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डिजिटल हो रहे हैं मध्यप्रदेश के जंगल, 35 लाख लोगों को मिला आजीविका का साधन

Edited By Himansh sharma, Updated: 23 Jun, 2025 10:01 AM

madhya pradesh s forests are going digital

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश के वनों के संरक्षण एवं संवर्धन को पहली प्राथमिकता में रखा गया है।

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश के वनों के संरक्षण एवं संवर्धन को पहली प्राथमिकता में रखा गया है। वनों को हरा-भरा रखने के लिये अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। अब प्रदेश का वन क्षेत्र बढ़ रहा है और ओपन फारेस्ट कम हो रहा है। मध्यप्रदेश वनों में हर्बल औषधियों का भी खजाना है। वर्ष 2024-25 में वन विभाग 6 करोड़ से अधिक की हर्बल औषधियों की आपूर्ति आयुष विभाग एवं सरकारी संस्थानों को कर चुका है। मध्यप्रदेश प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता, विशेष वन एवं वन्य प्राणियों की विविधता के लिये जाना जाता है। यहां वनों के रहने और नदियों के बहने का भी संबंध है। वनों की गोद से निकली सोन, नर्मदा, ताप्ती, चंबल के साथ सिंध, बेतवा, केन, धसान, तवा, क्षिप्रा और कालीसिंध जैसी नदियां जन-जीवन को जीवन दे रही हैं। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि प्रदेश में वनों से निकलने वाले तेन्दूपत्ता से 15 लाख परिवारों की आजीविका चल रही है। इससे 35 लाख लोग जुड़े हुये हैं, जिनमें 15 लाख पुरूष और 20 लाख से अधिक महिलाएं हैं। प्रदेश के वनों से हर वर्ष 12 लाख बोरा से अधिक तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया जाता है। प्रदेश सरकार ने तेन्दूपत्ता संग्रहण करने वालों का पारिश्रमिक 3 हजार से बढ़ाकर 4 हजार रूपए प्रति मानक बोरा कर दिया है। वनोपजों के संग्रहण एवं विपणन के अधिकार ग्राम सभाओं को दिये गये हैं। तेन्दूपत्ता का संग्रहण एवं विपणन मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज व्यापार एवं विकास सहकारी संघ मर्यादित के माध्यम से कराया जाता है। प्रदेश के 20 जिलों की कुल 243 ग्राम सभाओं द्वारा स्वयं सग्रहण एवं विपणन किया जाता है। लघु वनोपज का स्वामित्व ग्राम सभाओं को सौंपा गया है। प्रदेश में लघु वनोपज व्यवसाय से ग्रामीणों को उचित लाभ दिलाने के लिये अनेक नीतिगत निर्णय लिये गये हैं। लघु वनोपज के अंतर्गत तेन्दूपत्ता के व्यवसाय से होने वाली सम्पूर्ण शुद्ध आय प्राथमिक सहकारी वनोपज समितियों को उपलब्ध कराई जा रही है। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के वन क्षेत्र को हरा-भरा रखने के लिये वन विभाग की नई कार्ययोजना में 50 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र को टारगेट किया गया है इसके लिये 5 साल की कार्ययोजना बनाई गई है। कार्ययोजना के अंतर्गत नेशनल मिशन फॉर ए ग्रीन इंडिया के तहत वातावरण तैयार किया जाना है। इसमें वनों पर आधारित 30 लाख परिवारों की आजीविका को सुधारने का लक्ष्य है। ग्रीन इंडिया मिशन के अंतर्गत वर्ष 2017-18 से वर्ष 2024-25 तक 200 करोड़ से अधिक की राशि स्वीकृत हुई है इससे 29 हजार 876 हेक्टेयर क्षेत्र को उपचारित कर 70 लाख 37 हजार 589 पौधों का रोपण किया गया है। डॉ. यादव ने कहा कि जंगल के अलावा शहरी क्षेत्रों में भी हरियाली बढ़ाने के लिये नगर वन तैयार किये जा रहे हैं। प्रदेश में इस तरह के 100 नगर वन विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक 26 नगर वन तैयार हो चुके हैं और 29 नगर वन बनाये जाने का काम शुरू हो चुका है। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देश पर वन विभाग जंगल को पूरी तरह से डिजिटल करने में जुटा हुआ है इससे जंगल में होने वाली कोई भी घटना की जानकारी तत्काल उच्चाधिकारी तक पहुंच जायेगी। इससे जंगल में होने वाले अतिक्रमण, अवैध कटाई, अवैध उत्खनन, अवैध शिकार जैसी घटनाओं में कमी आयेगी। प्रदेश के जंगलों को डिजिटल करने के साथ ही मैपिनर सॉफ्टवेयर की मदद से वृक्षारोपण के नक्शे भी तैयार किये जा रहे हैं। इससे प्रति वर्ष होने वाले वृक्षारोपण की तस्वीर भी साफ दिख जायेगी और पौधरोपण में गड़बड़ी की संभावना भी नहीं रहेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के जंगल के वन खण्डों के मानचित्रों का डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है। प्रदेश के 63 वनखंडों में से 40 वनखंडों के नक्शे तैयार किये जा चुके हैं और 23 वनमंडलों के नक्शों में सुधार किया जा रहा है। वन विभाग द्वारा निचले अमले को अपडेट करने के लिये स्मार्ट फोन भी दिये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि प्रदेश के वन क्षेत्रों में होने वाले अपराधों और अवैध कटाई में भी कमी आई है। इन मामलों को रोकने के लिये वन विभाग को सक्रिय कर दिया गया है। वन विभाग ने अपने कर्मचारी को पहले से ज्यादा आधुनिक कर दिया है। वन क्षेत्रों में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगा दिये गये हैं। कुछ वन क्षेत्रों में ड्रोन से भी निगरानी की जा रही है। इससे वन अपराधों में कमी आई है। वन अपराधों के नियंत्रण के लिये वन वृत्त में उड़न दस्ता दल तैनात किये गये हैं। इन दलों में पर्याप्त संख्या में वनकर्मी, शस्त्र और वाहन उपलब्ध हैं। संगठित वन अपराध वाले वन क्षेत्रों में विशेष सशस्त्र बल की तीन वाहनी लगाई गई हैं। ये वाहनी छिंदवाड़ा, इंदौर और गुना जिले में तैनात हैं जिन्हें 14 संवेदनशील वन मण्डलों में संलग्न किया गया है। साथ ही सामूहिक गश्ती के लिये वन चौकियों की स्थापना की गई है। प्रदेश में 329 वन चौकियां और 55 वन मण्डलों में ड्रोन और सीसीटीवी से मॉनिटरिंग की जा रही है इससे वन में अवैध कटाई और अतिक्रमण के मामलों का कमी आ रही है यह वन विभाग के लिये बड़ी उपलब्धि है।

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