल रहा था या फिर ये सबकुछ जानते हुए भी आंखें मूंदे बैठे रहे, ताकि प्रमोशन की सीढ़ी चढ़ सकें?

50,000 रुपए की बीमा पॉलिसी और करोड़ों का फायदा?
सूत्रों की माने तो इन फर्जी लोन के साथ SBI लाइफ की पॉलिसी बेची गईं, जिनकी औसत राशि मात्र 50,000 रुपए थी। लेकिन इन बीमा पॉलिसियों ने अधिकारियों के लिए "क्रॉस सेलिंग टारगेट" का जादू चलाया और इसके आधार पर उन्हें प्रमोशन का टिकट मिल गया।
DMD चंद्रशेखर शर्मा की चुप्पी क्यों?
बैंक में इस गड़बड़ घोटाले को लेकर CGM से DMD बने चंद्रशेखर शर्मा अब सवालों के घेरे में हैं कि क्या उन्हें इस पूरे मामले की भनक नहीं थी? या फिर उनके संरक्षण में ही यह खेल खेला गया? क्या प्रमोशन की हड़बड़ी ने ईमानदारी और पारदर्शिता को कुचल दिया?

इतिहास खुद को दोहरा रहा है?
ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी SBI पर इसी तरह के घोटाले उजागर हुए थे। खास बात यह कि इन्हें समय के साथ दबा दिया गया।
क्या मामले की होगी जांच, दोषियों को मिलेगी सजा?
इसके साथ ही अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या कोई स्वतंत्र जांच एजेंसी सच्चाई की परतें खोलेगी? क्या मामले में जिम्मेदारों पर गाज गिरेगी। हालांकि करोड़ो के इस घोटाले में RBI, वित्त मंत्रालय और SBI चेयरमैन को हस्तक्षेप करना चाहिए और वर्तमान GM कुंदन ज्योति और DMD चंद्रशेखर शर्मा की भूमिका की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए? या हर बार की तरह “क्रॉस सेलिंग” और “टारगेट अचीवमेंट” की आड़ में ये मामला भी दफना दिया जाएगा?