रागी की खेती से किसानों के जीवन में आ रहा बदलाव, आर्थिक समृद्धि की ओर हो रहे अग्रसर

Edited By meena, Updated: 07 Jun, 2023 06:38 PM

ragi farming is changing the lives of farmers

छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है, जिसका असर अब प्रदेश के किसानों के खेतों में दिखाई देने लगा है।

रायपुर (सत्येंद्र शर्मा) : छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है, जिसका असर अब प्रदेश के किसानों के खेतों में दिखाई देने लगा है। कुछ वर्षो पूर्व किसान ज्यादातर मात्रा में धान की फसल लिया करते थे, किन्तु सरकार की किसान हितैषी योजनाओं से प्रभावित होकर अब अन्य फसलों की ओर भी रूख कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है जहां कोदो, कुटकी और रागी सहित अन्य मिलेट्स  फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और इसके वैल्यू एडिशन का काम भी किया जा रहा है। किसानों को नकदी फसल लेने के लिए प्रोत्साहित करने संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस वर्ष मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है। जिसके परिणामस्वरूप किसानों के जीवन में बदलाव दिखाई देने लगा है और किसान आर्थिक समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहे हैं। प्रदेश में शुरू किए गए मिलेट मिशन का सार्थक परिणाम है कि अब किसान धान के बदले रागी, कोदो और कुटकी की फसल लेने लगे हैं। धमतरी जिले में लगभग 1 हजार 500 किसानों ने 1 हजार 200 हेक्टेयर में धान के बदले कोदो-कुटकी और रागी सहित अन्य फसल ली है।

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शासन की इन्ही योजनाओं से प्रभावित होकर धमतरी जिले के ग्राम कलारबहार निवासी किसान सगनूराम नेताम ने बीते कुछ वर्षो से धान के बदले रागी की फसल लेनी शुरू की सगनूराम से बातचीत करने पर बताया कि बीते वर्ष 1 एकड़ खेत में रागी की फसल लगाई थी, जिसमें कुल 7 क्विंटल रागी की पैदावार हुई है। इस फसल से वह रागी के बीज तैयार करेगा। उन्होंने बताया कि बीते दिनों उसने बीज निगम में 25 हजार और बाजार में लगभग 17 हजार रूपये की रागी बिक्री की थी। इस प्रकार अगर सगनूराम धान की खेती करता तो उसे 10 क्विंटल के हिसाब से 25 हजार रूपये प्राप्त होते, किन्तु मिलेट्स की खेती से उसे लगभग 15-17 हजार रूपये प्रति एकड़ का अतिरिक्त आमदनी मिली। इसके लिए संबंधित विभाग द्वारा उसे निःशुल्क बीज एवं वर्मी कम्पोस्ट खाद प्रदान किया गया था।

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छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को दे रही सब्सिडी

छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है जहां कोदो, कुटकी और रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी और इसके वैल्यू एडिशन का काम भी किया जा रहा है। कोदो-कुटकी 3000 रूपये प्रति क्विंटल की दर से और रागी की खरीदी 3378 रुपये प्रति क्विंटल की दर से समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है। साथ ही धान के बदले अन्य फसल लेने वाले किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत इनपुट सब्सिडी भी दी जा रही है। राज्य सरकार द्वारा धान के बदले खरीफ की अन्य फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी की फसल लेने पर 10 हजार रुपए प्रति एकड़ के मान से सहायता राशि उपलब्ध कराई जा रही है।

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मिलेट्स की खेती रुची ले रहे किसान

पोषक तत्वों के कारण मिलेट अनाजों की लगातार डिमांड बढ़ रही है। बढ़ती हुई डिमांड को देखते हुए किसान भी इन फसलों की खेती करने में रुचि ले रहे हैं। रागी, छत्तसीगढ़ में रागी को मड़िया के नाम से भी जाना जाता है। छत्तीसगढ़ में शुरू हुए मिलेट मिशन के तहत किसानों को इन फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। किसानों को उन्नत बीज के साथ अन्य सहायता दी जा रही है। मंडी में रागी की कीमत भी काफी अच्छी मिल रही है और साथ ही इसकी खेती करना ज्यादा कठिन भी नहीं है। यानी रागी की खेती कर किसान कम मेहनत के ही अच्छी कमाई कर सकते हैं।

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रागी के लाभ

रागी हाइवेल्यू क्रॉप, कैल्शियम, आयरन जैसे खनिज तत्वों से परिपूर्ण होता है। साथ ही फोलिक एसिड, एमीनोएसिड, एन्टी एजेंट, एंटी आक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व भी इसमें पाये जाते है। इसकी वजह से मोटापा, डायबटिस, रक्तचाप जैसी बीमारियों के रोकथाम में उपयोगी है। वहीं कुपोषण मुक्त और गर्भवती माताओं के लिए भी फायदेमंद है। साथ ही तनाव व अवसाद को दूर करने में भी रागी सहायक है। रागी में कैल्शियम की मात्रा सर्वाधिक पाई जाती है जिसका उपयोग करने पर हड्डियां मजबूत होती हैं।

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