Edited By Jagdev Singh, Updated: 12 Feb, 2020 06:37 PM

मध्य प्रदेश के राज्यपाल की स्वीकृति के बाद आगामी वित्त वर्ष को लेकर बजट सत्र की घोषणा होते ही प्रदेश में राजनैतिक सुगबुगाहट तेज हो गई है। केन्द्र के बजट के बाद सभी की नजर राज्य के बजट पर लगी हुई है। प्रदेश की जनता के साथ-साथ विपक्ष सरकार को हर...
जबलपुर: मध्य प्रदेश के राज्यपाल की स्वीकृति के बाद आगामी वित्त वर्ष को लेकर बजट सत्र की घोषणा होते ही प्रदेश में राजनैतिक सुगबुगाहट तेज हो गई है। केन्द्र के बजट के बाद सभी की नजर राज्य के बजट पर लगी हुई है। प्रदेश की जनता के साथ-साथ विपक्ष सरकार को हर मोर्चे पर घेरने की तैयारी में है।
वित्त मंत्री तरूण भनोत ने इस बार पेश होने वाले बजट को चुनौती पूर्ण बताया है वित्त मंत्री भनोत ने इसके लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। भनोत के मुताबिक केन्द्र ने राज्य के हिस्से की रकम में 14 हज़ार करोड़ की कटौती कर दी है। एक ओर पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 में केन्द्र से राज्य को जीएसटी से 55500 करोड़ रूपए का हिस्सा मिला था जो इस साल घटकर 49 हजार करोड़ रूपए रह गया है। राज्य को उम्मीद थी कि इस बार केन्द्र से प्रदेश को उसके अंश का 61500 करोड़ रूपया मिलेगा, लेकिन केन्द्र ने इस राशि में कटौती कर प्रदेश की वित्तीय हालत को और खराब कर दिया है।
वित्त मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व की शिवराज सरकार द्वारा लिए गए कर्ज का सालाना 14 हजार करोड़ सरकार कर्ज के रूप में चुका रही है, ऊपर से राज्य के अंश मे कटौती कर केन्द्र सरकार अच्छा नहीं कर रही। वित्त मंत्री ने प्रदेश के वित्तीय हालातों के मद्देनजर बजट के कुशल प्रबंधन के लिए आगामी 18 फरवरी को जाने माने अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह आहलुवालिया की वर्कशॉप की जानकारी दी। वर्कशॉप के माध्यम से सरकार बजट में आम जनता को राहत दिलाने और सीमित संसाधनों में सरकार की आय बढ़ाने पर फोकस करेगी।