Edited By meena, Updated: 03 Jan, 2025 04:04 PM
भोपाल गैस कांड का यूनियन कार्बाइड कचरा जलाने का मामला विकराल रूप ले रहा है...
भोपाल : भोपाल गैस कांड का यूनियन कार्बाइड कचरा जलाने का मामला विकराल रूप ले रहा है। पीथमपुर सागोर पूरी तरह बंद हुआ पड़ा है। पीथमपुर के सारे उद्योग बंद कर दिए गए हैं। लोग सड़कों पर उतर कर आंदोलन प्रदर्शन कर रहे हैं। आंदोलन कर रहे राजू पटेल और राजकुमार रघुवंशी ने खुद पर पेट्रोल डाल आत्महत्या करने का क्या प्रयास किया इसी बीच पीछे से किसी ने आग लगा दी। दोनों को गंभीर हालत में इंदौर रेफर किया गया है। मामला इतना गंभीर हो गया है कि अधिकारियों और नेताओं के हाथ पैर फूल गए हैं। जल्द ही सरकार को इस विषय पर महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ सकता है। इसी बीच मुख्यमंत्री मोहन यादव का बड़ा बयान सामने आया है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पीथमपुर में कचरे का निष्पादन हो रहा है। राज्य के अंदर किसी भी प्रकार से किसी को कष्ट न आए, उच्चतम न्यायालय के अनुसार ही हम लोग आगे बढ़ रहे हैं। गलतफहमी फैलाने वालों से बचें, सबका जीवन मूल्यवान, कोई गलत कदम ना उठाए।
इससे पहले भी गुरुवार को मुख्यमंत्री यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि पीथमपुर में कचरे का निस्तारण सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत सावधानीपूर्वक हो रहा है। इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। सीएम ने कहा कि कचरे में 60% स्थानीय मिट्टी, 40% रासायनिक अपशिष्ट हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस कचरे का विषैला प्रभाव 25 वर्षों में खत्म हो जाता है। सीएम ने कहा कि कचरे के निस्तारण की प्रक्रिया को नीरी, एनजीआरआई, आईआईसीटी और सीपीसीबी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की निगरानी में किया गया। 2013, 2014 और 2015 में पीथमपुर में हुए तीन ट्रायल रन सफल रहे, जिनमें पर्यावरण या स्थानीय क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पाया गया।
बता दें कि गुरुवार तड़के 4:16 बजे कचरे से भरे 12 कंटेनर पीथमपुर स्थित रामकी इनवायरो परिसर में पहुंचे। भोपाल से बुधवार रात 9 बजे कंटेनर निकलने के बाद से पुलिस को अलर्ट कर दिया गया था। रात 1:30 बजे पुलिस ने कंपनी के आसपास के 200 मीटर एरिया को सील कर दिया। वहीं ड्रोन से भी यहां पर नजर रखी जा रही थी, अब 1200 डिग्री सेल्सियस तापमान पर कचरे को जलाया जाएगा। इस दौरान राख भी सुरक्षित जमीन में दफन की जाएगी। इसके लिए कंपनी परिसर में गड्ढे खोदे जा रहे हैं। इसमें सीमेंट के बेस के ऊपर राख के कैप्सूल को दफनाया जाएगा। ताकि पानी का बहाव भी हो तो कैप्सूल के अंदर राख पर असर न हो।