Edited By suman, Updated: 20 Dec, 2018 01:03 PM
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही सबसे पहले किसानों को तोहफा मिला। किसानों का कर्ज माफ कर कांग्रेस पार्टी अपनी पीठ थप-थपा रही है।लेकिन ये घोषणा जितनी बड़ी और राहत देने वाली दिखती है, उतनी है नहीं। सुत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश में सरकार ने...
भोपाल: मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही सबसे पहले किसानों को तोहफा मिला। किसानों का कर्ज माफ कर कांग्रेस पार्टी अपनी पीठ थप-थपा रही है। लेकिन ये घोषणा जितनी बड़ी और राहत देने वाली दिखती है, उतनी है नहीं। सुत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश में सरकार ने किसानों की कर्जमाफी को लाागू करने के लिए 22 सदस्यीय क्रियान्वयन समिति का गठन कर दिया है। लेकिन लोन से छुटकारा कुछ खास किसानों को ही मिलने वाला है, बाकि सरकारी कर्मचारी, पंच-सरपंच, सांसद और इंकम टैक्स भरने वाले, मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा घोषित लोन माफी के लाभार्थी नहीं बन सकते। इसके आलावा भी लोन माफ कराने के लिए कई मानदंड पर खरा उतरना होगा जो सरकार द्वारा निश्चित किया गया है।
इन किसानों को नहीं मिलने वाली राहत
- जिन किसानों की अपनी पंजीकृत कंपनी है और इसी के जरिए वो अपनी फसल बाजार में बेचते हैं, उनका ऋण नहीं होगा माफ।
- जिन किसानों को 15,000 रुपये तक की पेंशन मिलती है उनका लोन माफ नहीं किया जाएगा। हालांकि सेना से सेवानिवृत किसानों को इस नियम से बाहर रख कर राहत दी गई है।
- अगर किसान ने कई संस्थाओं से ऋण लिया है तो किसी भी एक संस्था से लिया लोन ही माफ होगा।
कर्ज माफी की घोषणा के साथ कहा गया कि किसानों का 2 लाख तक का लोन माफ किया जाएगा। लेकिन ठीक इसके दूसरे दिन से सरकार ने इस बात पर माथापच्ची शुरू कर दी कि इस योजना के मानदंड क्या तय किए जाएं। मध्य प्रदेश सरकार पर इस योजना को पूरा करने के लिए 38 हजार करोड़ का वित्तीय भार पड़ेगा।