क्या जयवर्धन का 'डिमोशन' जीतू ने किया है?

Edited By meena, Updated: 18 Aug, 2025 05:18 PM

has jaivardhan been demoted by jeetu

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दिग्विजय सिंह की राजनीतिक विरासत के हकदार होने के कारण जयवर्धन सिंह भविष्य में बड़ा चेहरा बन सकते हैं...

भोपाल : मध्यप्रदेश कांग्रेस इन दिनों आंतरिक राजनीति को लेकर सुर्खियों में है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पूर्व मंत्री और दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को "डिमोशन" कर दिया है, या फिर यह पार्टी की नई रणनीति का हिस्सा है? जयवर्धन को हाल ही में कांग्रेस ने गुना का जिलाध्यक्ष बनाया है, जिसके बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चा का दौर तेज है।

क्या जयवर्धन को डिमोट किया गया?

पूर्व मंत्री और दिग्विजय सिंह की राजनीतिक विरासत के दावेदार जयवर्धन सिंह को कांग्रेस का बड़ा चेहरा माना जाता है। ऐसे में उनके समर्थक यह मानते हैं कि जिलाध्यक्ष बनाना उनकी भूमिका को सीमित करना है। वहीं, कांग्रेस का एक धड़ा इसे "नई जिम्मेदारी" बताते हुए कह रहा है कि जयवर्धन को संगठनात्मक स्तर पर और मजबूत काम करने का मौका मिलेगा, इसके साथ ही माना ये भी जा रहा है, कि गुना में अपनी राजनीतिक कसरत के जरिए जयवर्धन कहीं न कहीं सिंधिया को भी मजबूती के साथ घेरने में सफल हो सकते हैं। हालांकि इस फैसले के बाद सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि क्या यह निर्णय जीतू पटवारी का था, या फिर उन्होंने दिग्विजय और जयवर्धन को विश्वास में लेकर यह कदम उठाया। जयवर्धन सिंह ने नई जिम्मेदारी मिलने के बाद कांग्रेस हाईकमान और राहुल गांधी का धन्यवाद तो दिया, लेकिन जीतू पटवारी का नाम नहीं लिया। इस बात ने कयासों को और हवा दी। हालांकि अगले ही दिन जयवर्धन और जीतू ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मतभेदों की बात पर पर्दा डालने की कोशिश की।

भविष्य की राजनीति पर असर

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दिग्विजय सिंह की राजनीतिक विरासत के हकदार होने के कारण जयवर्धन सिंह भविष्य में बड़ा चेहरा बन सकते हैं। यहां तक कि उनके समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार तक मानते हैं। यही वजह है कि सोशल मीडिया पर एक वर्ग इसे जीतू पटवारी की रणनीति मान रहा है, ताकि भविष्य में किसी तरह की चुनौती से बचा जा सके।

कांग्रेस ने राजाओं को रंक बना दिया- भाजपा

जयवर्धन सिंह को ज़िलाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। रामेश्वर शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी को बुलाकर कांग्रेस नेताओं को “घोड़ा” तक बना दिया। अब जिन नेताओं के बारे में कहा जाता था कि ये भावी प्रदेश अध्यक्ष हैं, उन्हें ज़िलाध्यक्ष बनाकर कह दिया गया कि भैया अब बीस-पच्चीस साल तक इसी पद पर रहो। राजाओं को रंक बनाकर मैदान में पटक दिया है। जो करना है सब ज़िले में ही करो, भोपाल मत आना… भोपाल में तो मैं हूं ही।”

सोशल मीडिया पर तंज

फैसले के बाद सोशल मीडिया पर बहस और मीम्स भी जमकर वायरल हुए। एक मीम में लिखा गया – “पटवारी ने राजा की जमीन का सीमांकन कर दिया।” यह सीधा निशाना जयवर्धन सिंह पर था, जिन्हें उनके समर्थक "राजा" भी कहते हैं।

नतीजा क्या निकलेगा?

फिलहाल, यह कहना मुश्किल है कि यह फैसला जयवर्धन के लिए "डिमोशन" साबित होगा या "नई शुरुआत"। लेकिन इतना साफ है कि इस कदम से कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में खींचतान और शक्ति संतुलन की नई कहानी लिखी जा रही है।

 

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