Edited By meena, Updated: 10 Apr, 2023 07:17 PM

महाकौशल के छिंदवाड़ा जिले से ताल्लुक रखने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेहद खास रहे पंडित राममूर्ति मिश्रा
जबलपुर (विवेक तिवारी): महाकौशल के छिंदवाड़ा जिले से ताल्लुक रखने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेहद खास रहे पंडित राममूर्ति मिश्रा ने साल 2018 में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले नाथ से नाता तोड़ते हुए कमल से नाता जोड़ लिया था। जी हां बिल्कुल जबलपुर से ताल्लुक रखने वाले और महाकौशल की राजनीति में कमलनाथ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साल 2018 तक चलने वाले पंडित राममूर्ति मिश्रा की हम बात कर रहे हैं। जो एक बार फिर चर्चा में है और इस बार वे सीएम शिवराज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर 2023 के विधानसभा चुनाव में एक विशेष रणनीति के साथ आगे बढ़ने की योजना तैयार कर रहे हैं। इस योजना को शायद अमलीजामा पहनाने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सबसे आगे हैं। तभी तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सर्किट हाउस में पंडित राममूर्ति मिश्रा से बेहद ही आत्मीयता के साथ विशेष चर्चा की है। सोशल मीडिया में जब ये फोटोग्राफ आई तो अब शिव और राम की जोड़ी की चर्चा होने लगी है और चर्चाओं के दौर में यह बात भी निकल रही है कि क्या महाकौशल की राजनीति में इस बार शिव राम के सहारे ही आगे बढ़ेंगे। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पंडित राममूर्ति मिश्रा कांग्रेस की लंबी राजनीति में कमलनाथ के साथ जुड़ कर महाकौशल में सक्रिय रहे हैं और बड़ी भूमिका को अंजाम दे चुके हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की सभा का कुशल संचालन और कमलनाथ की चुनावी रणनीति में राम का बेहद बड़ा योगदान माना जाता था। साल 2018 में जब पंडित राममूर्ति मिश्रा ने कांग्रेस से नाता तोड़ा तो यही लगने लगा था कि बीजेपी में उनकी बड़ी भूमिका होगी हालांकि तब बीजेपी की सरकार नहीं बन पाई और कांग्रेस की सरकार बनी और 15 महीने तक कांग्रेस सत्ता में रही लेकिन सत्ता परिवर्तन हुआ और फिर बीजेपी की सरकार आई और अब जब फिर से चुनावी घड़ी है तो इस बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पंडित राममूर्ति मिश्रा का भरपूर उपयोग महाकौशल की राजनीति में करना चाहते हैं। जाहिर सी बात है महाकौशल में बीजेपी कमजोर है उसको मजबूती प्रदान करने के लिए राममूर्ति अपनी संगठनात्मक कुशलता प्रदान कर सकते हैं, यह मुलाकात इसलिए भी अब बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।
राष्ट्रीय से लेकर प्रादेशिक नेताओं तक राम की पहुंच
साल 2018 में जब पंडित राममूर्ति मिश्रा ने कांग्रेस से नाता तोड़कर बीजेपी का दामन थामा तो लगा कि बीजेपी में उनको खास तवज्जो नहीं मिल पाएगी लेकिन इस अनुमान के विपरीत उनको बीजेपी में बेहद सम्मान मिला जबलपुर के सांसद राकेश सिंह का उन पर विशेष स्नेह रहा तो मध्य प्रदेश के दिग्गज नेताओं से उनकी गहरी मुलाकात जगजाहिर ही है। अगर राष्ट्रीय नेताओं की बात की जाए तो जेपी नड्डा, अमित शाह और तमाम राष्ट्रीय नेताओं से उनके बेहद ही आत्मीय संबंध रहे हैं। बीजेपी के तमाम मंचों पर उनकी उपस्थिति बेहद ही सम्मानित और पर देखी गई है आंतरिक योजनाओं में भी उनका विशेष योगदान रहता है। वैसे भी पंडित राममूर्ति मिश्रा बेहद ही बेदाग छवि के नेता बताए जाते हैं। कांग्रेस में रहते हुए भी उन्होंने सैकड़ों ऐसे आंदोलन किए जिनकी धमक जबलपुर की राजनीति में सदैव याद की जाती रही है। बड़े बड़े आंदोलन की भूमिका बनाने वाले राममूर्ति को युवा से लेकर बुजुर्ग तक पहचानते हैं और उनको सम्मान भी देते हैं। शायद यही वजह है कि अब महाकौशल की राजनीति में शिव राम का उपयोग करना चाहते हैं और आने वाले दिनों में उम्मीद की जा रही है कि उनकी भूमिका तय हो जाएगी। वैसे भी राममूर्ति मिश्रा कुशल संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाते हैं शायद यही वजह है कि बीजेपी में आने के बाद भी उनकी कुशलता की चर्चा होती रहती है। पंडित राममूर्ति मिश्रा अच्छे वक्ता भी हैं लिहाजा इस वजह से भी बीजेपी में सभी नेता उनको सम्मान देते हैं।

आखिर क्या होगी राम की भूमिका
पंडित राममूर्ति मिश्रा को बीजेपी में आए 5 साल हो चुके हैं अभी प्रदेश कार्य समिति में सदस्य और लगातार बीजेपी के कार्यक्रमों में बेहद सक्रिय नजर आते हैं लेकिन इन 5 सालों के बाद अब जब चुनावी घड़ी आई है तो उनकी भूमिका पर चर्चा भी होने लगी है और जिस तरह से अब दिग्गज नेता उनके साथ आत्मीय मुलाकात कर रहे हैं, चर्चा कर रहे हैं उससे यह भी स्पष्ट हो रहा है कि उनकी भूमिका इस चुनाव में बड़ी हो सकती है। हालांकि चर्चा यह भी है कि चुनावी समर में भी उनको उतारा जा सकता है क्योंकि वे पश्चिम और उत्तर मध्य विधानसभा में उस दौर में चुनाव लड़ चुके हैं। जब यहां पर राजनीति का एक अलग ही मिजाज था ऐसे में इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर जरूरत पड़ी तो उनको जबलपुर की किसी भी सीट से चुनावी समर में उतारा जा सकता है इसके भी अब कयास लगने शुरू हो चुके हैं। हालांकि पंडित राममूर्ति मिश्रा से जब भी चर्चा की जाती है तो साफ कहते हैं कि मेरी भूमिका बीजेपी संगठन ही तय करेगा मैं तो यहां पर एक कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहा हूं हालांकि बीजेपी की रणनीति क्या होगी कैसी होगी इसके बारे में कोई भी कुछ नहीं कह सकता लेकिन चर्चा इस ओर जरूर बढ़ रही है कि महाकौशल की राजनीति में बीजेपी को मजबूती देने के लिए पंडित राममूर्ति मिश्रा नाम के इस अस्त्र का प्रयोग इस चुनाव में जरूर किया जाएगा।