एक तरफ कैंसर से जूझ रही मां... दूसरी ओर पुलिस की वर्दी कर रही थी इंतजार, इस महिला TI ने ऐसे हालातों में भी नहीं मानी हार...

Edited By meena, Updated: 08 Mar, 2023 02:05 PM

story of sub inspector pallavi pandey s struggle on international women s day

सफलता की चाहत में असफलता भी मिलती ही है और सफलता की राह में संघर्ष भी कम नहीं होते जो इन संघर्षों को पार पा जाता है

जबलपुर(विवेक तिवारी): सफलता की चाहत में असफलता भी मिलती ही है और सफलता की राह में संघर्ष भी कम नहीं होते जो इन संघर्षों को पार पा जाता है वह अपने सपने भी पूरे कर लेता है। संघर्षों की यही कहानी थाना प्रभारी यातायात घमापुर पल्लवी पांडे के साथ जुड़ी हुई है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पल्लवी पांडे की वह कहानी जिससे आप अभी वाकिफ नहीं है। इस वर्दी के पहले कितने संघर्षों से गुजरी है पल्लवी पांडे पंजाब केसरी ने जानने की कोशिश की। साल 2012 में सब इंस्पेक्टर के रूप में पल्लवी पांडे का 24 साल की उम्र में ही चयन हो गया। अभी आप पल्लवी पांडे का चमकता हुआ करियर देखते होंगे लेकिन यह सफलता इतनी आसान नहीं रही। गणित विषय से बीएससी करने के बाद पल्लवी पांडे ने कम उम्र में ही शासकीय सेवा में जाने का निर्णय कर लिया था। ग्वालियर की रहने वाली पल्लवी की शिक्षा दीक्षा भी ग्वालियर में ही हुई जैसे ही ग्रेजुएशन कंप्लीट हुआ पल्लवी पांडे ने शासकीय सेवा की तैयारी करना शुरू कर दी। एक तरफ पल्लवी पांडे पल्लवी पांडे बैंकिंग की ओर जाने की तैयारी में जुटी रहती तो दूसरी और पटवारी का एग्जाम आता तो उसको भी देने से पीछे हटती लेकिन उनको सफलता नहीं मिल रही थी। एग्जाम पर एग्जाम दे रही थी। इसी बीच पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर के लिए भर्ती निकली और सोचा कि क्यों ना इस तरफ जाने का विचार कर लिया जाए तो उन्होंने सब इंस्पेक्टर परीक्षा के लिए फॉर्म भर दिया।

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बीमार मां की सेवा के साथ पढ़ाई

पल्लवी के संघर्षों के बीच जीवन में एक पल ऐसा भी आ गया जब मन हताश होने लगा उनकी मां मीरा पांडे परीक्षा की तैयारी के दौरान ही कैंसर से पीड़ित हो गई अब चयन करना था मां की सेवा का भी और शासकीय  सेवा का भी। पल्लवी ने ऐसे हालातों पर दोनों ही ओर ध्यान दिया। रात रात परीक्षा की तैयारी और उसी बीच माता जी की भी सेवा और वह पल भी आ गया जब उन्होंने अपनी पुत्री का कर्तव्य निभाते हुए मां की सेवा की और अपने सपने को भी साकार किया। साल 2012 में उनका चयन सब इंस्पेक्टर के पद पर हो गया मां की भी इच्छा थी कि बेटी उनका नाम रोशन करें लिहाजा मां ने अपनी बेटी को वर्दी में देखा और बेहद प्रसन्न हुई लेकिन कैंसर जैसी बीमारी से जूझती हुई 2013 में मां का देहांत हो गया।

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भाई और बहन है सॉफ्टवेयर इंजीनियर

निरीक्षक पल्लवी पांडे मूलतः ग्वालियर की रहने वाली है। हालांकि पिता जी का जन्म भिंड जिले में हुआ पिता होमगार्ड से रिटायर्ड हैं तो वही बड़ी बहन और भाई सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। पिता अरुण कुमार पांडे को पल्लवी वर्दी में यानी कि होमगार्ड की वर्दी में देखती थी जो जो कभी-कभी वे 15 अगस्त या 26 जनवरी को ही पहन कर जाते थे क्योंकि पिता होमगार्ड में ऑफिस वर्क यानी के अकाउंटेंट की सेवा दे रहे थे तब उनकी पुत्री पल्लवी भी कभी-कभी उनको बोलती थी आप नकली पुलिस है, मैं आपको असली पुलिस बनकर दिखाऊंगी और साल 2012 में वह कर के भी दिखा दिया जब वे सब इंस्पेक्टर के रूप में चयनित हो गई।

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देवास, उमरिया के बाद अब जबलपुर में दे रही है सेवा

पल्लवी पांडे की पहली पोस्टिंग देवास में रही जहां उन्होंने दर्जनों केस सॉल्व किए। महिला संबंधी अपराधों पर उन्होंने बहुत मेहनत की और कई आरोपियों को अपनी विवेचना के दम पर सजा भी दिलवाई। उमरिया में रहते हुए साइबर अपराध के क्षेत्र में उन्होंने बेहतरीन काम किया और साइबर अपराध से जुड़े मामलों में लोगों को जागरूक भी किया। जबलपुर में सब इंस्पेक्टर के रूप में उन्होंने ग्वारीघाट थाने में सेवा दी और अब यातायात थाना प्रभारी घमापुर के रूप में कार्य कर रहे हैं। जीवन के विभिन्न पहलुओं पर उनसे जब बात करो तो वे बताती हैं कि मेरा लक्ष्य तो बैंकिंग सेवा में ही जाने का था लेकिन जब वहां पर सफलता नहीं मिली तो एक्सीडेंटल मैं पुलिस सेवा में आ गई आप यह समझ सकते हैं कि मेरा लक्ष्य शासकीय सेवा का जरूर रहा। अब जब सेवा में आ गई हूं और पुलिस की सेवा में आई हूं तो मेरा एक ही लक्ष्य है जो मध्य प्रदेश पुलिस का स्लोगन है देशभक्ति जनसेवा। यही भाव अपने मन में रख सकूं लोगों को यह एहसास हो कि पुलिस आपके लिए है। यही भाव होना चाहिए मेरा लक्ष्य ही है कि जब हम दूसरों को सिखाने जाते हैं तो हमें वैसा ही आचरण स्वयं भी करना चाहिए अगर हम जनता को बेहतर संदेश देना चाहते हैं तो हमें वैसा ही आचरण स्वयं भी करना होगा। पल्लवी बताती हैं कि रोड पर चलते हुए लोग रोज खतरा मोल लेते हैं। यातायात थाना प्रभारी के रूप में उनको जागरूक करना मेरी सबसे बड़ी ड्यूटी है। हेलमेट लगाकर लोग निकले यातायात के नियमों का पालन करें शराब पीकर वाहन ना चलाएं ऐसी सीख लोगों को देने के लिए हम लगातार जुटे रहते हैं।

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एनसीसी कैडेट्स को जोड़ा, ट्रैफिक मैनेजमेंट किया

जबलपुर के भारी भरकम ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए पल्लवी ने एनसीसी कैडेट्स को जोड़ा और उनको भी कई मौकों पर सड़क पर उतारकर ट्रैफिक कंट्रोल किया। इसके साथ ही कई सामाजिक संगठन के साथ मिलकर भी कार्य किया जा रहा है। रोड पर नियमों को तोड़ना अब लोगों को महंगा भी पड़ रहा है। ट्रैफिक पुलिस समझाने के साथ फाइन करने में भी पीछे नहीं है।

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