टूटेगी 200 साल पुरानी परंपरा, इस साल नहीं होगा हिंगोट युद्ध

Edited By meena, Updated: 15 Nov, 2020 04:40 PM

200 years old tradition will break hingot war will not happen this year

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में दिवाली के दूसरे दिन होने वाला हिंगोट युद्ध का आयोजन इस साल नहीं होगा। जिला प्रशासन ने यह निर्णय कोरोना संक्रमण के चलते लिया है। कोरोना की वजह से इस बार 200 साल पुरानी परंपरा टूटेगी। बता दें कि परंपरा के नाम पर...

इंदौर(गौरव कंछल): मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में दिवाली के दूसरे दिन होने वाला हिंगोट युद्ध का आयोजन इस साल नहीं होगा। जिला प्रशासन ने यह निर्णय कोरोना संक्रमण के चलते लिया है। कोरोना की वजह से इस बार 200 साल पुरानी परंपरा टूटेगी। बता दें कि परंपरा के नाम पर दीपावली के दूसरे दिन धोक पड़वा पर गौतमपुरा नगर में खेले जाने वाला कलंगी व तुर्रा दल के बीच हिंगोट युद्ध होता है। इस युद्ध में दो गांव के लोग एक-दूसरे पर आग के गोले बरसते हैं। हिंगोट काफी रोचक होता है, इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

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पुलिस प्रशासन ने हिंगोट युद्ध मैदान के बीचों बीच टेंट तंबू लगा कर अस्थाई पुलिस चौकी बना दी है। अबकी बार प्रशासन ना व्यवस्था करेगा न हीं हिंगोट युद्ध के मैदान में किसी को जाने दिया जाएगा। यहां तक की नगर वासियों का कहना है कि हम पांच पांच लोग एक दूसरे पर युद्ध के मैदान में जाकर देवनारायण भगवान के दर्शन कर हिंगोट छोड़कर परंपरा को कायम रखेंगे लेकिन प्रशासन यह भी नहीं करने देने के मूड में है।

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अति प्राचीन पंरपरा हिगोंट (अग्निबाण) युध्द को लेकर इस बार गौपनीय तरीके से पूर्ण रूप से तैयार हो चुके है। शासन प्रशासन का जो भी आदेश मिले हिंगोट युध्द की पारंपरिक रूप से इस वर्ष भी गौतमपुरा मे आयोजित किया जाएगा। वैसे तो प्रतिवर्ष हिंगौट बनाने का कार्य नवरात्रि से गौतमपुरा रूणजी के कई घरों में प्रारम्भ हो जाता है पर इस वर्ष हिंगोट बनाने का कार्य किसने, कब और कहा किया ये कोई बता नहीं रहा पर कुल मिलाकर तुर्रा व कलंगी दोनों दलों के योद्धाओं ने हिंगोट युध्द की तैयारियां पूरी कर ली है। कोरोना संक्रमण के चलते प्रशासन द्वारा इस युध्द रुपी खेल को रोकने के भी पूरे इंतजाम किए है। वहीं इस परंपरा को निभाने के लिए दोनों दलों के लोग आतुर है।

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इस परंपारगत युध्द में न किसी की हार होती है और न किसी की जीत बस ये युध्द भाई चारे का युध्द होता है। इस युद्ध को कुछ वर्ष पहले रोकने की प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली थी लेकिन परम्परा न टूटने पाए इसलिए भाजपा व कांग्रेस के पूर्व व वर्तमान विधायक जनता के साथ खड़े हो गए थे तब मजबूरी में प्रशासन को हार मानना पड़ी थी और परम्परा कायम रही थी। लेकिन अबकी बार कोविड 19 के चलते अभी तक दोनों पार्टी के जनप्रतिनिधियों ने आंखे बंद कर रखी है। वही सोशल मीडिया पर हिंगोट युद्ध नहीं तो आने वाले नगर परिषद चुनाव का बहिष्कार करने की बात चल रही है।

 

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गौरतलब है कि पिछले 10 वर्षों से प्रशासन की शक्ति के कारण हिंगोट युध्द में उतरने वाले योध्दा सीमित मात्रा में हिंगोट तैयार कर रहे है। इस बार भी हिंगोट तैयार करने वाले योध्दा भी केवल युध्द में लड़ने तक के ही हिंगोट तैयार कर रहे है। उल्लेखनीय है कि पहले प्रशासन की शक्ति नहीं होने तक गली मोहल्लों व घर घर में भी हिंगोट तैयार करते लोग देखे जा सकते थे। परंतु अब केवल योध्दा ही सीमित मात्रा मे हिंगोट तैयार कर रहे है।

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तुर्रा और कलंगी दोनों दलों के योध्दाओं का कहना है कि हिगोंट युध्द रूणजी गौतमपुरा वासियों की सदियों पुरानी परम्परा है जो उनके पूर्वजों ने उन्हें दी है ऐसा आयोजन पूरे विश्व मे सीर्फ गौतमपुरा नगर में ही देखा जाता है। योद्धाओं का कहना है भाजपा के पूर्व विधायक मनोज पटेल व उनके समर्थक कांग्रेस के वर्तमान विधायक व उनके समर्थक सभी नेता आगे आए और हिंगोट की अनूठी परम्परा को कायम रखवाए। वही अभी तक विधायक व पूर्व विधायक दोनों ने इस मामले से दूरी बना रखी है जिससे जनता काफी खफा है। इसका परिणाम आगामी नगर परिषद चुनाव में चुनाव बहिष्कार का के देने का  कह रही है।

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