मप्र उपचुनाव: भिण्ड जिले में क्यूआर कोड लगी गोलियां जारी करने की योजना शुरू

Edited By PTI News Agency, Updated: 17 Oct, 2020 01:45 PM

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भोपाल, 17 अक्टूबर (भाषा) मध्य प्रदेश में विधानसभा की 28 सीटों के लिये होने वाले उपचुनावों के मद्देनजर बंदूक के इस्तेमाल और हिंसा रोकने के लिये भिण्ड जिले में पुलिस ने एक नई पहल की है। इसके तहत कारतूसों पर क्यूआर कोड की मुहर लगाई जा रही है...

भोपाल, 17 अक्टूबर (भाषा) मध्य प्रदेश में विधानसभा की 28 सीटों के लिये होने वाले उपचुनावों के मद्देनजर बंदूक के इस्तेमाल और हिंसा रोकने के लिये भिण्ड जिले में पुलिस ने एक नई पहल की है। इसके तहत कारतूसों पर क्यूआर कोड की मुहर लगाई जा रही है ताकि गोली चलाने वाले की पहचान जल्द और आसानी से हो सके।
मध्य प्रदेश में तीन नवंबर को 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के तहत भिण्ड जिले में दो सीटों तथा ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में 16 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है।
चंबल के बीहड़ कभी मलखान सिंह और पान सिंह तोमर जैसे बागियों का अड्डा रहे थे जिन्होंने बंदूक के दम पर इलाके में आतंक का राज कायम किया था। ‘‘बैंडिट क्वीन’’ फूलन देवी ने भी सांसद बनने से पहले चंबल के बीहड़ों में ही राज किया था।
जिला पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने पीटीआई-भाषा से बात करते हुए कहा, ‘‘पिछले पांच साल में भिण्ड में 150 हत्याएं हुई हैं। इनमें से अधिकांश अवैध हथियारों के इस्तेमाल से हुई हैं।’’ पुलिस सूत्रों ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनावों जिले में हिंसा और धांधली करने की कोशिशें हुई थीं जिन्हें नाकाम कर दिया गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिये उपचुनावों से पहले पुलिस ने जिले में 22 हजार से अधिक हथियार लाइसेंसधारियों को क्यूआर कोड वाली गोलियां लेने के लिये कहा है। इस सप्ताह से इसकी शुरुआत हो गयी है। एक कारतूस पर क्यूआर कोड चिह्नित करने के लिये सिर्फ एक पैसा खर्च होता है। इसमें बंदूक के लायसेंसधारी का विवरण होता है जिससे पुलिस लगभग तुरंत उसका पता लगा सकती है।’’ एक सवाल के उत्तर में सिंह ने कहा कि कारतूसों पर कोड लगाने का काम न केवल उपचुनावों को देखते हुए किया जा रहा है लेकिन यह बंदूक संस्कृति को काबू में रखने में आगे भी सहायक होगा। उन्होंने बताया कि चुनाव के दौरान लायसेंसी हथियार पुलिस द्वारा जमा करा लिये जाते हैं।
उन्होंने कहा कि इस उपचुनाव के दौरान अगर किसी ने देशी हथियार से भी क्यूआर कोड वाली गोली दागी तो हम गोली चलाने वाले तक पहुंच सकते हैं क्योंकि क्यूआर कोड चिह्नित खाली गोली हमें पूरी जानकारी देगी।
सिंह से पूछा गया कि इस पहल से भिण्ड जिले में, जहां अपराधी देश के विभिन्न स्थानों से हथियार और गोलियां प्राप्त करते हैं, क्या असर होगा तो उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य क्षेत्र में प्रचलित बंदूक संस्कृति को कम करना है । उन्होंने कहा, ‘‘ इसमें यदि में एक भी जीवन को बचाने में सफल होता हूं तो मुझे खुशी होगी।’’ सिंह ने बताया कि वह पिछले दो साल से इस योजना पर काम कर रहे हैं।
सिंह ने कहा कि भिण्ड में झूठे मामले दर्ज करने का भी चलन है। उन्होंने कहा, ‘‘कोई व्यक्ति गोली का शिकार होता है तो उसकी शिकायत में वह निर्दोष लोगों का नाम लेता है। जिनके साथ वह अपने पुराने विवाद का निपटारा करना चाहता है लेकिन क्यू आर कोडिंग के जरिये हम आसानी से गोली चलाने वाले हथियार और उसके मालिक का पता लगा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कोडिंग के जरिये एक घायल व्यक्ति द्वारा निर्दोष लोगों को फंसाने की गुंजाइश नहीं रहेगी।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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