Edited By meena, Updated: 01 Dec, 2025 06:22 PM

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि देश में बड़े स्तर पर वोट चोरी हो रही है और इसका एक उदाहरण भोपाल में राष्ट्रीय स्वयं संघ का...
एमपी डेक्स : मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि देश में बड़े स्तर पर वोट चोरी हो रही है और इसका एक उदाहरण भोपाल में राष्ट्रीय स्वयं संघ का कार्यालय है जिसमें 30 मतदाताओं के पते हैं लेकिन उनमे से 29 वहां रहते ही नहीं हैं। दिग्विजय सिंह ने सोमवार को संसद भवन परिसर में पत्रकारों से कहा कि संघ कार्यालय में भी ‘वोट चोरी' की जा रही है। भोपाल के संघ कार्यालय में उन्होंने वोट चोरी पकड़ी है। वहां 30 में से 29 मतदाता का एक ही पता मिला है जबकि इस पते पर एक ही व्यक्ति रहता है। उनका कहना था कि नियम यह है कि इतनी बड़ी संख्या में एक ही घर में अगर दस मतदाता हैं तो इसकी जांच के लिए उस क्षेत्र में तैनात वरिष्ठ चुनाव अधिकारी को खुद मौके पर जाना पड़ता है। इस मामले में क्या ऐसा हुआ है और अगर नहीं हुआ है तो इसकी पड़ताल की जानी चाहिए और असलियत का पता लगना चाहिए।
उन्होंने इसे वोट चोरी का गंभीर मामला बताया और कहा कि जिस बीएलओ ने ये सब नाम चढ़ाए हैं और जिस अधिकारी ने इन नामों को मंजूरी है उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। सवाल यह है कि सूची को बिना प्रमाण के अंतिमरूप देने वाले अधिकारी ने कैसे मान्य कर दिया। उनका यह भी कहना था कि नियम के अनुसार यदि एक घर में दस से ज्यादा मतदाता हैं तो निर्वाचन अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह उस घर जाकर मौके पर स्थिति का आकलन करे।
कांग्रेस नेता ने कहा कि चुनाव सुधार बहुत जरूरी है और इसको लेकर संसद में भी चर्चा होनी चाहिए लेकिन सरकार इस बारे में बात करने को ही तैयार नहीं है। सरकार इस बारे में बात ही नहीं करने देती है। उन्होंने कहा कि आयोग को इतिहास माफ नहीं करेगा यदि वह इसी तरह से चुनाव का काम करवाता रहेगा। उन्होंने सरकार पर एसआईआर पर चर्चा कराने से भागने का आरोप लगाया और कहा कि आयोग एक तरह से भाजपा का झंडाबरदार बनकर काम कर रहा है।
उनका कहना था कि बिहार में भाजपा गठबंधन ने गड़बड़ी करके चुनाव जीता है। वहां 68 लाख लोगों के नाम काटे गये हैं। सवाल है कि जिनके नाम काटे गये हैं वे भारत के नागरिक हैं कि नहीं। कमाल यह है कि 20 लाख नये मतदाता जोड़े गये हैं और इनमें पांच लाख ऐसे हैं जिन्होंने फार्म ही जमा नहीं किया। सवाल है कि इन लोगों के नाम मतदाता सूची में कैसे जोड़े गये हैं।