वन नेशन वन इलेक्शन के तहत देश में निर्वाचन कराया जाना संभव : विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह

Edited By Himansh sharma, Updated: 22 May, 2025 09:59 AM

vidhan sabha speaker participated in one nation one election seminar program

विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह वन नेशन वन इलेक्शन संगोष्ठी कार्यक्रम में हुए शामिल

राजनांदगांव। (पुष्पेंद्र सिंह): विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर ऑडिटोरियम राजनांदगांव में सामाजिक संस्था उदयाचल द्वारा आयोजित वन नेशन वन इलेक्शन संगोष्ठी कार्यक्रम में शामिल हुए। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन समकालीन चुनाव की अवधारणा पर परिचर्चा है। संगोष्ठी में सभी समाज एवं वर्गों के लोग उपस्थित हंै, जहां सामाजिक समरसता का ताना-बाना दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि संगोष्ठी में देश की चिंता के साथ जिले के बुद्धिजीवी वर्ग भी एक साथ मिलकर इस पर विचार कर रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन की अवधारणा को लेकर 2023 में 10 सदस्यी कमेटी का गठन किया गया, जिसमें सभी वर्गों के बुद्धिजीवी शामिल थे। उनके सामने एक साथ चुनाव कराएं जाने की चुनौतियां थी। कमेटी द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव पर देश का व्यापक समर्थन मिला। यहां तक कि विभिन्न भाषाओं में इसका प्रकाशन कराकर लोगों की राय जानी गई। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि देश के लगभग 80 प्रतिशत लोगों ने वन नेशन वन इलेक्शन का व्यापक समर्थन किया। 

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन दुनिया के अन्य देशों में भी लागू है, इससे उन देशों में सामाजिक, आर्थिक स्थिरता आयी है। अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, बेलजियम सहित अन्य देशों में निर्वाचन की यह प्रणाली लागू है। उन्होंने इंडोनेशिया का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां एक दिन में 20 करोड़ मतदाताओं ने 4 स्तरीय प्रतिनिधियों के चुनाव में हिस्सा लिया। ऐसे देश में जब यह कार्य हो सकता है, तो फिर हमारे देश में क्यों नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन के तहत देश में निर्वाचन कराया जाना संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि जब देश में संसाधनों की कमी थी, तकनीकी उपयोगिता कम थी, तब भी चुनाव एक साथ होते थे। वर्तमान में तकनीकी उन्नति के साथ-साथ अन्य प्रकार के विकास कार्य होने के कारण बड़ी आसानी से एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव की प्रक्रिया में राजनीतिक दलों को अपने देश के मतदाताओं के विवेक पर किसी भी प्रकार की शंका नहीं करनी चाहिए, मतदाताओं की ताकत पर हम सभी को भरोसा करना चाहिए। 

PunjabKesariसांसद संतोष पाण्डेय ने कहा कि संविधान लागू होने के बाद से विधानसभा एवं लोकसभा के चुनाव एक साथ होते रहे। लेकिन बाद में परिस्थितियां बदली और लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव अलग-अलग होने लगे। वर्तमान में केन्द्र सरकार द्वारा एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर संसद में बिल प्रस्तुत किया गया। देश में एक साथ चुनाव के लिए आम लोगों तक इसकी जानकारी के साथ उनकी राय भी ली जा रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा व्यवस्थाओं में अनेक परिवर्तन किए गए है, उनमें जीएसटी लागू करना भी प्रमुख रहा है। वन नेशन वन इलेक्शन के लिए सरकार दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ संकल्पित है। इससे समय और धन की बचत के साथ-साथ मानव संसाधन पर भी कम दवाब पड़ेगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि सन 1952 में हुए आम निर्वाचन में 5 करोड़ रूपए व्यय हुए थे, वही 2014 के आम लोकसभा आम निर्वाचन में 1 लाख 35 हजार करोड़ रूपए व्यय हुए। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए सभी सामाजिक संगठनों, आम लोगों को इस प्रस्ताव के लिए सहमत होकर आगे बढ़ाने की आवश्यकता है और इसे एक अभियान के रूप में चलाया जाना चाहिए। 

पूर्व विधायक शिवरतन शर्मा ने संगोष्ठी में भाग लेते हुए कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन विषय पर समाज एवं राष्ट्र के सभी वर्ग के लोग कार्य करने में जुटे हैं। सन 1967 तक लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे, राजनीतिक परिस्थितियों में बदलाव के कारण यह क्रम टूटा और अलग-अलग निर्वाचन होने लगे। उन्होंने कहा कि यदि लोकसभा, विधानसभा, नगरीय निकाय, पंचायत चुनाव एक साथ संपन्न कराए जाए तो जहां एक ओर धन की बचत होगी, वहीं मानव संसाधन पर भी दबाव कम पड़ेगा। एक साथ चुनाव होने पर अधिक से अधिक लोगों को चुनाव में हिस्सा लेने का अवसर मिलेगा, वहीं अधिकतम मतदाता निर्वाचन प्रक्रिया में अपनी हिस्सेदारी निभा पाएंगे। इसके अलावा ईव्हीएम एवं मतदाता सूची पर प्रश्र चिन्ह नहीं लगेगा। साथ ही जिस धन की बचत होगी, उससे आम जनता के कल्याण के लिए योजनाएं बनाकर क्रियान्वित किया जा सकेगा। वन नेशन वन इलेक्शन में किसी भी प्रकार की अड़चन नहीं होनी चाहिए और यह आसानी से संभव हो पाएंगा। छत्तीसगढ़ में नगरीय एवं पंचायत चुनाव एक साथ कराया जाना एक उदाहरण बन गया है। 

PunjabKesariमहापौर मधुसूदन यादव ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन देश के मूल्यों और विचारों पर आधारित है, इसकी आज नितांत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बार-बार निर्वाचन कार्यक्रम होने पर धन एवं मानव संसाधन पर दबाव पड़ता है, इसके लिए जरूरी है कि लोकसभा एवं विधानसभा के निर्वाचन एक साथ कराएं जाएं। केन्द्र सरकार द्वारा लोकसभा में 129वें संविधान संशोधन के तहत बिल प्रस्तुत किया गया है। यह देश के हित में है, इससे धन एवं समय की बचत के साथ मानव ऊर्जा की बचत होगी और सबके कल्याण के लिए योजनाएं बनाकर कार्य संपादित हो सकेगा। पद्मश्री डॉ. पुखराज बाफना ने संगोष्ठी में भाग लेते हुए कहा कि यह राष्ट्र चिंतन एवं जनजागरण की संगोष्ठी है। एक राष्ट एक चुनाव से जहां समय एवं अर्थ की बचत होगी, वहीं चुनावी आवृत्ति में कमी आएंगी। वित्तीय बचत के साथ अन्य व्यय रोकने में मदद मिलेगी। पद्मश्री फूलबासन यादव ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन देश के लोकतंत्र मजबूती प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव होने से आम जनता को परेशानी होती है। एक साथ चुनाव होने पर समय और धन की बचत होगी, वहीं गांव के गरीब लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनेगी। इस अवसर पर संगोष्ठी में अधिवक्ता एचबी गाजी ने भी अपने विचार प्रकट किए और वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव पर सहमति जतायी। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष किरण वैष्णव, पर्यटन मंडल के अध्यक्ष नीलू शर्मा, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित के अध्यक्ष सचिन बघेल, कोमल सिंह राजपूत सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में नगरवासी उपस्थित थे।

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