जहां हिंदूओं को धोखे से किया गया था हलाल! जानिए हलाली डैम की पूरी कहानी

Edited By meena, Updated: 27 Jan, 2021 07:32 PM

know the full story of hallali dam

ये कहानी है हलाली डैम की...देवरा चौहान जो जगदीशपुर का राजा थे उनका 1715 में बड़ा नाम था। दोस्त मुहम्मद उनसे बहुत डरते थे। ऐसे में बड़ी चालाकी से दोस्त मुहम्मद ने प्लानिंग की और उनसे दोस्ती का हाथ बढ़ाया। तय हुआ कि जगदीशपुरा में दोनों ही तरफ से 16-16...

भोपाल: मध्य प्रदेश में पुरानी ऐतिहासिक इमारतों, मुस्लिम धरोहरों और शहरों के नाम बदलने की मांग जोर पकड़ती नजर आ रही है। हाल ही में भाजपा की फायर ब्रांड नेत्री उमा भारती व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने भोपाल के हलाली डैम के नाम बदलने की मांग की है। इतना ही नहीं भाजपा नेत्री उमा भारती ने तो स्थानीय विधायक और पर्यटन मंत्री से हलाली डैम का नाम बदलने के लिए पत्र भी लिखा है। दोनों ही नेत्रियों का कहना है कि हलाली डैम का नाम हिंदूओं के हलाल होने की कहानी की याद दिलाता है। हलाली नदी का पानी हिंदूओं के खून से लाल हो गया था। यह नाम विश्‍वासघात, धोखे और अमानवीयता की याद दिलाता है। इसलिए इसका नाम बदल देना चाहिए। अब आप यह सोच रहे होगें कि आखिर हिंदूओं के हलाल होने की कहानी का सच क्या है? आखिर उमा भारती और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने जिस हलाली की कहानी का जिक्र किया है उसके पीछे कहानी क्या हैं? 

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दरअसल, हलाली नदी का इतिहास दोस्त मुह्म्मद से जुड़ा हुआ है। दोस्त मुहम्मद ने भोपाल शहर को बसाया था। दोस्त मुहम्मद एक अफगान था और 1703 में मुगल सेना में भर्ती हुआ था। हालांकि बाद में वह मध्य प्रदेश के मालवा का जिसमें इंदौर, देवास इलाके आते हैं वहां का नायब बना था। जैसे ही औरंगजेब की मृत्यु हुई वैसे ही मुहम्मद खुद को स्थापित करने में लग गया। उसने धीरे धीरे आसपास के राजपूत राजाओं को अपने साथ मिला लिया।

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वहीं दूसरी और सैयद बंधु भी किंगमेकर बनने लगे और मुगलों के खिलाफ खड़ने लगे। ऐसे में दोस्त मुहम्मद ने भी उनसे हाथ मिला लिया। एक लड़ाई में उसने सैयद हुसैन अली खान बारहा की जान भी बचाई थी। दोस्त मुहम्मद अपने एहसान तले दबे सैयद बंधुओँ का इस दौरान खूब फायदा उठाया। इस दौरान उसने गोंड रानी कमलावती से भोपाल गांव लिया और इसे बसाने लगा। रानी के मौते के बाद उनके राज्य को भी भोपाल में मिला लिया।

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देवरा चौहान जो जगदीशपुर का राजा थे उनका 1715 में बड़ा नाम था। दोस्त मुहम्मद उनसे बहुत डरते थे। ऐसे में बड़ी चालाकी से दोस्त मुहम्मद ने प्लानिंग की और उनसे दोस्ती का हाथ बढ़ाया। तय हुआ कि जगदीशपुरा में दोनों ही तरफ से 16-16 लोग मिलेगें। लोगों के ठहरने के लिए बेस नदी के किनारे तंबू लगाया गया। साजिश के तहत दोस्त मुहम्मद पान खाने के बहाने बाहर निकला पान खाना दोस्त मुहम्मद ने कोडवर्ड रखा हुआ था जिसका मतलब हमला करना था।

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दोस्त मुहम्मद के इशारे पर वहां पहले से छिपे बैठे सिपाही बाहर निकले और हमला कर दिया। बताया जा रहा है कि हमले में बेस नदी देवरा चौहान और उनके लोगों के खून से लाल हो गई। तभी से नदी का नाम हलाली पड़ गया। इसके बाद दोस्त मुहम्मद ने जगदीशपुर का नाम बदलकर इस्लामनगर कर दिया गया और इसे अपना ठिकाना बना लिया।

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