एक तरफ जल का तांडव तो दूसरी तरफ नहीं बरस रहे बादल, अभी भी 3 मीटर तक खाली है बारना डैम

Edited By Vikas kumar, Updated: 18 Aug, 2020 02:26 PM

no roasting clouds in raisen

एक ओर देश के कई हिस्सों में जल तांडव हो रहा है, तो दूसरी ओर मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में ऐसी बारिश नहीं हुई, जिससे नदी नाले उफान पर आएं। जिले का सबसे बड़ा बांध बारना अभी भी 3 मीटर खाली है। हालांकि बीते वर्ष से इस साल पानी ज्यादा है 1972 मे...

रायसेन (नसीम अली): एक ओर देश के कई हिस्सों में जल तांडव हो रहा है, तो दूसरी ओर मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में ऐसी बारिश नहीं हुई, जिससे नदी नाले उफान पर आएं। जिले का सबसे बड़ा बांध बारना अभी भी 3 मीटर खाली है। हालांकि बीते वर्ष से इस साल पानी ज्यादा है 1972 मे निर्माणधीन हुए इस बांध से दो जिलो में सिंचाई होती है रायसेन और सिहोर अभी धान की फसल में जरूर एक पानी डैम से दिया गया है। लेकिन हालात ऐसे ही रहे तो रबी की फसल में महज एक पानी दिया सकता है जबकि रवि की फसल में 4 पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में बारिश नही होने से रवि फसल लगाने बाले हजारो किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें आना स्वाभाविक है हालांकि बीते वर्ष भी ऐसे ही हालातो से गुजरना पड़ा था लेकिन अगस्त के आखिरी और सितम्बर में हुई बारिश से बांध लबालब भर गया था और कई बार बांध के गेट खोलने पड़े थे।

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बारना बांध से बाड़ी क्षेत्र ही नहीं बकतरा, खरगौन, उदयपुरा, बरेली सहित कई सैकड़ों गांवों में सिंचाई के लिए पानी मिलता है। बारना बांध का पानी रायसेन जिले एवं सीहोर जिले के गांवों में जाता है इस लिए बाड़ी में बना बारना डेम दोनों जिलों के किसानोंं को वरदान के रूप में माना जाता है। हालांकि इस बार कम वर्षा होने से डैम अपनी क्षमता के अनुसार नहीं भर पाया है। बारना बांध से क्षेत्र का एक बड़ा क्षेत्र सिंचित होता है। बारना बांध का पिछले साल 2019 के वर्षा काल में भरपूर बारिश होने से 348 के ऊपर पानी भर गया था कई बार गेट खोलने पड़े थे। प्रतिवर्ष वर्षाकाल में अधिक बारिश होने से बारना बांध के गेट दर्जनों बार खुल जाते थे लेकिन इस वर्ष अभी तक एक बार भी गेट नहीं खोले गए। रबी फसल के लिए दो जिलो में 75 हजार हेक्टेयर भूमि में बारना बांध से पानी दिया जाता है। बाडी ब्लॉक के अंतर्गत 56 हजार 254 हेक्टेयर क्षेत्र से अधिक को कवर किया जाता है। वहीं सीहोर जिले के बुधनी विकासखंड में 14640 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की जाती है। लेकिन इस वर्ष डैम सिर्फ 55 फीसदी ही भर पाया है जिससे सिंचाई के लिए बमुश्किल पानी बांध प्रबंधन दे पाया। बारना बांध बाड़ी ही नहीं बल्कि रायसेन जिले के उदयपुरा तहसील तक और सीहोर जिले के बकतरा व मुख्यमंत्री के जैत गांव तक किसानों को पानी देता है।

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फिलहाल बारना बांध पर भी जल संकट मंडराते दिखाई दे रहा है। यहां बांध में पानी डेड एन्ड तक पहुंच गया है। अब मुख्य नहरों से पानी देना इसलिए असम्भब हे क्योकि पानी डेम में काफी दूर चला गया है।बाड़ी नगर में दो पहाड़ों को बांधकर बारना बांध का निर्माण सन 1975 में कराया गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेट्टी ने बांध का उद्घाटन किया था। बारना बांध का कुल लेवल 348. 55 मीटर होता है। बारना बांध के पिछले हिस्से में जहां पानी का भराव होना चाहिए उस हिस्से में किसानों द्वारा खेती की जा रही है। डेम के पिछले हिस्से की सफाई न होने के कारण यहां पानी का भराव कम होता है। वहीं गर्मियों में जल स्तर कम होते ही डेम की जमीन पर किसानों द्वारा खेती करना शुरू कर दिया था। यह किसान डेम के पिछले हिस्से से ही पानी ले लेते हैं और डेम की जमीन पर खेती कर खासा मुनाफा कमा रहे हैं। बारना बांध से जुड़े अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। रायसेन जिले का सबसे बड़ा डेम बारना में पानी का जलस्तर इस साल बारिश कम होने की बजह से डेम का जलस्तर 343 -13 पर पहुँच गया है।जबकि सिचाई के लिए डेम का जलस्तर 348-55 फिट रहना चाहिए।

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