Loksabha Election 2019: किस्सा कुर्सी का, बात सफेद शेरों की भूमि 'रीवा' लोकसभा सीट की

Edited By Vikas kumar, Updated: 11 Mar, 2019 07:54 PM

loksabha election in rewa seat

सफेद शेर की भूमि रीवा को विंध्य के राजनीति का केंद्र माना जात है। यहां सबसे पहला लोकसभा चुनाव सन 1957 में हुआ था।  रीवा विंध्य प्रदेश की 4 संसदीय सीटों में से एक रही है। यह एक ऐसी सीट रही है जिस पर....

रीवा: सफेद शेरों की भूमि रीवा को विंध्य की राजनीति का केंद्र माना जाता है। यहां सबसे पहला लोकसभा चुनाव सन 1957 में हुआ था। रीवा विंध्य प्रदेश की 4 संसदीय सीटों में से एक रही है। यह एक ऐसी सीट रही है जिस पर कभी किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है। कांग्रेस भाजपा के अलावा इस सीट पर बसपा का भी खासा प्रभाव रहा है।

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क्या कहते हैं अब तक के आंकड़े ?

अगर अब तक के चुनावी नतीजों को देखा जाए तो यहां पर कांग्रेस बीजेपी के अलावा बसपा भी हमेशा टक्कर देती रही है। लेकिन कांग्रेस को बीजेपी और बसपा के मुकाबले ज्यादा जीत मिली हैं। वर्तमान में इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है, और जनार्दन मिश्रा यहां से सांसद हैं। कांग्रेस को इस सीट पर आखिरी बार जीत 1999 में मिली थी। पहली बार इस सीट पर 1957 में चुनाव हुए थे तब यहां से कांग्रेस के शिवा दाता सांसद चुने गए थे। वहीं इसके 5 वर्ष बाद दोबारा हुए चुनाव में कांग्रेस के शिवा दाता ने दोबारा जीत दर्ज की थी। शिवा यहां से लगातार 2 बार चुनाव जीतने वालों में से एक हैं। बसपा को यहां पर पहली जीत 1991 में मिली।

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1996 के आम चुनाव में बीएसपी ने एक बार फिर इस सीट पर जीत दर्ज की। लेकिन इसके दो वर्ष बाद ही 1998 के चुनाव में उसे इस सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा। 1998 में बीजेपी के चंद्रमणि त्रिपाठी यहां से सांसद बने। वर्ष 1999 में एक बार फिर यहां पर कांग्रेस की जीत हुई लेकिन पांच वर्ष बाद 2004 के आम चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस से हार का बदला ले लिया। बीजेपी के चंद्रमणि त्रिपाठी एक बार फिर यहां से सांसद चुने गए। लेकिन यह सिलसिला 2009 में फिर बदल गया औऱ बसपा ने वापसी करते हुए एक बार फिर यहां से जीत दर्ज की। परंतू 2014 का वर्ष मोदी लहर का था और इस साल हुए आम चुनाव में इस सीट पर फिर से कमल खिल गया और यहां से जनार्दन मिश्रा लोकसभा पहुंचे।

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रीवा संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को 6, बसपा को 3 और बीजेपी को 3 बार विजय हासिल हुई है। इस सीट पर बीजेपी औऱ कांग्रेस हमेशा किसी ब्राम्हण चेहरे को ही मैदान में उतारती हैं। रीवा में वर्तमान समय में बीजेपी की ही लहर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पूरे मध्यप्रदेश में बीजेपी को करारी शिकस्त दी। लेकिन कभी कांग्रेस का किला रहे रीवा की सभी 8 सीटों पर कांग्रेस को बीजेपी से हार का सामना करना पड़ा।

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लोकसभा चुनाव 2014

अगर हम बात करें लोकसभा चुनाव 2014 की तो बीजेपी के जनार्दन मिश्रा ने कांग्रेस के सुंदरलाल तिवारी को करारी शिकस्त दी थी। इस चुनाव में जनार्दन मिश्रा को 3,83,320 वोट मिले, और सुंदरलाल तिवारी को 2,14,594 वोट मिले। वहीं रीवा की तीसरी बड़ी पार्टी रही बसपा के देवराज सिंह इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे। वोट प्रतिशत की बात करें तो जनार्दन मिश्रा को 46.18 फीसदी, सुंदरलाल तिवारी को 25.85 फीसदी, देवराज सिंह को 21.15 फीसदी वोट मिले थे.

 

प्रत्याशी

राजनीतिक दल

वोट

वोट प्रतिशत

जनार्दन मिश्रा

भाजपा

3,83,320

46.18%

सुंदरलाल तिवारी

कांग्रेस

2,14,594

25.85%

देवराज सिंह

बसपा

1,75,567

21.15%

 

लोकसभा चुनाव 2009

अगर हम बात करें लोकसभा चुनाव 2009 की तो इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के देवराज सिंह ने कांग्रेस के सुंदरलाल तिवारी को हराया था। वहीं 2014 में जीत हासिल करने वाले चंद्रमणि तिवारी तीसरे स्थान पर रहे थे। बसपा के देवराज सिंह को 1,72,002 वोट और कांग्रेस के सुंदरलाल तिवारी को 1,67,981 वोट मिले थे। अगर वोट प्रतिशत की बात की जाए तो देवराज को 28.49%, सुंदरलाल तिवारी को 27.83% और चंद्रमणि त्रिपाठी को 19.27%  मत प्राप्त हुए थे।
 

प्रत्याशी

राजनीतिक दल

वोट

वोट प्रतिशत

 देवराज सिंह

बसपा

 1,72,002

28.49%,

सुंदरलाल तिवारी

कांग्रेस

1,67,981  

27.83%

जनार्दन मिश्रा

भाजपा

1,16,300

19.27%  


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